राजस्थान पत्रिका अखबार से खबर है कि रेवेन्यू न मिलते देख प्रबंधन ने अखबार के कई एडिशन पर ताला लगा दिया है. इससे ढेर सारे मीडियाकर्मी बेरोजगार हो रहे हैं. ऐसा करके राजस्थान में पत्रिका ने अपने प्रतिद्वंदी दैनिक भास्कर के लिए मैदान छोड़ दिया है.
सूत्रों ने खबर दी है कि राजस्थान पत्रिका के बीकानेर, गंगानगर, नागौर, बाडमेर, बांसवाडा और भीलवाडा संस्करणों को बंद कर दिया गया है. वहां से संपादकों को हटा दिया गया है. उनके स्थान पर चार रिपोर्टर लगा दिए हैं. इन सभी संस्करणों के पेज अब उदयपुर-जोधपुर में बनाए जाएंगे.
सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश में रतलाम, उज्जैन, खंडवा, सतना, सागर और होशंगाबाद संस्करण बंद कर दिए गए हैं.
बताया जाता है कि अखबार के युवा मालिक निहार कोठारी अपने प्रयोगों में पिट गए हैं. पत्रिका के टीवी चैनल का प्रयोग भी फेल हो गया है. दो साल पहले सर्कुलेशन का काम संपादकीय विभाग को दे दिया था, वह भी फेल हो गया है. ऐसे में पत्रिका को मजबूरी में अपने बड़े संस्करणों को भी बंद करना पड़ रहा है.
राजस्थान पत्रिका में पिछले कुछ सालों से सत्यानाश का दौर चल रहा है. पत्रिका के मालिकों ने अपने रिश्तेदारों को मैनेजर और जीएम बना रखा है. वे बरसों से एक ही जगह जमे हुए हैं. सारे रिश्तेदार पत्रिका को जोंक की तरह चूस रहे हैं. पत्रिका के मालिक अपने रिश्तेदारों का कभी तबादला नहीं करते लेकिन संपादकों को जब चाहे तभी बदल दिया जाता है. इसके चलते अनेक अच्छे लोग पत्रिका छोड़ कर चले गए हैं.
चर्चा है कि जल्दी ही सीकर, अलवर और कोटा संस्करण को भी बंद किया जा सकता है. इन्हें ब्यूरो बना दिया जाएगा. हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि अलवर और कोटा संस्करण अभी काफी लाभ में हैं. पत्रिका ने अपने आधे से अधिक संस्करण ब्यूरो में बदल दिए हैं. प्रबंधन के लोगों का कहना है कि घाटा न हो, इसके लिए रिस्ट्रक्चरिंग किया गया है.
Niraj shukla
January 24, 2020 at 12:09 pm
कर्मचारी मजीठिया मांग रहे हैं। इसलिए घाटा दर्शाकर उनका हक मारने का कोई षड्यंत्र लग रहा है।
संजय बिसेन
January 24, 2020 at 5:59 pm
पत्रिका में मध्यप्रदेश और राजस्थान कर्मचारियों के बीच भारत पाकिस्तान की स्थिति निर्मित करना, राजस्थानी कर्मचारियों पर अतिविश्वास करना। गृह जिले से सम्पादकीय कर्मचारियों का तबादला और रही सही कसर मजीठिया पत्रिका की इस स्थिति के लिए जिमेमदार है।
विनोद
January 24, 2020 at 9:55 pm
इस खबर में सत्यता नहीं है। मैं गंगानगर एडिशन में काम करता हूँ । ये झुटी खबर है
Suave
January 27, 2020 at 4:45 am
Kyu juth bol rahe ho….Ujjain Ratlam banswara sikar bhilwara ka to muje pata he.. In edition ko buero bana dia he..
मोहर सिंह मीणा
January 25, 2020 at 10:02 am
मीडिया हाऊस कहना उचित नहीं है। दुकानें कहिए। यह दुकानें अपने सेल्समैन (पत्रकारों) का शोषण कर रहे हैं। सोशल मीडिया के मजबूती से खड़े होने से जमी हुई दुकानों के पैर उखाड़ने तय हैं।