उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जिसके मुखिया खुद गोरखनाथ मठ के महंत योगी आदित्यनाथ है, उनकी व्यवस्था में पीलीभीत के बरखेड़ा थाने के कोतवाल ने एक मंदिर के महंत के ही 36300 रुपए हड़प कर लिए। ना तो उसकी शिकायत पर दूसरे पक्ष पर कार्यवाही की और ना ही मंदिर के धान बेचने वालों से बिक्री की वसूली गई रकम महंत को वापस लौटाई।
योगी सरकार में न्याय के लिए खुद उन्हीं की साधु संत बिरादरी का ग्राम पैनिया रामकिशन मंदिर श्री ठाकुर जी महाराज विराजमान का महंत भगवान दास न्याय के लिए पिछले 20 दिनों से थाना बरखेड़ा के चक्कर लगा रहा है। हर तरफ से निराश होकर महंत ने अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शनिवार को रजिस्टर्ड डाक से अपनी फरियाद भेजी है।
हालांकि 14 नवंबर को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब जनपद के कस्बा बीसलपुर स्थित ग्राम नूरानपुर के शिव मंदिर पर गए थे, तब इस पीड़ित महंत में मुख्यमंत्री से मुलाकात की एक कोशिश की थी मगर नाकाम रहा। शनिवार को महंत फिर अपनी फरियाद लेकर बरखेड़ा थाने गया तो उसे कोतवाल बृजकिशोर मिश्रा ने टरका दिया।
बरखेड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम पनिया रामकिशन स्थित मंदिर श्री ठाकुर जी महाराज विराजमान के वयोवृद्ध महंत भगवान दास का कहना है कि गांव में मंदिर की 13 एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें 4 एकड़ पर धान लगा हुआ था। धान गांव के दबंग भू माफिया 2 लोगों ने जबरन काट लिया, इसकी शिकायत उसने थाना बरखेड़ा पर की थी। तब पुलिस में ट्राली रोक ली थी।
पुलिस ने उस ट्राली के धान को बिकवाया था लेकिन बिक्री की रकम 36,300 रुपये आज तक बरखेड़ा कोतवाल ने उनको वापस नहीं किए। वह करीब 20 दिन से लगातार थाने के चक्कर लगा रहे हैं।
इस प्रकरण में प्रभारी निरीक्षक बरखेड़ा ब्रज किशोर मिश्र का कहना है कि मंदिर के पूर्व संरक्षक बाबा द्वारा मंदिर की जमीन को खेती करने के लिये ग्राम वासियों को बटाई पर दिया गया था जिनकी मृत्यु हो चुकी है। इस जमीन पर लगभग 25 साल से ग्राम वासियों द्वारा खेती की जा रही है। मन्दिर की जमीन का विवाद एसडीएम कोर्ट में विचाराधीन है।
हालांकि कोतवाल का बयान हास्यास्पद है। महंत भगवानदास वीडियो में साफ तौर पर कह रहे हैं कि अदालत से मामला निस्तारित हो चुका है, इससे बरखेड़ा पुलिस अवगत है। बड़ा सवाल यह है कि पुलिस ने फिर धान से भरी ट्राली क्यों रोकी ? क्यों मंडी में धन बिकवाया और उसकी रकम 36300 रुपये आखिर कहां गई।
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बरेली से पत्रकार निर्मलकांत शुक्ला की रिपोर्ट.