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प्रियंका गांधी ने जिन अखबारों और मीडिया हाउसों को नोटिसा भेजा, उनका नाम-पता किसी ने नहीं छापा

मीडिया वाले खबर पूरी नहीं देते. आधी अधूरी खबर से कोई भी जागरूक पाठक संतुष्ट नहीं हो पाता. प्रियंका गांधी द्वारा एक साप्ताहिक अखबार और कुछ मीडिया हाउसों को कानूनी नोटिस भेजने संबंधी खबर को ही लीजिए. इस खबर को समाचार एजेंसियों से लेकर अखबारों, चैनलों तक ने रिलीज किया, छापा, दिखाया. लेकिन किसी ने भी यह नहीं बताया कि जिन जिन मीडिया हाउसों और अखबारों को प्रियंका ने नोटिस दिया है, उनके नाम क्या हैं. सोचिए, यही प्रकरण अगर मीडिया से रिलेटेड नहीं होता तो मीडिया वाले कितना बढ़ चढ़कर उन पार्टियों के नाम बताते जिन्हें नोटिस भेजा गया है. यहां तक कि जिनको नोटिस भेजा गया है, उनका भी पक्ष छापते. 

<p>मीडिया वाले खबर पूरी नहीं देते. आधी अधूरी खबर से कोई भी जागरूक पाठक संतुष्ट नहीं हो पाता. प्रियंका गांधी द्वारा एक साप्ताहिक अखबार और कुछ मीडिया हाउसों को कानूनी नोटिस भेजने संबंधी खबर को ही लीजिए. इस खबर को समाचार एजेंसियों से लेकर अखबारों, चैनलों तक ने रिलीज किया, छापा, दिखाया. लेकिन किसी ने भी यह नहीं बताया कि जिन जिन मीडिया हाउसों और अखबारों को प्रियंका ने नोटिस दिया है, उनके नाम क्या हैं. सोचिए, यही प्रकरण अगर मीडिया से रिलेटेड नहीं होता तो मीडिया वाले कितना बढ़ चढ़कर उन पार्टियों के नाम बताते जिन्हें नोटिस भेजा गया है. यहां तक कि जिनको नोटिस भेजा गया है, उनका भी पक्ष छापते. </p>

मीडिया वाले खबर पूरी नहीं देते. आधी अधूरी खबर से कोई भी जागरूक पाठक संतुष्ट नहीं हो पाता. प्रियंका गांधी द्वारा एक साप्ताहिक अखबार और कुछ मीडिया हाउसों को कानूनी नोटिस भेजने संबंधी खबर को ही लीजिए. इस खबर को समाचार एजेंसियों से लेकर अखबारों, चैनलों तक ने रिलीज किया, छापा, दिखाया. लेकिन किसी ने भी यह नहीं बताया कि जिन जिन मीडिया हाउसों और अखबारों को प्रियंका ने नोटिस दिया है, उनके नाम क्या हैं. सोचिए, यही प्रकरण अगर मीडिया से रिलेटेड नहीं होता तो मीडिया वाले कितना बढ़ चढ़कर उन पार्टियों के नाम बताते जिन्हें नोटिस भेजा गया है. यहां तक कि जिनको नोटिस भेजा गया है, उनका भी पक्ष छापते. 

लेकिन भारतीय मीडिया, खासकर कार्पोरेट मीडिया, जिसका दूसरा नाम करप्ट मीडिया है, अक्सर खबरें छापता नहीं बल्कि छुपाता है. लीजिए, वह खबर पढ़ लीजिए जिसे न्यूज एजेंसी ने रिलीज किया और लगभग हर जगह इसका प्रकाशन हुआ पर किसी ने यह छापने या पता करने की कोशिश नहीं की कि आखिर नोटिस पाने वाले साप्ताहिक अखबार का नाम क्या है, उसका मालिक कौन है, किसने रिपोर्ट लिखी आदि इत्यादि. अगर आपको इस बारे में पता हो तो भड़ास को बताएं, नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके या फिर भड़ास को [email protected] पर मेल करके.

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-एडिटर, भड़ास4मीडिया


प्रियंका गांधी ने अखबार और मीडिया संस्थानों को कानूनी नोटिस भेजा

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भाषा

प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक साप्ताहिक अखबार और कुछ अन्य मीडिया संस्थानों को उस खबर के लिये कानूनी नोटिस भेजे हैं जिसमें कहा गया था कि वह और उनके पति अपने बेटे को राहुल गांधी को गोद दे रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि प्रियंका ने अपने बेटे की ‘मानहानि’ के लिए आपराधिक और दीवानी कार्रवाई की चेतावनी दी और कहा है कि वह अपने परिवार के बारे में झूठे आरोपों के खिलाफ कानूनी कदम उठाने को प्रतिबद्ध हैं. अखबार की खबर में दावा किया गया था कि राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका के बेटे रेहान को गोद ले रहे हैं ताकि उसका उपनाम गांधी हो सके.

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प्रियंका ने इसे मनगढ़ंत दुर्भावनापूर्ण सोच बताकर खारिज करते हुए नोटिस में कहा, ‘यह कहना कि कोई अभिभावक अपने बच्चे को स्वेच्छा से किसी और को दे देगा मानो कि वह भावहीन वस्तु है, यह अपने आप में बहुत खराब बात है. इसे किसी तरह की वंशवाद की राजनीतिक आकांक्षा के इरादे से जोड़ना तो और भी ज्यादा दुखद है.’

प्रियंका ने इस खबर पर भी कड़ी आपत्ति जताई है कि उनके बेटे के स्कूल प्रवेश फॉर्म में उसके अभिभावक का नाम राहुल गांधी है. प्रियंका ने पिछले दिनों कांग्रेस में अपनी बड़ी भूमिका को लेकर चल रही अटकलों को भी पुरजोर तरीके से खारिज किया था. उन्होंने इस तरह की खबरों को निराधार अफवाह बताकर खारिज कर दिया था. प्रियंका ने इस साल मई में एसपीजी प्रमुख को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें और उनके परिवार को हवाईअड्डों पर सामान्य सुरक्षा जांच से प्राप्त छूट वापस ले ली जाए. उनकी यह मांग इन खबरों की पृष्ठभूमि में आई थी कि सरकार प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा को मिली इस तरह की सुविधा को समाप्त करने का विचार कर रही है. इससे पहले भी प्रियंका गांधी को लेकर मीडिया में अटकलें रहीं हैं.

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देखने में आया है कि आजकल प्रियंका इस तरह की अटकलों को नजरअंदाज नहीं कर रहीं बल्कि उनका जवाब दे रहीं हैं. हालांकि पहले ऐसा नहीं होता था. अपने बेटे के स्कूल प्रवेश फॉर्म में उसके अभिभावक के तौर पर राहुल गांधी का नाम होने संबंधी खबर का कड़ा विरोध करते हुए प्रियंका ने इसे गलत और मनगढ़ंत बताया. उन्होंने कहा, ‘मेरे बेटे के दिमाग में कभी अपना उपनाम बदलने की बात नहीं आएगी.’ उन्होंने कहा कि यह आरोप न केवल दुर्भावनापूर्ण है बल्कि झूठा है. यह उनके बेटे की निजता का हनन भी है. प्रियंका ने कानूनी नोटिस में कहा है कि इस दुखदायी झूठ का मकसद साफ तौर पर उनके परिवार को गहरी तकलीफ देना है और यह उनके मातृत्व और चरित्र पर लगाया गया अस्वीकार्य कलंक है.

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0 Comments

  1. animesh

    September 26, 2014 at 9:17 am

    priyanka ji ka surname VADRA hai…aap Gandhi laga kar kya saabit karna chahte hain ?? 😉

  2. santosh singh

    December 11, 2014 at 8:02 am

    pahle to CHOR CHOR MAUSERA BHAI (MEDIA) BUT PRIYANKA VADRA APNA BACHA KISI KO DE TO DUSRO KO KYA ATRAJ HAI….YE BAT GALAT HAI

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