देशभटक पांड़े का माइंड सुन्न होने लगा है… दशहरा सिर पर है और तैयारी पांव पर.. नाटक के रिहर्सल के लिए एक्टर लोग टाइम पर पहुंचते ही नहीं हैं… पिछली तीन बार से परोरहां की टोली सारी ताली बटोर ले जा रही है..बटोरेगी काहे नहीं…पूरा एक महीना रिहर्सल करते हैं वहां के एक्टर .. और अमवा मझार के एक्टर..बाप रे बाप…कोई चार दिन के लिए ससुराल चला जाएगा तो किसी की भैंस बथान से खुला जाएगी… आ बेतिया के मेला में जा के जगहंसाई कराके लौट आएंगे सबलोग…लेकिन इस बार देशभटक पांड़े साफ बोल दिए हैं कौनो झोलझाल नहीं चलेगा.. रिहर्सल होगा तो पूरा होगा नहीं तो बेतिया मेले में अमवा मझार का नाटक कैंसिल..
प्रमोद काका लगे हुए हैं.. नाटक लिखा जा रहा है.. लिखा का जा रहा है पढ़ा जा रहा है.. रामनगर बनकट के हातिम अंसारी के घर पड़ी नाटकों की कई किताबें प्रमोद काका के सिरहाने पड़ी हुई हैं…. अभी यही नहीं बुझा रहा है कि किसमें से क्या-क्या और कितना लपेटना है…. देशभटक पांड़े और प्रमोद काका आजकल घर का कोई काम नहीं कर रहे हैं…. सबको बता दिया है कि ड्रामा की तैयारी चल रही है… तैयारी के लिए दोनों रोज एक बार हाई स्कूल का दौरा कर रहे हैं…. वहां हॉस्टल में कहां रिहर्सल होगा इसपर मंथन कर रहे हैं… फिर दोनों तिवारी टोला के आम के बगीचे में पहुंचते हैं … वहीं पहले हो चुके नाटकों की गहन समीक्षा करते हैं…
शाम में धनौती नदी के किनारे स्टोरी पर चर्चा होती है… बस खाने-पीने के लिए ही घर आ पाते हैं दोनों.. और सारी मेहनत के बाद राजा निरबंसिया की कहानी फाइनली तय हो गई… स्कूल के हॉस्टल के एक कमरे में संभावित एक्टर के साथ गांव के फुरसतहा लोग जुट गए हैं… देशभटक पांड़े ने दो बार गला साफ कर लिया है… बैठे-बैठे देशभटक पांड़े उवाच रहे हैं… जिनको बीड़ी-सिगरेट पीनी है ऊ लोग कमरे से बाहर निकल जाएं, इहां सुरसती माई का अरधना हो रहा है और लगे इहें सिगरेट धूकने… सिगरेट-बीड़ी वाले धीरे-धीरे निकलने लगे… एक बार जयकारा..सुरसती माई की जय…
देशभटक पांड़े आगे बोलते हैं..भाई लोग स्टोरी फाइनल हो गया है..राजा निरबंसिया… प्रमोद काका ने लिख के रेडी कर दिया है… एक बार सबलोग कहानी सुन लीजिए फिर अभिए सबका रोल तय हो जाएगा… देशभटक पांड़े अभी कुछ बोलना ही चाह रहे थे कि गोनहा वाले पंकज मिसिर भभक गए.. एक बात सुन लीजिए पांड़े भाई…अबकी बार मैं लड़की का रोल नहीं करूंगा.. पिछली बार लड़की का रोल किया था तो तीन पहीने तक चलने से लेकर बोलने में लड़कियों वाले लक्षण रह गए थे और चिढ़ाने वाले आज भी चिढ़ा रहे हैं… पंकज मिसिर ने चिढ़ाने वाली लाइन ऐसे बोली जैसे लजाई हुई कोई लड़की बोल रही हो… घुटनी बाबा ने पंकज मिसिर को डांट दिया… ई मिसिरवा बोकलोले है…पहिले कहनिया तो सुन लो.. अब बारी प्रमोद काका की है… भाई लोग स्टोरी का टाइटल है राजा निरबंसिया राजा… बेतिया में शाही परिवार के राज से पहिले एक निरबंसिया राजा का राज था… राजा को बाल-बच्चा नहीं था इसलिए लोग उसे राजा निरबंसिया कहते थे…
राजा का मंत्री क्रूर शाह बड़ा क्रूर था… ऊ जनता पर बहुते अत्याचार करता था… राजा निरबंसिया जानता था कि मंत्री शाह के अत्याचार की वजह से ही वो राजा बना है इसलिए शाह जब भी परजा पर जुलुम करता था राजा निरबंसिया बहुत खुश होता था… जो लोग राजा निरबंसिया और उसके मंत्री के जुल्म के खिलाफ बोलते थे उनके पूरे परिवार को देशद्रोही बताकर मार दिया जाता था.. इस तरह राजा निरबंसिया का राजकाज चल रहा था… एक बार बेतिया राज में अकाल पड़ गया… बारिश हुई ही नहीं… पोखर-तालाब तो सूखे ही नदियां भी सूख गईं… जनता त्राही-त्राही करने लगी… पानी के लिए तरसते लोगों ने राजा निरबंसिया से गुहार लगाई… लेकिन राजा निरबंसिया ने महल के तलाब का पानी किसी को नहीं दिया… लोग-बाग मरने लगे… जनता में राजा निरबंसिया के खिलाफ ग़ुस्सा बढ़ने लगा…
लोगों ने मंत्री क्रूर शाह की बात मानने से इनकार कर दिया….. राजा निरबंसिया को जब लगा कि कहीं किसी दिन लोग उसे राजा मानने से इनकार न कर दें तब उसने अपने मंत्री को बुलाया… राय-मशवीरे के बाद राजा निरबंसिया ने ऐलान किया कि सूखे से त्रस्त जनता से वो खुद मिलेगा… इसके लिए बेतिया के बड़का रमना में जनता को आना होगा… पानी की समस्या का समाधान वहीं खोजा जाएगा … जिनको समाधान चाहिए उनको पहले समाधान कर देना होगा… पानी बिना मर रही जनता ने घर में बचे सामान वगैरह का सौदा किया और कर के पैसे लेकर बड़ा रमना मैदान पहुंच गई…
पहिले राजा निरबंसिया के मंत्री क्रूर शाह मंच पर पहुंचा और जनता को बताया कि राजा निरबंसिया से पहिले जो राजा थे वो बड़े पापी थे… वो अभी इतना ही बोल पाया था कि भीड़ से आवाज आई ये झूठ है… वो बड़े धर्मात्मा था, परजा का धेयान रखने वाले राजा था… लोगों ने इतना बोला ही था कि उनकी पीठ पर कोड़े बरसने लगे, उनको पड़ोसी देश का दलाल कहकर गिरफ्तार किया जाने लगा… जान बचाने के लिए भीड़ में शामिल कुछ लोग चुप हो गए और बाकी कुछ लोग राजा निरबंसिया की जयकार करने लगे… मंत्री क्रूर शाह ने फिर बोलना शुरू किया और कहा कि पहिले वाले राजा के पापों की वजह से अकाल पड़ा है… अब महाराज आपके लिए चांद पर से पानी लाने वाले हैं….वहां के राजा को महराज ने खबर भिजवा दी है…. इस साल जिनको पानी के बिना मरना है वो मरें जो लोग बच जाएंगे अगले साल उनके अच्छे दिन आएंगे….
इसके बाद राजा निरबंसिया मंच पर आया… राजा निरबंसिया ने बोलना शुरू किया… मितरों… देश की खातिर जान देने वाले अमर हो जाते हैं…मितरों… पानी से ज्यादा ज़रूरी है देश से प्यार करना… तो आइए राष्ट्रवाद की खातिर अपना सबकुछ टैक्स के ज़रिए हमारे खजाने में जमा कीजिए..क्योंकि आज नहीं तो कल पानी बिना तो आपको मरना ही है… बावजूद इसके जो लोग बच गए उनसे फिर हम अगले साल कर ले लेंगे… प्रमोद काका ने इतना कहकर गिलास भर पानी पिया और फिर बोले कहानी का बाकी हिस्सा कल…
असित नाथ तिवारी
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ambrish
September 19, 2017 at 1:41 pm
अति उत्तम चित्रण
Shweta
September 19, 2017 at 6:22 pm
Bahut khub 🙂 outstanding.
Ashhar
September 19, 2017 at 6:25 pm
Nice sir
Wesal
September 19, 2017 at 7:17 pm
Wow ! Its sarcastic… the true reflection of reality !
Vineet Kumar Sharma
September 20, 2017 at 2:32 pm
मस्त है सर, बहुत खूब
Vijay Gupta
February 16, 2018 at 9:02 am
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मनीष पांडेय
November 8, 2018 at 8:56 am
लल्लनटॉप