Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

मार खाएं, घाटा हो जाए, फंस जाएं, सरकार बकाया निकाल दे तो पत्रकार हो जाएंगे

(File Photo Sanjay Kumar Singh)

Sanjaya Kumar Singh : कई मित्रों ने कहा कि राजदीप सरदेसाई की पिटाई पर मैंने नहीं लिखा। साथी Sumant ने कहा है, “…. हमारी खामोशी भी पत्रकारिता के गिरते स्तर की गुनहगार है संजय भाई …..।” सुमंत से असहमत होने का कोई कारण नहीं है। कैश फॉर वोट स्कैम और उसकी लापता सीडी का मामला आपको याद होगा। एक मामला मैं और याद दिलाता हूं। हर्षद मेहता ने एक कॉलम लिखना शुरू किया था और उसका हिन्दी अनुवाद मुझे हिन्दी के अखबारों में छपवाना था। उस समय कई संपादकों ने कहा था कि हर्षद मेहता का कॉलम नहीं छापेंगे। हर्षद मेहता होते तो आज अखबार या चैनल भी चला रहे होते और वो संपादक उनकी नौकरी बजा रहे होते। पर वो अलग मुद्दा है। उस समय इतनी नैतिकता तो थी इनमें।

(File Photo Sanjay Kumar Singh)

Sanjaya Kumar Singh : कई मित्रों ने कहा कि राजदीप सरदेसाई की पिटाई पर मैंने नहीं लिखा। साथी Sumant ने कहा है, “…. हमारी खामोशी भी पत्रकारिता के गिरते स्तर की गुनहगार है संजय भाई …..।” सुमंत से असहमत होने का कोई कारण नहीं है। कैश फॉर वोट स्कैम और उसकी लापता सीडी का मामला आपको याद होगा। एक मामला मैं और याद दिलाता हूं। हर्षद मेहता ने एक कॉलम लिखना शुरू किया था और उसका हिन्दी अनुवाद मुझे हिन्दी के अखबारों में छपवाना था। उस समय कई संपादकों ने कहा था कि हर्षद मेहता का कॉलम नहीं छापेंगे। हर्षद मेहता होते तो आज अखबार या चैनल भी चला रहे होते और वो संपादक उनकी नौकरी बजा रहे होते। पर वो अलग मुद्दा है। उस समय इतनी नैतिकता तो थी इनमें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पर अब? मुझे सुभाष गोयल उर्फ सुभाष चंद्रा याद आते हैं। सुना है अपने चैनल पर लोगों को उद्यम चलाना सीखा रहे हैं। ये कैसे पत्रकार? धंधेबाज हैं। पैसे कमाना लक्ष्य है। मार खाएं, घाटा हो जाए, फंस जाएं, सरकार बकाया निकाल दे तो पत्रकार हो जाएंगे। ऐसे पत्रकारों को मैं पत्रकार नहीं मानता। उनकी पिटाई को पत्रकार की पिटाई नहीं मानता। वैसे भी खिलाड़ी पिता का पत्रकार बेटा राजदीप सरदेसाई पत्रकारिता की एक दुकान खड़ी करके उसे 4000 करोड़ रुपए में बेच चुका है। 4000 करोड़ रुपए का मालिक बनने के लिए उसने पत्रकारिता के साथ-साथ तमाम हथकंडे अपनाए होंगे। ऐसे को दुनिया पत्रकार माने तो माने मैं नहीं मानता। ऐसे लोगों की पिटाई के कई कारण हो सकते हैं, भले ही प्रत्यक्ष तौर पर पत्रकारिता दिखाई दे। रामनाथ गोयनका को पत्रकार माना जा सकता है पर राजदीप सरदेसाई और रजत शर्मा को पत्रकार मानना मुझे नहीं जम रहा। अब तो सुभाष गोयल भी पत्रकार हैं – सरकारी मान्यता से लेकर दिल्ली में बंगला झटक लें तो हम-आप क्या कर लेंगे। पर ये ऐसे पत्रकार हैं जो पत्रकारिता के साथ सारे धंधे करेंगे और पिटेंगे तो पत्रकार हो जाएंगे।

जनसत्ता अखबार में काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से. 

Advertisement. Scroll to continue reading.

(File Photo Mukesh Yadav)

Mukesh Yadav :राजदीप मारपीट प्रकरण में अब दूसरे पक्ष का विडियो सामने आया है! अगर पहला विडियो राजदीप द्वारा प्रायोजित था तो दूसरा सुब्रामण्यम स्वामी (बीजेपी) द्वारा प्रायोजित नहीं होगा इस बात की क्या गारंटी है? गौरतलब है कि दोनो ही विडियो बस कुछ सेकंड के हैं! एक में राजदीप पर हमला होते हुए दिख रहा है तो दूसरे विडियो में राजदीप खुद हमलावर है! आखिर इस पूरे सिलसिले को समेटता हुआ मास्टर विडियो कहाँ है? बेशक इस मामले में अब थर्ड पार्टी इन्वेस्टीगेशन होना ही चाहिए, तब तक निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी…जो भी दोषी होगा मेरी तरफ से उसकी एडवांस में निंदा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जो मित्र ‘दूसरे विडियो’ में राजदीप को आक्रामक मुद्रा में देख निष्कर्षत: उसे विलेन घोषित कर चुके हैं, वे जल्दबाजी में संभवत: अर्ध सत्य ही देख पा रहे हैं! उन्हें कुछ दूसरे विडियो खोजकर देखने चाहिए। इनमें एकदम साफ नजर आ रहा कि आरएसएस के स्वयं सेवकों ने किस कदर राजदीप की घेराबंदी की हुई है और लगातार अपमानित कर रहे हैं! अगर आप मुझसे सहमत नहीं हो तो क्या बोलने नहीं दोगे? सवाल नहीं पूछने दोगे? रिपोर्टिंग नहीं करने दोगे? उलटे लांछन लगाओगे?…तुम्हारी ऐस्सी की तैस्स..! बस यही हुआ था। राजदीप का दोष सिर्फ इतना है कि – ही जस्ट गेट प्रोवोक्ड बाय दोज फासिस्ट्स! मैडिसन स्क्वायर में हुई इस घटना के माध्यम से आरएसएस ने न्यूज़ मीडिया को साफ़ सन्देश दे दिया है- या तो आप हमारे और हमारी सरकार के साथ हैं या फिर आप कहीं नहीं हैं! और आपके साथ भी वही किया जाएगा, जो तुम्हारे इस बंधु (राजदीप) के साथ हुआ है!…समझे की नहीं!

मीडिया से जुड़े रहे पत्रकार मुकेश यादव के फेसबुक वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. dileep kumar singh

    October 8, 2014 at 2:42 pm

    संजय जी मै आप से पूरी तरह सहमत हूं. बेबाकी से सच्ची बात रखने के लिए धन्यवाद . आप के इस लेखन से हम जैसे पत्रकारों कि हौसला अफजाई होती है .

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement