Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

रायपुर महोत्सव में शामिल वामंपथियों, महिलावादियों, प्रगतिशीलों को श्रीफल मिलेगा!

Vyalok Pathak : अवांतर प्रसंगः शर्म इनको क्यों कर नहीं आती? रायपुर में एक महोत्सव हो रहा है- साहित्य का। वहां की घोर सांप्रदायिक, जातिवादी, स्त्रीविरोधी, सलवा-जुडूम को शुरू करनेवाली, आम जन शोषक, आदिवासी-विरोधी आदि-इत्यादि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के नेतृत्व में। अब इसमें भाग लेनेवाले नामचीनों पर गौर कीजिए। पहला नाम, माननीय पुरुषोत्तम अग्रवाल का है, जो अमूमन एंटरटेनमेंट चैनल पर अपना ढाका जैसा (भोजपुरी भाषी इसे समझ जाएंगे) मुंह खोलकर दक्षिणपंथ के खिलाफ विष-वमन करते रहते हैं। अब वहां जाकर श्रीफल लेंगे।

<p>Vyalok Pathak : अवांतर प्रसंगः शर्म इनको क्यों कर नहीं आती? रायपुर में एक महोत्सव हो रहा है- साहित्य का। वहां की घोर सांप्रदायिक, जातिवादी, स्त्रीविरोधी, सलवा-जुडूम को शुरू करनेवाली, आम जन शोषक, आदिवासी-विरोधी आदि-इत्यादि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के नेतृत्व में। अब इसमें भाग लेनेवाले नामचीनों पर गौर कीजिए। पहला नाम, माननीय पुरुषोत्तम अग्रवाल का है, जो अमूमन एंटरटेनमेंट चैनल पर अपना ढाका जैसा (भोजपुरी भाषी इसे समझ जाएंगे) मुंह खोलकर दक्षिणपंथ के खिलाफ विष-वमन करते रहते हैं। अब वहां जाकर श्रीफल लेंगे।</p>

Vyalok Pathak : अवांतर प्रसंगः शर्म इनको क्यों कर नहीं आती? रायपुर में एक महोत्सव हो रहा है- साहित्य का। वहां की घोर सांप्रदायिक, जातिवादी, स्त्रीविरोधी, सलवा-जुडूम को शुरू करनेवाली, आम जन शोषक, आदिवासी-विरोधी आदि-इत्यादि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के नेतृत्व में। अब इसमें भाग लेनेवाले नामचीनों पर गौर कीजिए। पहला नाम, माननीय पुरुषोत्तम अग्रवाल का है, जो अमूमन एंटरटेनमेंट चैनल पर अपना ढाका जैसा (भोजपुरी भाषी इसे समझ जाएंगे) मुंह खोलकर दक्षिणपंथ के खिलाफ विष-वमन करते रहते हैं। अब वहां जाकर श्रीफल लेंगे।

इसके अलावा केदारनाथ सिंह का भी नाम छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने पोस्टर पर दिया है, वह गए या नहीं, यह मुझे पता नहीं है। लीलाधर मंडलोई जैसे महान नर-पुंगव और क्रांतिकारी कवि तो बानगी भर हैं, उन प्रगतिशीलों, स्त्री-अधिकारवादियों, आदिवासियों के अलंबरदारों की, जो इस महोत्सव में जाकर अपनी झोली भरने वाले हैं। धन्य हैं, ये महापुरुष। इन्हीं से यह सब संभव हो सकता है, क्योंकि हमारे यहां मैथिली में एक कहावत है- निर्लज्जा के पाछा मं गाछ जनमलइ, त कहलक, जे भने जनमल….छांहरि त भेल। नोटः इन सबसे बेहतर तो इस पीढ़ी के @Avinash Das ही रहे, जो जिस किसी भी दबाव के तहत, पर जाना टाल गए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दक्षिणपंथी पत्रकार व्यालोक पाठक के फेसबुक वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. rajkumar

    December 14, 2014 at 7:04 am

    Kamredo tumare din lad gaye h rusi v chini dhan par palne vale parjivi akramany budhijivi kahlane valo ab bhi apni dharti v apni sanskriti ko samjho, mecale ke datak putro tum logo ne des ka bahut nukasan kiya h ab prayschit karne ka samay h bokhalane ka nahi

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement