अजय कुमार, लखनऊ
प्रयागराज। कांग्रेस नेत्री प्रियंका वाड्रा ने मिशन पूर्वी यूपी के तहत प्रयाग में हनुमान जी के दर्शन कर अपनी तीन दिवसीय ‘गंगा यात्रा’ शुरू कर दी है। संगम तट पहुंचकर उन्होंने मां गंगा की पूजा की। वह मनैया घाट से स्टीमर के जरिए वाराणसी के लिए रवाना हो गईं।
प्रियंका गंगा यात्रा की शुरुआत कर अपनी गैर हिंदू छवि को तोड़ने की कोशिश में हैं। बीजेपी और अन्य दक्षिणपंथी संगठन अक्सर उन्हें ईसाई बताकर उनपर निशाना साधते हैं। प्रियंका पूरी यात्रा के दौरान मां विध्यवासिनी, शीतला माता, सीता जी और भगवान शिव के अलावा भी कुछ मंदिरों भी जाएंगी।
गंगा यात्रा के जरिए प्रियंका पूर्वी यूपी की अत्यंत पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को साधने की कोशिश में हैं। उनकी नजर मछुआरों और निषादों पर है जो पिछले चुनावों में बीजेपी को वोट करते रहे हैं। पूरे सूबे में इन जातियों की आबादी करीब 12 फीसदी है।
प्रियंका ने अपने स्टीमर पर दलित नेता सावित्री बाई फूले को भी जगह दी है। उन्होंने इसके जरिए दलितों को साधने और मायावती को संदेश देने की कोशिश की है। भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर से मुलाकात के बाद अब सावित्री बाई को साथ लाना दलितों को एक बड़ा संदेश माना जा रहा है।
तीन दिन के दौरे पर प्रियंका प्रयागराज से मिर्जापुर, जौनपुर होते हुए वाराणसी जाएंगी। 20 मार्च को प्रियंका वाराणसी में होंगी। इस दौरान वह गंगा की बदहाली पर पीएम मोदी को घेरेंगी।
पूरी यात्रा के दौरान प्रियंका गांधी ऐसे मतदाताओ को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेंगी जो किसी पार्टी के प्रति निष्ठा नहीं रखते हैं। यूपी में प्रियंका गैर यादव, गैर कुर्मी और गैर जाटव जातियों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं। ऐसी अत्यंत पिछड़ी जातियों की संख्या यूपी में करीब 34 फीसदी है। इनमें निषाद, मछुआरा, बिंद, चौहान, धोबी, कुम्हार आदि शामिल हैं। ये जातियां ज्यादातर गंगा के किनारे वाले इलाकों में बसी हैं। इन जातियों का मिर्जापुर, जौनपुर, इलाहाबाद, लखीमपुर खीरी, फतेहपुर, मुजफ्फरनगर, अंबेडकर नगर, भदोही जैसी सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव है।