बिहार से स्थानांतरित होकर मध्य प्रदेश पधारे राज्यपाल लालजी टंडन ने मीडिया से मेल मुलाक़ात बढ़ाने के लिए पचास-साठ चुनिंदा पत्रकारों को दावत पर बुलाया. यहाँ तक तो ठीक, क्योंकि मीडिया को साधे रखने के लिए खिलाने पिलाने की रिवायत में नया कुछ भी नहीं. यूँ जब सूबे में लोकप्रिय सरकार हो तब राज्यपाल का मीडिया से इस प्रकार घुलना मिलना गैरजरूरी है और मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं हुआ है. राजभवन से पत्रकारों का नाता और वास्ता बिभिन्न शपथ समारोहों और 15 अगस्त तथा 26 जनवरी आदि पर आयोजित होने वाली हाई टी तक रहता आया है.
लाट साहब की दावत तब सुर्ख़ियों में आई जब पत्रकारों को शाल श्रीफल से सम्मानित करने की तस्वीरें और किस्से फेसबुक और वाट्सएप आदि पर नमूदार होने लगे. फिर क्या था, देखते-देखते इस उपलब्धि के लिए सम्मानित पत्रकारों को बधाइयों दी जाने लगीं.
पत्रकारों के पुरस्कृत और सम्मानित होने के आए दिन होने वाले आयोजनों के अभ्यस्त भोपालवासियों को इसमें कुछ भी अटपटा नहीं लगा. फिर जाहिर हुआ की राज्यपाल ने पत्रकारों से नजदीकी रिश्ते कायम करने की गरज से दावत के साथ-साथ सभी आमंत्रितों को शाल श्रीफल से सम्मानित करने का अजीबोगरीब चलन शुरू किया है. उन्हें साँची स्तूप की प्रतिकृति भी भेंट की गई.
अलबत्ता ज्यादातर पत्रकारो ने इस अप्रत्याशित और सार्वजनिक स्नेह वर्षा से खुद को असहज ही महसूस किया है. उधर राजनैतिक गलियारे में राज्यपाल की इस सक्रियता के पीछे का गणित तलाशा जा रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार श्रीप्रकाश दीक्षित की रिपोर्ट.
deepmathur
August 16, 2019 at 12:03 pm
लग रहा है खबर भेजने वाले को मौका नहीं मिला
श्रीप्रकाश दीक्षित
August 19, 2019 at 6:22 pm
भैया, हम तो सरकार के उस प्रचार विभाग में संयुक्त संचालक थे,जिसका काम ही मौक़ा देना था.उस पर अपन मध्यप्रदेश पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी और राज्यपाल के प्रेस अधिकारी के नाते मौका देते रहते थे..वैसे यह अपराध बोध वाली मानसिकता है की यदि आलोचना की है तो जरूर इसे नहीं बुलाया गया होगा.जरा खबर की आत्मा में भी घुसो प्रभु.