Public न्यूज ऐप के एसाइनमेंट द्वारा वाट्सएप टीम ग्रुप पर विज्ञापन लाने का लगातार दबाव बनाकर पत्रकारिता को कलंकित किया जा रहा है। नीचे एक स्क्रीन शॉट शेयर कर रहा हूँ।
पब्लिक एप्प के नाम से भाग रहे पत्रकार, नियुक्ति कराने के लिए कंपनी को देने पड़ रहे २-२ हजार रूपये
देशभर की लोकल खबरें दिखाकर करोड़ों यूजर्स बटोरने वाली पब्लिक एप्प अब पत्रकारों को दलाल बनाकर छोड़ रही है। महीने में पांच-पांच हजार रूपये कमाने वाले पत्रकारों को 20 से 25 हजार रूपये हर महीना का विज्ञापन लाने का दबाव बनाया जा रहा है। वहीँ पत्रकारों के द्वारा विज्ञापन नहीं देने पर उनकी आईडी डिएक्टिवेट कर दी जाती है और उसे संस्था से निकाल दिया जाता है।
कम्पनी की इस नीति का असर यह पड़ा कि अब पब्लिक एप्प के नाम से पत्रकार भागते हुए नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि अब कंपनी मौजूदा पत्रकारों को नए पत्रकार जोड़ने के लिए 2 – 2 हजार रुपये का ऑफर दे रही है। हर जिले की तहसीलों में पत्रकार जोड़ने वाले साथी को कंपनी दो हजार रुपये तक बोनस के रूप में दे रही है लेकिन इसके बावजूद अब पब्लिक एप्प के साथ काम करने के लिए कोई भी तैयार नहीं हो रहा है।
गौरतलब है कि शुरुआती दिनों में पब्लिक एप्प पत्रकारों से सिर्फ खबरे ही मांगती थी लेकिन अब खबरों के साथ भारी भरकम विज्ञापन के लिए दबाव बनाया जाता है। ऐसे में हजारो पत्रकारों ने पब्लिक एप्प का दामन छोड़ दिया है।
धंधेबाज पब्लिक ऐप में घुटन महसूस कर रहे पत्रकार ने सम्मान बचाने के लिए इस्तीफा दिया
अरवल बिहार : धंधेबाज पब्लिक एप्प से तंग आकर एक रिपोर्टर ने ऐप को छोड़ते हुए ग्रुप में खरी खोटी सुना कर टाटा बाय बाय कर दिया। 15 वर्षों से पत्रकारिता कर रहे एक पत्रकार को लगातार पब्लिक एप द्वारा विज्ञापन के लिए दबाव बनाया जा रहा था। इसको लेकर पत्रकार घुटन महसूस कर रहे थे। कुछ पत्रकारों ने अपने सम्मान की रक्षा करते हुए ऐप से विदा ले लिए तो कुछ ऐसे लोग ऐप से जुड़े हैं जो सिर्फ दलाली और धंधेबाजी को आगे बढ़ा रहे हैं। इसमें पत्रकार ही नहीं कुछ शिक्षक भी पब्लिक एप चला कर मोटी कमाई कर रहे हैं। खबर चलाने के नाम पर लोगों से पैसे की वसूली की जा रही है। बिहार के अरवल से 15 वर्षों से पत्रकारिता कर रहे एक पत्रकार ने पब्लिक एप को आइना दिखा कर अलविदा कह दिया।
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