पब्लिक न्यूज एप से खबर है कि यहां पत्रकारों को खबर के साथ विज्ञापन भी लाने के लिए कह दिया गया है. अब तक पत्रकारों पर विज्ञापन का प्रेशर नहीं था.
सूत्र बताते हैं कि पब्लिक एप से जुड़े वरिष्ठ लोग अपने पत्रकारों को हर रोज फोन कर कर के विज्ञापन लाने के लिए दबाव बना रहे हैं. साथ ही धमका भी रहे हैं कि एड लाओ वरना आईडी बन्द कर दी जायेगी.
अभी तक न्यूज चैनल वाले संस्थान अपने पत्रकारों का उत्पीड़न करते थे. इसी तर्ज पर अब न्यूज एप वाले भी पत्रकारों पर दबाव बनाने लगे हैं.
ज्ञात हो कि पब्लिक एप दो साल पहले शुरू हुआ था. ये एप अब देशव्यापी हो चुका है. दो वर्षों तक पत्रकारों को फ्री हैंड दिया गया. विज्ञापन और बिजनेस लाने का कोई दबाव न था. अब इस एप्प ने भी पत्रकारों से ऐड मांगना शुरू कर दिया है. नहीं देने पर आईडी बंद करने और संस्थान से हटाने की बातें की जा रही हैं.
फील्ड में रहकर काम करने वाले पत्रकारों का हमेशा से उत्पीड़न बड़े बड़े चैनलों ओर डिजिटल मीडिया द्वारा किया जाता रहा है. कोरोना काल में छंटनी बंदी की मार से पत्रकारों की हालत बुरी हो गई. इस कारण तमाम ऐसे पत्रकार हैं जो इस संकट की घड़ी से जूझ रहे हैं और छोटी-मोटी नौकरी करके अपने घर का गुजर-बसर कर रहे हैं. बहुत से पत्रकार पब्लिक एप से जुड़े हुए हैं. इन्हें खबरों के चलते महीने में कुछ हजार रुपये मिल जाते हैं.
पब्लिक एप वालों का कहना है कि अगर फील्ड में रहकर काम करना है तो ऐड लाकर देना होगा. तभी आपका हिसाब आपको मिलेगा. 2 साल पहले शुरू हुए पब्लिक एप में एक नई पॉलिसी चलाई गई है. अगर आप प्रति माह 5000 से 10000 कमाते हैं तो आपको उतने का संस्थान को ऐड लाकर देना होगा. इस टारगेट को पूरा करने के लिए बार-बार फोन करके पत्रकारों को परेशान किया जा रहा है. एक तो पत्रकार वैसे ही परेशान हैं, इसमें कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इधर-उधर से जुगाड़ लगाकर संस्थान को ऐड लाकर देते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सिर्फ खबरों के लिए जाने जाते हैं. उनके लिए विज्ञापन मांगना और लाना बहुत मुश्किल काम है.
देखें दो स्क्रीनशाट-