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मजीठिया वेज बोर्ड : रजनीश रोहिला समेत तीन मीडियाकर्मियों के आगे झुका भास्कर प्रबंधन, पूरे पैसे दिए

(फाइल फोटो : रजनीश रोहिला)


इसे कहते हैं जो लड़ेगा वो जीतेगा, जो झुकेगा वो झेलेगा. अजमेर भास्कर के सिटी रिपार्टर रजनीश रोहिला, मार्केटिंग के संदीप शर्मा और संपादक के पीए ने अखबार मालिकों के तुगलकी फरमान को न मानकर लड़ाई लड़ी और जीत गए. इस तरह भास्कर प्रबंधन को झुकाकर इन तीनों ने लाखों बेचारे किस्म के पत्रकारों को रास्ता दिखाया है कि लड़ोगे तो लोगे, झुकोगे तो झेलोगे. तीनों ने भास्कर से अपने हिस्से का मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से भरपूर पैसा ले लिया है.

(फाइल फोटो : रजनीश रोहिला)


इसे कहते हैं जो लड़ेगा वो जीतेगा, जो झुकेगा वो झेलेगा. अजमेर भास्कर के सिटी रिपार्टर रजनीश रोहिला, मार्केटिंग के संदीप शर्मा और संपादक के पीए ने अखबार मालिकों के तुगलकी फरमान को न मानकर लड़ाई लड़ी और जीत गए. इस तरह भास्कर प्रबंधन को झुकाकर इन तीनों ने लाखों बेचारे किस्म के पत्रकारों को रास्ता दिखाया है कि लड़ोगे तो लोगे, झुकोगे तो झेलोगे. तीनों ने भास्कर से अपने हिस्से का मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से भरपूर पैसा ले लिया है.

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पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की ओर से मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने के बाद दैनिक भास्कर ने अपनी चाल खेली थी. इसके तहत सभी कर्मचारियों से मजीठिया नहीं लेने के लिए हस्ताक्षर करवाए थे. उस दौरान इन तीनों ने ऐसा नहीं किया तो भास्कर ने इनका अन्य राज्यों में तबादला कर दिया था. इनमें से वहां कोई भी नहीं गया और रजनीश ने तबादले पर स्टे ले लिया. भास्कर अपील में गया तो वह खारिज हो गया. लेकिन रोहिला मजीठिया का लाभ लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट चले गए. उन्होंने इन दोनों साथियों को भी पक्षकार बनाया. इस लड़ाई में भास्कर को मुंहकी खानी पड़ी और रोहिला को बड़ी जीत मिली.

सुप्रीम कोर्ट ने दो माह में भास्कर को मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ देने को कहा. इसके बाद रोहिला ने सोशल मीडिया और भड़ास सहित अन्य साइटों पर अपने आप को इस लड़ाई का हीरो बताया. भड़ास ने भी इनको हीरो बताते हुए इनका नंबर जारी किया. अब ये बड़ा खुलासा हुआ है कि कुछ दिनों पहले ही इन तीनों मीडियाकर्मियों के आगे भास्कर का प्रबंधन झुक गया और पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाने लगा. चर्चा है कि रोहिला ने ग्यारह लाख रुपए लिए. इसी तरह संदीप ने साढ़े तीन लाख और संपादक के पीए ने साढ़े चार लाख रुपए.

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इस प्रकरण से जाहिर होता है कि जो लड़ेगा वह जीतेगा. वैसे भी मीडिया में उन्हीं लोगों को रहना चाहिए जो मौका पड़ने पर अत्याचारियों की आंख में आंख डालकर बात कर सकें. अब देशभर के पत्रकारों के सामने विकल्प खुला है. वे अगर लड़ते हैं अपने हक के लिए तो उनके मालिक उन्हें पैसे देंगे अन्यथा झेलते रहिए. पत्रकार भाइयों को अपने हक की लड़ाई के लिए कोर्ट जाना ही पड़ेगा नहीं तो अखबार मालिकों की तानाशाही यूं की चलती रहेगी. इस लड़ाई में हम सभी मिलकर लड़ेंगे तो जीत संभव हो पाएगी.

आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हो कि विज्ञापनों और अपने आप को बड़ा बताने के लिए अखबार मालिक कैसे कुत्तों की तरह लड़ते थे, लेकिन जब वेज बोर्ड देने की बारी आई तो सभी एक होकर कोर्ट चले गए. फिर हम सब एक क्यों नहीं हो सकते हैं. यशवंत जी आप से विनम्र निवेदन है कि आपने जिस तरीके से रोहिला को इस लड़ाई का हीरो साबित करने की कोशिश की, उसी तरह अब उनकी जीत को सामने रखकर बाकी सारे पत्रकारों को उकसाइये कि वो भी कोर्ट जाएं और अपना हक लें. किसी की लड़ाई लड़ने के लिए कोई फरिश्ता नहीं आने वाला. सबके भीतर एक फरिश्ता होता है जो लड़ाई लड़ सकता है. उस फरिश्ते को जगाइए. भास्कर ने सुप्रीम कोर्ट जाने वालों को उनका हक देकर बाकियों को मजीठिया देने से अपना पल्ला झाड़ने में लगा हुआ है.  इस जीत के लिए रजनीश रोहिल्ला को उनके मोबाइल नंबर 09950954588 पर बधाई दे सकते हैं और उनसे लड़ने का फार्मेट / तरीका / रास्ता पूछ पता कर सकते हैं. इन साथियों को मजीठिया की लड़ाई लड़ने और जीतने पर हार्दिक बधाई.

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एक पत्रकार साथी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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मजीठिया लागू कराने को लेकर भास्कर के तीन कर्मचारियों ने उठाया झंडा

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0 Comments

  1. manmohan shrivastav

    January 3, 2015 at 12:13 pm

    बधाई हो

  2. Bhupendra Pratibaddh

    January 3, 2015 at 4:14 pm

    मजीठिया के लिए सुप्रीम कोर्ट गए दैनिक भास्कर कर्मचारियों ने मालिकान-मैनेजमेंट से कोई पैसा नहीं लिया है, किसी तरह का समझौता नहीं किया है। जिसने भी यह जानकारी दी है, उसने सुनी-सुनाई बातों के आधार पर भड़ास पर लिखा है। हां, यह सच है कि भास्कर मालिकान कुछ ले-देकर मामले को रफा-दफा कराने के प्रयास कंटेम्प्ट केस दायर होने के समय से ही करता आ रहा है। लेकिन उसे अपने इस कृत्य में अभी तक कामयाबी नहीं मिली है। मैनेजमेंट कर्मचारियों को पटाने का प्रयास अब भी जारी रखे हुए है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख 5 जनवरी बिल्कुल नजदीक, एकदम सिर पर है। ऐसे में कम ही उम्मीद है कि कोर्ट के बाहर कोई समझौता हो सके। लगता नहीं कि मालिकान कर्मचारियों को सस्ते में निपटा पाने में सफल हो पाएंगे। अब तो उन्हें वही करना, दूसरे शब्दों में भुगतना पड़ेगा जो सुप्रीम कोर्ट कहेगा, आदेश देगा।

  3. dagdu t. deshmukh

    January 4, 2015 at 1:05 pm

    agar aesha kusha hi to cort ki order ki copy print midieko de taki sabko uska fada hoga.

  4. KASHINATH MATAEL

    January 5, 2015 at 1:39 pm

    Dear Sir,
    Congratulation for victory.
    I want the salary slip according to the Fitment of Majithia Wage Board, so we can understand how the Bahskar management calculate the DA and others things.
    Please post the pay slip on bhadas4media.com or my emails address [email protected]
    Bhadas for publishing the news about victory for legal battle.
    Thanks.

  5. Mahesh Singh

    January 7, 2015 at 6:36 am

    maine janvary 2014 me ek dainik samachar patra ki naukri chhodkar dusri samachar patra ki naukri join kar li, kya mujhe majithiya veg board ka purana paisa meri purani kampany degi? abhi wo kampani apne purane karmchariyon ko yah paisa de rahi hai.

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