भारत के पत्रकार संगठनों के भीतर डेमोक्रेटिक स्पेस बहुत तेजी से खत्म हुआ है. प्रेस क्लब आफ इंडिया के प्रतिबंधित इलाके में बीड़ी पीने वाली महुआ चटर्जी का वीडियो बनाने के कारण यशवंत सिंह की सदस्यता खत्म कर दी गई तो अब प्रेस एसोसिएशन की कंप्लेन सरकार में करने के कारण राजीव रंजन नाग को निकाल दिया गया.
वरिष्ठ पत्रकार निर्निमेश कुमार ने राजीव रंजन नाग का पक्ष जाने बिना उन्हें प्रेस एसोसिएशन से निकाले जाने का विरोध किया और इसे पूरी तरह अलोकतांत्रिक कृत्य बताया है. नाग को प्रेस एसोसिएशन के एजीएम में बुलाकर उनका पक्ष सुना जाना चाहिए था, यही नेचुरल जस्टिस होता. वहीं, प्रेस एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि नाग को कई बार अपना पक्ष रखने के लिए लिखित तौर पर कहा गया लेकिन उन्होंने अपना जवाब नहीं भेजा.
इस प्रकरण पर वरिष्ठ पत्रकार निर्निमेश कुमार कहते हैं- ”It is an example of collective dictatorship. We are journalists. Must have the highest level of tolerance. Should not behave like a political party. Would have been a better strategy to let him go on voicing his views. He has challenged his suspension. It is pending. Another action was not required. The committee looked in a hurry to hang him. Hanging is not a solution.”
प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष जयशंकर गुप्ता का कहना है कि राजीव रंजन नाग को एक मेल प्रेस एसोसिएशन के महासचिव सी के नायक ने एक अगस्त को भेजा था. सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की गईं. उन्हें बार बार अवसर दिए गये. लेकिन प्रेस काउंसिल में प्रेस एसोसिएशन के (तत्कालीन अध्यक्ष) प्रतिनिधि के तौर पर एसोसिएशन के हितों के विरुद्ध किए गये अपने कार्यों का स्पष्टीकरण देने अथवा खेद व्यक्त करने के बजाय उन्होंने एसोसिएशन की कार्यकारिणी के अधिकार को ही चुनौती देनी शुरू कर दी थी.
इस प्रकरण पर राजीव रंजन नाग का कहना है कि नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस एसोसियेशन का दफ्तर उन्होंने काफी मेहनत से सरकार से आवंटित कराया था। आज उसका इस्तेमाल वीजा दिलाने, पासपोर्ट बनाने, एनजीओ चलाने, गलत लोगों को पीआईबी की मान्यता दिलाने के लिए किया जाता है. सरकार के खिलाफ ऱणनीति बनाने, प्रधानमंत्री के खिलाफ जुमले तैयार करने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का चरित्र हनन करने की योजनायें बनाने और सरकारी एजेंसियों के साथ लाइजनिंग करने के अड्डे के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। मैंने इस पर सवाल उठाया तो सी के नायक और जयशंकर गुप्त को नागवार गुजरा। हमारी शिकायत पर पीआईबी ने संज्ञान लिया और दफ्तर खाली करने का आदेश जारी कर दिया। पता चला है कि जयशंकर गुप्त और सी के नायक के पैनल का एक ऐसे संदिग्ध व्यक्ति ने समर्थन देने की अपील जारी की है जो संदिग्ध गतिविधियों के तहत पुलिस कस्टडी में बैठा दिख रहा है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए की रडार पर है। जयशंकर गुप्त उनके निमंत्रण पर चतरा / रांची जाकर उसको महिमा मंडित कर चुके हैं। टेलीग्राफ और दूसरे राष्ट्रीय /प्रादेशिक अखबारों ने इसे फोटो के साथ प्रमुखता से प्रकाशित भी किया है।
देखें मेल की वो कॉपी जो राजीव रंजन नाग को प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भेजा था….
Mr Rajveev Ranjan Nag
Member (suspended)
(Press Association)
New Delhi.
Dear Mr Nag,
Please note that the General Body Meeting of the Press Association will be held on August 16, 2019 at 2 pm at the Press Club of India, Raisina Raod, New Delhi.
Among other things the GBM will discuss about the resolution of the Executive Committee to expel you from primary membership of the Press Association on grounds of anti-association activities. As intimated to you earlier your Membership has been suspended on the recommendation of the Disciplinary Committee which look into the matter.
Now, you are given one more chance to represent your case in the GBM if you so desire. Kindly note that you can place your defense before the GBM if you so desire. Failing this the GBM might take a decision ex-parte.
Thanking you.
Yours sincerely,
C K Nayak
General Secretary
Press Association
रवींद्र पंचोली
August 17, 2019 at 9:48 pm
राजीव रंजन नाग को मैं 1994 से जानता हूँ,जब मैंने उन्हें इंडियन नेशन /आर्यावर्त का दिल्ली ब्यूरो चीफ नियुक्त किया था।वे हिन्दुस्तान टाइम्स से आये थे और मैंने उन्हें निहायत ही सादा और सरल व्यक्ति पाया है।उनके आरोपों को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।
Suresh
April 19, 2022 at 6:04 pm
Great
prashant tripathi
August 18, 2019 at 11:20 am
मेरा तो यह कहना है कि शराब पीने के इस अड्डे को हमेशा के लिए ही बंद कर देना चाहिए ..इसकी आड़ में जो गंदी राजनीति होती है वह पत्रकारिता को बदनाम करती है और देर सवेर समाज के सामने भी आने वाली है ..ऐसे में जो लोग समाज हित में पत्रकारिता करना चाहते हैं उनके भी सम्मान पर खतरे की जगह बन गई है
Shahnawaz Hassan
August 18, 2019 at 12:02 pm
राजीव रंजन नाग के ऊपर प्रेस एसोसिएशन ने कई गंभीर आरोप लगाये हैं।उन आरोपों का जवाब देने से बचने के लिये वह इस तरह की टिप्पणी कर रहे हैं।पूर्व में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य रहते हुये वे झारखण्ड के चतरा जिला में पत्रकार इंद्रदेव की हत्या के बाद पहुंचे थे।पत्रकारों ने उनसे जब कहा कि वे दिवंगत पत्रकार के परिजनों से मिल कर उनका पक्ष भी लें लेकिन उन्होंने उनसे मिलना तक गवारा नहीं किया।बंद कमरे में मीटिंग कर लौट गये, झारखण्ड के समस्त पत्रकारों ने उनके कार्यशैली के ऊपर तब भी प्रश्नचिन्ह लगाया था।IFWJ के तमिलनाडु कार्यक्रम में भी शराब के नशे में बहक कर अमर्यादित शब्दों का प्रयोग कर रहे थे,इन्हें तब कमरे से बाहर करवा दिया गया था।जयशंकर गुप्ता चतरा में पत्रकार चंदन तिवारी की हत्या के बाद झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन के कार्यक्रम में शामिल हहुये थे।वे संगठन के समर्थन में पत्रकार हत्या के विरोध में खड़े रहे।राजीव रंजन नाग जिस प्रकरण का ज़िक्र कर रहे वह कांग्रेस के एक बड़े नेता की साज़िश थी,जिसका संबन्ध माओवादियों के साथ था और यह खुलासा करने पर उसने फंसाने की साज़िश रची थी पर वह नाकाम रहे।जांच एजेंसी ने 2012 में ही इसे साफ़ कर दिया था, गलत खबर प्रकाशित करने को लेकर इस मामले में Telegraph के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज किया गया है।साथ ही राजीव रंजन नाग को भी कानूनी नोटिस भेजा जारहा है। राजीव रंजन नाग के ऊपर जो आरोप लगे हैं उसकी सफ़ाई देने के स्थान पर लोगों को गुमराह करने के लिये इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं।