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सम-विषम के खिलाफ ट्वीट करने वाले दैनिक जागरण के राजकिशोर की नौकरी अरविंद केजरीवाल के चलते गई?

फेसबुक पर सुगबुगाहट है कि अरविंद केजरीवाल की सम विषम योजना के खिलाफ दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो चीफ राजकिशोर को ट्वीट करना महंगा पड़ा है और अरविंद केजरीवाल की जिद के कारण राजकिशोर को दैनिक जागरण प्रबंधन ने नौकरी से हटा दिया है. फेसबुक पर लोग अरविंद केजरीवाल को कोसने में लगे हैं लेकिन असल अपराधी तो दैनिक जागरण प्रबंधन है जो दिल्ली सरकार के विज्ञापन के लालच में राजकिशोर को बलि का बकरा बनाने को तैयार हो गया. दैनिक जागरण हमेशा ऐसा करता रहा है. पटना हो या लखनऊ हो या दिल्ली, वह सत्ता के आगे घुटने टेक कर अपने पत्रकारों की बलि देते हुए रेवेन्यू का रास्ता साफ करने की परंपरा कायम रखता है. नीचे एफबी के दो वो पोस्ट हैं जिससे पता चलता है कि राजकिशोर, दैनिक जागरण और केजरीवाल के बीच कुछ न कुछ तो हुआ है….

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फेसबुक पर सुगबुगाहट है कि अरविंद केजरीवाल की सम विषम योजना के खिलाफ दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो चीफ राजकिशोर को ट्वीट करना महंगा पड़ा है और अरविंद केजरीवाल की जिद के कारण राजकिशोर को दैनिक जागरण प्रबंधन ने नौकरी से हटा दिया है. फेसबुक पर लोग अरविंद केजरीवाल को कोसने में लगे हैं लेकिन असल अपराधी तो दैनिक जागरण प्रबंधन है जो दिल्ली सरकार के विज्ञापन के लालच में राजकिशोर को बलि का बकरा बनाने को तैयार हो गया. दैनिक जागरण हमेशा ऐसा करता रहा है. पटना हो या लखनऊ हो या दिल्ली, वह सत्ता के आगे घुटने टेक कर अपने पत्रकारों की बलि देते हुए रेवेन्यू का रास्ता साफ करने की परंपरा कायम रखता है. नीचे एफबी के दो वो पोस्ट हैं जिससे पता चलता है कि राजकिशोर, दैनिक जागरण और केजरीवाल के बीच कुछ न कुछ तो हुआ है….

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Shweta R Rashmi : अरविंद केजरीवाल, आशुतोष जी आप दोनों से मैं पूछना चाहती हूँ कि सम विषम योजना के खिलाफ एक ट्वीट दैनिक जागरण के एक पत्रकार को आखिर क्यों इतना भारी पड गया कि उनको नौकरी से हाथ धोना पड गया। क्या लोगों की परेशानियों और खुद के अनुभव जो इस तुगलकी योजना के कारण उन्हें उठानी पड़ी? तुगलकी इसलिए क्योंकि इस योजना को लागू करके आपने अपनी पीठ तो थपथपाकर वाहवाही तो खूब लूटी पर पब्लिक यातायात की व्यवस्था इतनी लचर हैं, कि पैसे वालों ने तो दूसरी गाडियां खरीद ली और भुगतान करना पडा आम नागरिक को जिनके हितैषी बनने का दावा आप करते हैं। पानी और बिजली के बिल माफ कर देने से सरकार नहीं चलती।

आप के विधायक कभी अपने क्षेत्रों का दौरा नहीं करते, डेंगू का सीजन शुरू हो चुका है पर साफ सफाई पर आपका कोई लेना देना नहीं है। पूछने पर कहते हैं कि अवैध कॉलोनियों के रखरखाव का जिम्मा उनका नहीं है पर बेशर्मी की पराकाष्ठा तो देखिए फिर भी वोट मांगने पहुंच जाते हैं। दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में मेन हाल में गिरकर बच्चों की जाने जा रही है। पर आप लोगों की कान पर जू रेंगने तक को तैयार नहीं। जरनैल के जूते पर इतना प्यार उंडेल कर आपने विधायक बना दिया। वह भी अपना पूपूरा दम लगा कर खालिस्तान की मांग विदेशों में जा कर जोड शोर से करते हैं। उसी संस्थान के दूसरे पत्रकार की नौकरी ही आप के खास मंत्रियों ने खा ली। ये तानाशाही नहीं तो और क्या है। मेरे दुसरे साथियों से अनुरोध है कि इस मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद कर के एक आवाज बने। जागरण का चरित्र तो हम मजीठिया के मामले में देख ही चूके है। पर सरकार को इस पर जवाब जरूर देना चाहिए क्योंकि आप आम आदमी की बात करते हैं एक बेचारे आम रिपोर्टर के साथ जो भी किया क्या वो जायज है।

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Rajeev Kumar : राजधानी दिल्ली में एक राष्ट्रीय समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार को अति लोकतांत्रिक कहे जाने वाले दिल्ली के अति लोकप्रिय कथित तौर पर अति लोकतांत्रिक नेता के गुस्से का शिकार होना पड़ा। वरिष्ठ पत्रकार की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने अपने निजी अकाउंट से सिर्फ अपनी तारीफ सुनने वाले उस नेता को लेकर ट्वीटर पर टिप्पणी की थी। बस। कोई गाली नहीं दी थी। लेकिन सत्ता तो सत्ता होती है। इसके आगे सभी नतमस्तक होते हैं। तभी तो मुझे भी पत्रकार का नाम और उस नेता का नाम सार्वजनिक तौर पर लिखने में डर लग रहा है। कहीं मेरी नौकरी भी नहीं चली जाए।

मीडिया से लेकर सत्ता के गलियारे तक के सभी वरिष्ठ नेताओं व पत्रकारों को इस बात की जानकारी है। लेकिन इस मसले को लेकर कभी टीवी शो पर चर्चा नहीं की गई। क्योंकि टीवी शो आयोजकों को भी यह डर है कि इस प्रकार के शो आयोजन के बाद कल से वह टीवी के चकाचौंध से दूर न हो जाएं। रोज लोकतंत्र की दुहाई देने वाली पत्रकार बिरादरी कितना लाचार, कितना बेबस होती है, इसका अंदाजा आम जनता को भले ही नहीं हो, नेताओं को जरूर हो गया है। ज्यादा नहीं लिखूंगा, किसी नेता को ये बातें बुरी लग जाए और क्या पता वह मेरे खिलाफ भी कार्रवाई की जिद कर बैठे।

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श्वेता रश्मि और राजीव कुमार के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Pankaj Kumar

    May 28, 2016 at 3:39 pm

    राजकिशोर जी बड़े पत्रकार हैं, लेकिन वह टिवट बेहद आपत्तिजनक था जिसकी उम्‍मीद नहीं की जा सकती। ऑड इवन का विरोध किया जा सकता है हालांकि उसके विरोध करने के बड़े कारण नहीं है लेकिन इस विरोध के चक्‍कर में मुख्‍यमंत्री की तुलना एक क्रूर शासक से करना शर्मनाक है। हालांकि, इनकी नौकरी छिनकर अरविंद केजरीवाल ने भी ओछी हरकत की है।

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