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राजकमल झा, आपने इस भाषण के जरिए सम्पादक नाम की संस्था के मान की न केवल रक्षा की है, बल्कि उसे बढ़ाया भी है

Satyanand Nirupam : किसी सम्पादक के विवेक, समय पर उसकी अचूक पकड़ के साथ उसकी निर्णय-क्षमता की धार देखनी हो तो इस लिंक पर जाकर इंडियन एक्सप्रेस अखबार के प्रधान सम्पादक राजकमल झा का छोटा-सा लेकिन महत्वपूर्ण भाषण सुनिए जो उन्होंने अपने संस्थान द्वारा दिए जाने वाले रामनाथ गोयनका अवार्ड के समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में दिया…

<p>Satyanand Nirupam : किसी सम्पादक के विवेक, समय पर उसकी अचूक पकड़ के साथ उसकी निर्णय-क्षमता की धार देखनी हो तो इस लिंक पर जाकर इंडियन एक्सप्रेस अखबार के प्रधान सम्पादक राजकमल झा का छोटा-सा लेकिन महत्वपूर्ण भाषण सुनिए जो उन्होंने अपने संस्थान द्वारा दिए जाने वाले रामनाथ गोयनका अवार्ड के समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में दिया...</p>

Satyanand Nirupam : किसी सम्पादक के विवेक, समय पर उसकी अचूक पकड़ के साथ उसकी निर्णय-क्षमता की धार देखनी हो तो इस लिंक पर जाकर इंडियन एक्सप्रेस अखबार के प्रधान सम्पादक राजकमल झा का छोटा-सा लेकिन महत्वपूर्ण भाषण सुनिए जो उन्होंने अपने संस्थान द्वारा दिए जाने वाले रामनाथ गोयनका अवार्ड के समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में दिया…

लिंक ये है : 

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https://youtu.be/KIOC8bKT4m8 

राजकमल झा, आपने इस भाषण के जरिए सम्पादक नाम की संस्था के मान की न केवल रक्षा की है, बल्कि उसे बढ़ाया भी है। सलाम आपको!

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Sarvapriya Sangwan के सौजन्य से इस भाषण का एक हिन्दी पाठ भी यहाँ पेश है :

आपके शब्दों के लिए बहुत आभार। आपका यहाँ होना एक मज़बूत सन्देश है। हम उम्मीद करते हैं कि अच्छी पत्रकारिता उस काम से तय की जाएगी जिसे आज की शाम सम्मानित किया जा रहा है, जिसे रिपोर्टर्स ने किया है, जिसे एडिटर्स ने किया है। अच्छी पत्रकारिता सेल्फी पत्रकार नहीं परिभाषित करेंगे जो आजकल कुछ ज़्यादा ही नज़र आ रहे हैं, जो हमेशा आपने आप से अभिभूत रहते हैं, अपने चेहरे से, अपने विचारों से जो कैमरा को उनकी तरफ रखते हैं, उनके लिए सिर्फ एक ही चीज़ मायने रखती है, उनकी आवाज़ और उनका चेहरा। आज के सेल्फी पत्रकारिता में अगर आपके पास तथ्य नहीं हैं तो कोई बात नहीं, फ्रेम में बस झंडा रखिये और उसके पीछे छुप जाइये। आपके भाषण के लिए बहुत बहुत शुक्रिया सर, आपने साख/भरोसे की ज़रूरत को अंडरलाइन किया। ये बहुत ज़रूरी बात है जो हम पत्रकार आपके भाषण से सीख सकते हैं।  आपने पत्रकारों के बारे में बहुत अच्छी बातें कही जिससे हम थोड़ा नर्वस भी हैं। आपको ये विकिपीडिया पर नहीं मिलेगा, लेकिन मैं इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर की हैसियत से कह सकता हूँ कि रामनाथ गोयनका ने एक रिपोर्टर को नौकरी से निकाल दिया जब उन्हें एक राज्य के मुख्यमंत्री ने बताया कि आपका रिपोर्टर बड़ा अच्छा काम कर रहा है। इस साल मैं 50 का हो रहा हूँ और मैं कह सकता हूँ कि इस वक़्त जब हमारे पास ऐसे पत्रकार हैं जो रिट्वीट और लाइक के ज़माने में जवान हो रहे हैं, जिन्हें पता नहीं है कि सरकार की तरफ से की गयी आलोचना हमारे लिए इज़्ज़त की बात है। इस साल हमारे पास इस अवार्ड के लिए 562 एप्लीकेशन आयीं। ये अब तक की सबसे ज़्यादा एप्लीकेशन हैं। ये उन लोगों को जवाब है जिन्हें लगता है कि अच्छी पत्रकारिता मर रही है और पत्रकारों को सरकार ने खरीद लिया है। अच्छी पत्रकारिता मर नहीं रही, ये बेहतर और बड़ी हो रही है। हाँ, बस इतना है कि बुरी पत्रकारिता ज़्यादा शोर मचा रही है जो 5 साल पहले नहीं मचाती थी। 

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-राजकमल झा, संपादक, इंडियन एक्सप्रेस

Daya Shankar Shukla Sagar : इंडियन एक्सप्रेस के संपादक राजकमल झा ने बड़ी शानदार बात कही है। अच्छी पत्रकारिता क्या है ये ‘सेल्फी पत्रकार’ तय नहीं कर सकते। ये सिर्फ अखबार करते हैं हालांकि ज्यादातर अखबारों ने ये काम अब छोड़ दिया है। ‘सेल्फी पत्रकार’ वे हैं जो आजकल टीवी चैनलों पर चीखते है या फिर कभी सौम्यता का लाबादा ओढ़ कर प्रवचन करते दिखते हैँ। वे अपने विचारों और चेहरे से खुद ही अभिभूत व आत्ममुग्‍ध रहते हैं। जैसे वे कोई सेलीब्रेटी हों। रंगे पुते चेहरे। कुछ कुछ बालीवुड के चेहरों की तरह। उनके चहेरे कैमरे के सामने होंते हैं दिमाग टीआरपी के आसमान पर। जैसा झा ने कहा उनके लिए सिर्फ एक ही चीज़ मायने रखती है, उनकी आवाज़ और उनका चेहरा। इसके अलावा सब कुछ पृष्ठभूमि में होता, यानी बेमतलब का शोर। इस सेल्फी पत्रकारिता में अगर आपके पास तथ्य नहीं हैं तो कोई बात नहीं, फ्रेम में बस झंडा लहराइए और उसके पीछे छुप जाइये।

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पत्रकार सत्यानंद निरुपम और दया शंकर शुक्ल सागर की एफबी वॉल से. 

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0 Comments

  1. PAWAN KUMAR BANSAL

    November 7, 2016 at 2:48 am

    पवन कुमार बंसल
    रामनाथ गोयनका स्मान समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री
    मोदी ने गोयनका जी
    की जम कर तारीफ की। उसके बाद इंडियन एक्सप्रेस के प्रधान संपादक
    राजकमल झा ने कहा की इंडियन एक्सप्रेस उन रिपोर्टरों की इज्जत
    करता है जो पावर से टकराते है।
    उन्होंने बताया गोयनका जी ने एक रिपोर्टर का इसलिए तबादला
    कर दिया था की वहां के
    चीफ मिनिस्टर ने गोयनका जी से उसकी तारीफ की थी। इंडियन एक्सप्रेस
    और जनसत्ता में तीस वर्ष नोकरी
    दौरान मेरी भी कई बार नेताओं ने गोयनका जी से शिकायत की लेकिन
    उन्होंने मेरा बचाव किया।
    १९८९ देवीलाल, गोयनका जी जनसत्ता के प्रधान सम्पादक प्रभाष जोशी , अरुण
    शौरे गुरुमूर्ति मिलकर राजीव गाँधी के खिलाफ विपक्ष को एक
    करने की योजना बनाते थे।
    मेरी एक खबर से नाराज होकर तत्कालीन चीफ मिनिस्टर देवीलाल ने मेरी
    शिकायत रामनाथ गोयनका से की। में उन दिनों चंडीगढ़
    में जनसत्ता संवाददाता था। ठेठ हरियाणवी में देवीलाल ने रामनाथ
    गोयनका को कहा की लाला तू तो ओप्पोसिशन यूनिटी की बात करता है
    लेकिन तेरा छोरा मेरे खिलाफ लिखता है. गोयनका को समझ नहीं आया
    उन्होंने जोशी जी से कहा . जोशी जी ने हमारे चंडीगढ़
    के सम्पादक जितेंद्र बजाज को कहा और बजाज साहिब मेरे जवाब से संतुस्ट
    हो गए और उन्होंने जोशी जी को बता दिया की पवन की खबर ठीक
    है.
    कुछ दिन बाद जोशी जी चंडीगढ़ आए कहने लगे की देवीलाल कहता है
    की पवन मेरे विरोधियों के पास बैठता है. मेने कहा की यह ठीक
    है देवीलाल के विरोधी ही मुझे अंदर की खबर देंगे . हां में यह चेक
    करता हूँ की कोई खबर गलत तो नहीं दे रहा. जोशी जी ने मुझे शाबाशी
    दी गोयनका जी को
    बता दिया के पवन की खबर ठीक है.

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