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राहुल बजाज द्वारा अमित शाह को घेरने की खबर सबसे बढ़िया तरीके से टेलीग्राफ ने छापा (देखें वीडियो)

आज के अखबारों में, सोशल मीडिया में, उद्योगपति राहुल बजाज का भाषण छाया हुआ है। मैंने हिन्दी अखबारों में ढूंढ़ा नहीं मिला है। गूगल सर्च में जागरण की खबर जरूर मिली। पर खबर जैसी है, दूसरे अखबारों में भी होनी चाहिए थी। पर जनसत्ता और लोकमत के अलावा किसी और अखबार में होने का पता नहीं चला। करीब साढ़े ग्यारह बजे गूगल पर कुछ और लिंक मिले। इनमें नवजीवन भी है। वैसे भी, सभी अखबारों को देखना संभव नहीं है, मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि हिन्दी अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता नहीं दी है जबक अंग्रेजी के जो चार अखबार मैं देखता हूं उनमें से तीन में पहले पन्ने पर हैं। इससे खबर की महत्ता मालूम होती है और हिन्दी अखबारों में नहीं है तो आप समझ ही नहीं पाएंगे कि क्यों नहीं है। इसलिए आगे मैं खबर के अधिकतम संभव हिस्से का अनुवाद पेश कर रहा हूं, आप खुद तय करें कि आपको हिन्दी अखबार क्यों और कब तक पढ़ते रहना है।

इस खबर को मैंने कई अखबारों में पढ़ा और निसंदेह कह सकता हूं कि सबसे अच्छी और विस्तृत प्रस्तुति टेलीग्राफ की है। टेलीग्राफ सरकार के खिलाफ खबरें छापता रहा है इसलिए भी हो सकता है पर अभी वह मुद्दा नहीं है। मैं हिन्दी में पूरी खबर आपके सामने रखकर यह बताना चाहता हूं कि हिन्दी अखबारों की प्रस्तुति कितनी लचर और लापरवाह है। टेलीग्राफ की खबर में भाषण की दो खास बातें हैं जो हिन्दी अखबारों में नहीं दिखीं। पहली लिंचिग और दूसरी पी चिदंबरम का 100 दिन जेल में रहना है।

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इस पर टेलीग्राफ की खबर के संबंधित अंश का अनुवाद कुछ इस तरह होगा, “बात सिर्फ यह नहीं है कि भागवत जी (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत) कहते हैं कि लिंचिंग विदेशी शब्द है। लिंचिंग पश्चिम में होता है …. मामूली तौर पर होता होगा पर इससे हवा बनती है। असहिष्णुता की हवा। हम डरे हुए हैं। यह हमारी गलती है कि हम डरे हुए हैं पर कुछ ऐसी बातें हैं जो मैं नहीं कहना चाहता था। हम देख रहे हैं कि किसी को अपराधी नहीं ठहराया गया है, अपराधी नहीं है, बलात्कार, राजद्रोह, हत्या का आरोप नहीं है। रिश्वत लेने का मामला है, बहुत गलत है, पैसे कमाए हैं, ठीक है, हजारों करोड़ रुपए का मामला है, हां, वह गलत है पर दोष सिद्ध हुए बिना कोई 100 दिन से जेल में है। मैं किसी का समर्थन नहीं कर रहा। सिर्फ हेलो -हेलो के अलावा मैं संबंधित व्यक्ति को जानता भी नहीं हूं। 40-50 वर्षों में मैं कभी किसी मंत्री से दफ्तर में या घर पर नहीं मिला। पीयूष (केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जो मौजूद थे) इससे सहमत होंगे क्योंकि मैं उन्हें बहुत अच्छी तरह जानता हूं। कुछ मांगा नहीं ….”

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परिश्रम से बचने से लिए मैं पूरे भाषण या टेलीग्राफ की पूरी खबर का अनुवाद नहीं कर रहा हूं पर पाया कि सबसे अच्छे ढंग से और सबसे ज्यादा सूचनाएं यहीं हैं। एक और अंश उल्लेखनीय है, “शुरू में ही राहुल बजाज ने कहा था, सही या गलत मुझे अपनी छवि बनाए रखनी है। मेरे लिए किसी की तारीफ करना बहुत मुश्किल हैं। मेरा जन्म भले धनाढ्य परिवार में हुआ है पर लालन पालन ऐसा है कि मुझे गरीब की सहायता करनी है। मेरे दादा जी महात्मा गांधी के गोद लिए पुत्र माने जाते थे। मेरा नाम, राहुल, आप पसंद नहीं करेंगे, मुझे जवाहर लाल जी ने दिया था।” इंडियन एक्सप्रेस की खबर में अच्छा खासा अंश हिन्दी में है। इससे लगता है कि भाषण पूरा नहीं तो काफी कुछ हिन्दी में भी होगा फिर भी हिन्दी में कम छपना जबकि राहुल बजाज की छवि के अनुकूल है, समझना मुश्किल नहीं है। हालांकि हिन्दी से अंग्रेजी और फिर अंग्रेजी से हिन्दी में हो सकने वाले भावानुवाद के अंतर का पाठकों को ख्याल रखना चाहिए।

इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर छपी इस खबर के शीर्षक का अनुवाद होगा, “शाह की मौजूदगी में बजाज ने कहा आपसे कोई नहीं कहेगा …. पता नहीं आपको आलोचना पसंद है कि नहीं”। उपशीर्षक है, “शाह ने कहा डरने की कोई जरूरत नहीं है, पर अगर मूड ऐसा ही है तो हम बेहतर करने के लिए तैयार हैं।” हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने या उससे पहले के अधपन्ने पर नहीं है। अधपन्ने पर एक सरकारी खबर है, जीएसटी के कारण परिवारों को 320 रुपए की मासिक बचत हुई – अध्ययन। यह अध्ययन किसने किया है इसका पता खबर को सरसरी तौर पर देखने से नहीं चला। उपशीर्षक है, प्रभाव – सुधार से अप्रत्यक्ष कर का बोझ कम हुआ है – सरकारी नोट। खबर के अंदर कहा गया है कि यह जानकारी वित्त मंत्रालय के आंतरिक नोट से मिली है जिसे हिन्दुस्तान टाइम्स ने देखा है। आगे कहा गया है कि यह नोट मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है।

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मैं इस खबर के विस्तार में जाउंगा तो विषयांतर हो जाउंगा पर मेरा मानना है कि इसे अंदर करके राहुल बजाज की खबर पहले पन्ने पर हो सकती थी। वैसे, राहुल बजाज का यह भाषण इकनोमिक टाइम्स अवार्ड्स कार्यक्रम का है और अखबारों की अपनी प्रतिद्वंदिता और इससे संबंधित नियमों के कारण नहीं हो तो मैं नहीं कह सकता। हालांकि, खबर को तो खबर है, फिर भी। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर चार कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ लीड है। शीर्षक हिन्दी में कुछ इस प्रकार होगा, पहले की गलतियां सुधार ली गई हैं, डर की कोई बात नहीं है : इंडिया इंक से शाह। इसके साथ इंट्रो है, भरोसा रखिए, हम मंदी से बाहर निकलेंगे। अनुवाद से बचने के लिए इस खबर को हिन्दी में गूगल सर्च किया तो सिर्फ दैनिक जागरण का लिंक मिला।

दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में यह खबर पहले पन्ने पर तो नहीं है। लिंक की खबर का शीर्षक है, “अमित शाह ने कहा- देश में डर का माहौल नहीं, मोदी सरकार का हर कार्य पारदर्शी है”। लगभग ऐसा ही शीर्षक टाइम्स ऑफ इंडिया में है। अखबार में यह खबर चार कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ लीड है। शीर्षक हिन्दी में कुछ इस प्रकार होगा, पहले की गलतियां सुधार ली गई हैं, डर की कोई बात नहीं है : इंडिया इंक से शाह। इसके साथ इंट्रो है, भरोसा रखिए, हम मंदी से बाहर निकलेंगे। इस शीर्षक से हिन्दी में कई खबरें है।

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द टेलीग्राफ ने भी इस खबर को लीड बनाया है। फ्लैग शीर्षक है, “अमित शाह के लिए कॉरपोरेट झटका”। मुख्य शीर्षक का भाव कुछ ऐसा है, “एक राहुल ने घेरा आज के शेर को”। अखबार का जो शीर्षक है उसे आप ऐसे भी देख सकते हैं, “डरावनी बिल्ली के गले में एक राहुल ने बांध दी घंटी”। इसका एक वाक्य है, “…. मैं हर किसी के लिए नहीं बोल सकता, पर मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए। यहां लोग हंस रहे हैं, कि जाओ, टांग दिए जाओगे (हंसी) …। राहुल बजाज के भाषण से जैसा द टेलीग्राफ में छपा है (अनुवाद मेरा)। navjivanindia dot com में मुझे इस खबर का अनुवाद मिल गया जिसका शीर्षक है, खुलकर बोलने में मोदी सरकार से डर लगता है’: अमित शाह से बोले उद्योगपति राहुल बजाज। उपशीर्षक है, उद्योगपति राहुल बजाज ने मोदी सरकार को भरी महफिल में आइना दिखा दिया। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में कहा, आपकी आलोचना करने में डर लगता है। पहले ऐसा नहीं था।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की आर्थिक स्थिति बदहाल होने और मंदी के जो कारण गिनाए थे, उसमें सबसे बड़ा कारण लोगों में व्याप्त भय और भरोसे की कमी बताया था। अगले ही दिन शनिवार को मशहूर उद्योगपति राहुल बजाज ने भरी महफिल में लाइव टेलीविज़न के सामने मोदी सरकार को आइना दिखा दिया। इकोनॉमिक टाइम्स अवार्ड्स कार्यक्रम में जिस समय मंच पर गृहमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल बैठे थे, राहुल बजाज ने खुलकर कहा कि आपसे डर लगता है। उन्होंने अपने छोटे भाषण में लड़खड़ाती आवाज में कहा कि भले ही कोई न बोले, लेकिन मैं कह सकता हूं कि आपकी आलोचना करने में हमें डर लगता है, कि पता नहीं आप इसे कैसे समझोगे। राहुल बजाज ने कहा, “हम यूपीए-टू सरकार को गाली दे सकते थे, लेकिन डरते नहीं थे, तब हमें आजादी थी। लेकिन आज सभी उद्योगपति डरते हैं कि कहीं मोदी सरकार की आलोचना महंगी न पड़ जाए।”

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उन्होंने कहा, हमारे मन में है, लेकिन कोई इंडस्ट्रियलिस्ट बोलेगा नहीं, हमें सरकार से एक बेहतर जवाब चाहिए, सिर्फ इनकार नहीं चाहिए, मैं सिर्फ बोलने के लिए नहीं बोल रहा हूं, एक माहौल बनाना पड़ेगा, मैं पर्यावरण और प्रदूषण की बात नहीं कर रहा हूं, यूपीए-टू में तो हम किसी को भी गाली दे सकते थे, वह अलग बात है, आप अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन हम खुलकर आपकी आलोचना करें, तो भरोसा नहीं है कि आपको बुरा नहीं लगेगा, मैं गलत हो सकता हूं, लेकिन वह सबको लगता है कि ऐसा है, मैं सबकी तरफ से नहीं बोल रहा हूं, मुझे यह सब बोलना भी नहीं चाहिए, क्योंकि लोग हंस रहे हैं कि चढ़ बेटा सूली पर….”

राहुल बजाज ने बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर के गोडसे वाले बयान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि, “सब जानते हैं कि जिसने गांधी जी की हत्या की, इसमें किसी को शक है क्या किसी को, पहले भी बोली थीं, फिर सफाई दी, आपने टिकट दिया, जीत गईं और आपकी सपोर्ट से ही जीती हैं, उन्हें कोई जानता नहीं था, फिर आपने उन्हें समिति में शामिल कर दिया, प्रधानमंत्री ने कहा था कि मैं उन्हें दिल से माफ नहीं कर सकता, फिर भी सलाहकार समिति में ले आए…..” जनसत्ता के मुताबिक, “खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी, आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला और भारती एंटरप्राइजेस के सुनील भारती मित्तल भी मौजूद थे।”

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राहुल बजाज के इस बयान के बाद बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है।” प्रज्ञा ठाकुर वाले मामले पर शाह ने कहा कि, “प्रज्ञा ठाकुर ने जो कुछ कहा हम उसकी निंदा करते हैं।” अर्थव्यवस्था के मामले में अमित शाह ने कहा कि, “2004 से 2014 के बीत कुछ ऐसी घटनाएं हुई। इससे साफ हो जाएगा अगर आप हमारे वित्तीय आंकड़े देखेंगे।” जनसत्ता के अनुसार अमित शाह ने कहा, बजाज के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि अगर वह कह रहे हैं कि कोई खास तरह का माहौल बन गया है तो किसी को डरने की जरूरत नहीं है। शाह ने कहा कि हमें मिलकर इस माहौल को बदलने की कोशिशें करनी होगी। अमित शाह ने कहा, ‘मगर फिर भी आप जो कह रहे हैं कि एक माहौल बना है, हमें भी माहौल को सुधारने का प्रयास करना पड़ेगा…लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि किसी को डरने की कोई जरूरत नहीं है…ना कोई डराना चाहता है…ना कुछ ऐसा करा है जिसके खिलाफ कोई बोले तो सरकार को चिंता है…यह सरकार बेहद पारदर्शी ढंग से चली है, और हमें किसी भी प्रकार के विरोध का डर नहीं है, और कोई करेगा भी तो उसके मेरिट्स देखकर हम अपने आप को इंप्रूव करने का प्रयास करेंगे।’

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से.

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1 Comment

1 Comment

  1. Abhishek

    December 1, 2019 at 6:36 pm

    जो डर की बात करते हैं, उन्हें झारखंड के उन इलाकों में जाना चाहिए जहां कुछ दिन पहले तक दिन के उजाले में डर और भय से रूह कांपती थी। आज रांची से चतरा, औऱ पलामू के लिए रात भर बसें चल रही हैं। और पहले 3 बजे आखिरी बस होती थी जो उस रूट में जाती थी। यह था डर। 5 बजे के बाद उस इलाके से गुजरना बिना बुलाये खतरे को निमंत्रण देना होता था। यह था डर। अब जो डर है वह कृत्रिम है। मुट्ठी भर लोगों के द्वारा सैंकड़ों लोगों में फैलाया भरम भर है।

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