Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

‘आजतक’ पर डाक्टरों ने धो दिया रामदेव को! देखें वीडियो

अमिताभ श्रीवास्तव-

लंबे समय बाद आज तक पर एक चर्चा देखकर मज़ा आया। इंडियन मेडिकल एसोसियेशन के प्रतिनिधि दो एलोपैथिक चिकित्सकों ने योग गुरु बाबा रामदेव की जमकर क्लास लगाई। मुद्दा एलोपैथी चिकित्सा पद्धति और एलोपैथिक चिकित्सकों के बारे में बाबा रामदेव के एक संवेदनहीन और मूर्खतापूर्ण बयान का था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस बयान की वजह से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन ने भी नाराज़गी जताई थी और बयान वापस लेने को कहा था। सरकार का रुख़ भाँप कर बाबा ने खेद जताते हुए अपना बयान वापस ले लिया था। एलोपैथिक चिकित्सकों के ग़ुस्से के आगे बाबा रामदेव के तेवर ढीले पड़ गये, हाथ जोड़ने लग गये, कामेडी करने लग गये और बहस को आयुर्वेद, अनुलोम-विलोम, गाय वग़ैरह के पास भटकाने की कोशिश करते रहे।



संबंधित वीडियो देखने के लिए क्लिक करें-

https://www.facebook.com/watch/?v=5495703200500254
https://www.facebook.com/shyammeerasingh/videos/1430044944035512/

Advertisement. Scroll to continue reading.
https://www.facebook.com/preetiYadavJ/videos/1419912238353615/

अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-

आज तक चैनल में देश के नामी गिरामी डॉक्टर्स से कुतर्क करते हुए रामदेव कह रहा है कि हार्ट अटैक आए तो अनुलोम विलोम कराने से मरीज ठीक हो सकता है. इसी तरह इसका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें यह कह रहा था कि ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने की बजाय ब्रह्माण्ड में इतनी ऑक्सीजन है तो मरीज उसको क्यों नहीं खींचता.

Advertisement. Scroll to continue reading.

दरअसल ऐसे अनपढ़ आदमी को बाबा घोषित करके कोरोना पर कोरॉनिल जैसी भ्रामक दवाएं भी बनाने का लाइसेंस दे दिया गया है, जिसे एलोपैथी तो दूर सामान्य ज्ञान तक नहीं है.
इस तथाकथित बाबा को यह तक नहीं पता कि ऑक्सीजन सिलेंडर कोई शौक से नहीं लगाता बल्कि फेफड़े वातावरण से ऑक्सीजन खींचने की क्षमता जब खोने लगते हैं तो मजबूरी में उसके फेफड़ों में कृत्रिम तरीके से ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाया जाता है.

इसी तरह इस स्वघोषित परम ज्ञानी को यह भी नहीं पता कि हार्ट अटैक होने के बाद अधिकांश व्यक्ति अनुलोम विलोम करना तो दूर , लगभग बेहोशी और मरणासन्न अवस्था में होने के कारण कुछ सोचने समझने की भी स्थिति में भी नहीं होता. डॉक्टर इस अज्ञानी को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि दिल का दौरा पड़ने के बाद सीपीआर दिया जाता है लेकिन यह आदमी उनकी एक सुनने को तैयार नहीं हो रहा.

इससे पहले कोरोना के वायरस को यह नाक में तेल डालकर सीधा पेट में पहुंचा कर मारने का बेवकूफी भरा फार्मूला बता रहा था. जब कांग्रेस की सरकार थी तो इस नीम हकीम खतरा ए जान को सलवार पहन कर पुलिस से भागना पड़ा था.

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज इसकी तूती इसलिए बोल रही है क्योंकि देश का स्वास्थ्य मंत्री खुद कोरोना से बचाव की इसकी तथाकथित दवा का प्रचार करने के लिए मंच पर मौजूद था.

देश में इस वक्त योग- आयुर्वेद और प्राचीन भारतीय ज्ञान को अपने अधकचरे ज्ञान से या ठगी की नीयत से बदनाम करने वाले लोगों का ही बोलबाला है. आयुर्वेद में रिसर्च बेस्ड कम्पनियां भी हैं, जैसे कि हिमालय, उनकी लिव 52 जैसी रिसर्च बेस्ड दवाइयां पूरी दुनिया में भारत और आयुर्वेद का डंका बजा रही हैं… और यह व्यक्ति योग और आयुर्वेद को अपने जाहिलियत भरे बयानों से पूरी दुनिया में बदनाम करके उसकी खिल्ली उड़वा रहा है. घोर कलयुग है भाई…

Advertisement. Scroll to continue reading.

जगदीश सिंह-

रामदेव ने कुछ बीमारियों का ज़िक्र करते हुए पूछा है, क्या एलोपैथी के पास इनका स्थाई समाधान है। जिन बीमारियों का ज़िक्र यह धूर्त कर रहा है, उनका सटीक समाधान अभी तक एलोपैथी के पास नहीं है। पर एलोपैथी है कितने दिनों पुरानी ? यह तो अभी अपने बाल्यावस्था में है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

धूर्त यह बताये कि हज़ारों साल पुराना आयुर्वेद कितनी बीमारियों को जड़ से मिटा पाया है ? क्या यह नहीं मानेगा कि बड़ी चेचक, पोलियो, प्लेग को किसने क़ाबू किया ? जब करोड़ों लोग प्लेग से मरे थे तो, आयुर्वेद तो हज़ारों सालों से था। किसी को बचा पाया था क्या ? टी बी, कालरा, हैज़ा वग़ैरह का इलाज किस पद्धति से होता है ? तमाम बीमारियों का सही एवं स्थाई इलाज का होम्योपैथी एवं आयुर्वेद का दावा भी परम झूठ पर आधारित है।

एलोपैथी एक निरंतर विकसित हो रही विधा है, जो रोज़ अपनी कमियों को स्वीकार करते हुए, सुधार करती चलती है। यह प्राचीन मानवों द्वारा लिखी हुई पुस्तकों पर आधारित जड़ विद्या नहीं। यह दुनियाँ के हर देश में स्वीकृत हो चुकी है, किसी एक देश तक सीमित नहीं। आयुर्वेद रामदेव की टेढ़ी आँख ठीक कर पाया क्या?

Advertisement. Scroll to continue reading.

राकेश कायस्थ-

रामदेव प्रकरण में समझने लायक कुछ बातें–

Advertisement. Scroll to continue reading.
  1. बाबा रामदेव ने राष्ट्रीय संकट के समय ऐसे बयान दिये हैं, जिससे कोरोना के लाखों मरीज भ्रमित हो सकते हैं। उनके इलाज पर असर पड़ सकता है। रात-दिन अपना जान-जोखिम में डालकर सेवा में लगे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी भड़क सकते हैं।
    महामारी एक्ट के तहत यह एक अपराध है। एफआईआर, गिरफ्तारी और विधि सम्मत न्यायिक प्रक्रिया अपरिहार्य है। किसी भी सभ्य समाज में यही होता। सरकार ने बहुत छोटे-छोटे मामलों में महामारी एक्ट के तहत लोगों पर कार्रवाई की है।
  2. अब इस मामले में सरकार की प्रतिक्रिया देखिये। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रामदेव को दो पन्ने की चिट्ठी लिखी है। भाव याचना के हैं। उन्होंने रामदेव से फोन पर हुई बातचीत का हवाला दिया है। हर्षवर्धन ने बार-बार यही कहा है कि आपके बयान से स्वास्थ्य कर्मियों की भावना आहत हुई है। सवाल भावनाओं का नहीं है बल्कि झूठा बयान देकर देश को भ्रमित करने का है।
  3. बाबा रामदेव ने ये बात कई बार दोहराई है कि इंजेक्शन के दोनों डोज़ लेने के बावजूद एक हज़ार एलोपैथिक डॉक्टरों की मौत हो गई है। सरकार को यह पूछना चाहिए कि ये आंकड़ा बाबाजी को कहां से मिला? क्या सरकार इस आंकड़े की पुष्टि करती है। अगर करती है तो फिर सरकार देशवासियों को यह बताये कि जिस इंजेक्शन के बावजूद इतनी बड़ी तादाद में डॉक्टरों की मौत हो रही है, वो इंजेक्शन कोई क्यों ले?
  4. अगर रामदेव का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है तो फिर इसका मतलब है कि महामारी जैसी राष्ट्रीय आपदा के समय एक जघन्य आपाराधिक कृत्य किया है। अगर उनकी जगह कोई और होता देश किस तरह रियेक्ट करता और उस अपराधी के लिए किस तरह की सज़ा की मांग की जाती?
  5. रामदेव ने बहुत चतुराई या कहें तो नीचता के साथ पूरे प्रकरण को आयुर्वेद बनाम एलोपैथ बनाने की कोशिश की है और उनसे करोड़ों के विज्ञापन लेने वाला कॉरपोरेट मीडिया इस मुहिम को पूरी शिद्धत के साथ आगे बढ़ा रहा है। ये मामला किसी भी हिसाब से एलोपैथ बनाम आयुर्वेद नहीं है। किसी भी एलोपैथिक डॉक्टर या आईएमए ने यह नहीं कहा है कि आर्युवेदिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।लगभग हर डॉक्टर फेफड़े को मजबूत करने के लिए अनुलोम-विलोम करने की सलाह दे रहा है। फिर रामदेव स्वदेशी बनाम विदेशी और एलोपैथ बनाम आर्युवेद का कार्ड क्यों खेल रहे हैं?
  6. ऐसा इसलिए है कि अपनी गैर-जिम्मेदार बयानबाजी को ढंकने का अब उनके पास कोई तरीका नहीं है। टीबी डिबेट में उन्होंने आईएमए के डॉक्टरों से कहा कि आप भारतीय संस्कृति से नफरत करते हैं, आप योग और आयुर्वेद से नफरत करते हैं। अपनी गलतियों को छिपाने के लिए प्रश्न करने वाले की नीयत पर सवाल उठाने का नुस्खा आजकल बहुत कारगर है। यही करके पिछले साल साल से मोदी सरकार अपने आप को बचा रही है।
  7. सवाल ये है कि इस पूरे प्रकरण में आगे क्या होगा? हर्षवर्धन की चिट्ठी से पहले ही मैंने लिख दिया था कि कुछ नहीं होगा। केंद्र सरकार रामदेव जैसे लोगों की राजनीतिक उपयोगिता जानती है।

जब गोरक्षक जगह-जगह चमड़े का काम करने वाले दलितों की पिटाई कर रहे थे तब प्रधानमंत्री मोदी ने बयान दिया था– ” भले मुझे मारो लेकिन दलितों को मत मारो।”

कितनी आत्मीयता थी, उस बयान में। जैसे पांच साल बच्चा जब पड़ोसी सिर पर कूदता है, तो बाप कहता है, बेटा मेरे सिर पर कूदो, अंकल को परेशान मत करो।

संविधान विरोधी, कानून विरोधी तमाम तत्वों के प्रति सरकार का रवैया यही है क्योंकि उसका परम लक्ष्य उनकी मदद चुनाव जीतते चले जाना है, उसके सिवा कुछ और नहीं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जितेंद्र नरुका-

रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा पर अपने बयान पर सफाई तो दे दी लेकिन आज बेहद मूर्खतापूर्ण खुला पत्र आईएमए और फार्मा कम्पनियों शायद Pharmacologists .. के नाम लिखा है। 8 वीं पास है ना तो फार्मा कम्पनी और Pharmacologists में अंतर कैसे करे दूसरा खुद की कम्पनी के मालिक, चिकित्सक, केमिस्ट, रिसर्चर सबकुछ बाबा ही हैं तो उन्हें एसा ही लगता होगा कि फार्मा कम्पनियां भी ऐसे ही चलती होंगी। खैर बाबा आपके इस मूर्खतापूर्ण पत्र का जवाब कोई चिकित्सक या Pharmacologist देना भी अपनी तौहीन समझेगा इसलिए आप जैसे अनपढ़ को मै ही जवाब दे देता।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आदरणीय बाबा जी,

पहली बात तो आप हैं कौन? आपके पत्र से लग रहा आयुर्वेदाचार्य हों! हकीकत ये है कि आप जैसे अनपढ़ लोगों ने ही आयुर्वेद की लुटिया डुबोई है।

कृपया दर्ज करलें भारत में आयुर्वेद की डिग्री मिलती है और वो उतना ही शरीर विज्ञान पढ़ते जितना एमबीबीएस लेकिन आप जैसे आठवीं पास अवैज्ञानिक सोच के लोग जब आयुर्वेद के ठेकेदार बन बैठे तो आयुर्वेद की लुटिया डुबनी ही थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हे बाबा जिन भारी भरकम बीमारियों का नाम लेकर जो आप चुनौती भेज रहे तो जान लो इन बीमारियों का नाम ही इसलिए जानते क्योंकि इनकी पहचान आधुनिक चिकित्सा ने की।

आपके हिसाब से तो तीन ही बीमारी वायु, पित, कफ है।
बीमारियों की पहचान ही सबसे पहली सीढ़ी है निदान की।
आधुनिक चिकित्सा से टीप कर लिखी प्रथम बीमारी रक्तचाप हृदय रोग पर सिर्फ जवाब दे रहा। इसमें ही बेहोश हो जाओगे.. हां दवाइयां है जिन्हे लेकर लाखों लोग लंबा जीवन जी रहे ढेरों प्रकार की दवाई जैसे-

Advertisement. Scroll to continue reading.

Diuretics, Beta-blockers, ACE inhibitors
Angiotensin II receptor blockers
Calcium channel blockers
Alpha blockers
Alpha-2 Receptor Agonists
Combined alpha and beta-blockers
Central agonists
Peripheral adrenergic inhibitors
Vasodilators

समझ आया कुछ? नहीं ना। बाकी सभी रोगों की बता दी तो बेहोश हो जाओगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बिना सर्जरी ये कौनसी शर्त है? आधुनिक चिकित्सा की जान है सर्जरी जो खराब हो चुके अंगों को रिपेयर,बदली तक कर नया जीवन देने लगी पहले सिर्फ मौत थी।

ये स्थाई इलाज क्या होता?

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस पत्र के माध्यम से जो अप्रत्यक्ष झोला छाप झांसा देना चाहते कि आपके पास सभी बीमारियों का स्थाई इलाज है तो कोई झांसे में नहीं आने वाला बल्कि आपको भी आधुनिक चिकित्सा की जरूरत पड़ती रही है और पड़ती रहेगी।

और ये आयुर्वेद एलोपैथी के काल्पनिक झगड़े की बात आपकी व्यापारिक खुरापात है, आधुनिक चिकित्सा वैज्ञानिक पद्धति है जो वर्षों के अनुभव, हर्बल इस्तेमाल, व्यायाम को शामिल करती है और हर दवा पर स्पष्ट इफेक्ट के साथ साइड इफेक्ट लिख कर सजगता फैलाई जाती कम से कम दवा इस्तेमाल को प्रेरित करती है आधुनिक चिकित्सा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

राहुल कोटियाल-

लाला रामदेव ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फ़ार्मा कंपनियों को एक चुनौतीपूर्ण खुला पत्र लिखकर कुल 25 सवाल दागे हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसमें सवाल नंबर 21 देखिए:

‘आदमी बहुत हिंसक, क्रूर और हैवानियत कर रहा है, उसके इंसान बनाने वाली एलोपैथी में कोई दवाई बताएँ.’

Advertisement. Scroll to continue reading.

ये लाला रामदेव IMA को चुनौती दे रहे हैं या अपना इलाज मांग रहे हैं?

दिक़्क़त आयुर्वेद से नहीं, बाबा रामदेव और उनके अतीत से है….

Advertisement. Scroll to continue reading.

निर्लज्ज बाबा अपनी आपराधिक हरकतों के चलते आज घिरने लगा तो एक बार फिर आयुर्वेद की आड़ में छिपना चाह रहा है. वो इस पूरी बहस को ‘आयुर्वेद बनाम एलोपैथी’ बनाकर ख़ुद बच निकलना चाहते हैं.

लेकिन रामदेव के दावों पर उठ रहे सवाल आयुर्वेद पर सवाल नहीं हैं. आयुर्वेद पर तो इस देश को ऐसा विश्वास है कि झुमरी तलैया के किसी अनजान गांव का कोई गुमनाम जोगटा भी अगर आगे आके दावा करता कि उसने कोरोना की दवा खोज ली है, तो करोड़ों लोग उस दवा को लेने टूट पड़ते.

Advertisement. Scroll to continue reading.

यक़ीन मानिए, ऐसे किसी अनजान व्यक्ति के दावों को बाबा रामदेव के दावों से ज़्यादा गंभीरता से लिया जा रहा होता..

और बाबा रामदेव को गंभीरता से न लेने के वाजिब कारण भी हैं. क्योंकि ये वही रामदेव हैं जिन्होंने कालाधन वापस आने के दावे किए थे, पेट्रोल 35-40 रुपए लीटर मिलने के दावे किए थे, घरेलू गैस का सिलेंडर ढाई-तीन सौ में मिलने की बात कही थी…

Advertisement. Scroll to continue reading.

इन राजनीतिक मुद्दों को छोड़ भी दें तो ये वही रामदेव हैं जिन्होंने योग सिखाते-सिखाते लोगों को पहले बताया कि मैगी स्वास्थ्य के लिए कितनी घातक है और फिर ख़ुद अपनी ही मैगी बेचने लगे. वो भी ऐसी जो परीक्षणों में नेस्ले की मैगी से कहीं ज़्यादा घातक निकली.

ये वही रामदेव हैं जो बताते फिरते थे कि जींस की पैंट क्यों नहीं पहननी चाहिए. कहते थे इसे पहनने से पैरों में इतना पसीना आता है कि खुजली और इन्फ़ेक्शन हो जाता है. फिर ये अपनी ही जींस भी बेचने लगे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

ये वही रामदेव हैं जिन्होंने कभी स्वदेशी नाम की गाय को दुहा तो कभी भारतीय संस्कृति के नाम पर उत्पाद बेचे. लेकिन निर्लज्जता देखिए, जो बाबा कहते फिरते थे कि ‘फटी हुई जींस भारतीय संस्कृति पर आघात है’ उन्होंने खुद फटी हुई जींस तक बेची. और इस पर जब उनसे सवाल पूछे गए तो बेहद निर्लज्ज अट्टहास के साथ कहने लगे कि ‘हमारी वाली जींस थोड़ा कम फटी है.’
बाक़ी सब छोड़ दीजिए, कोरोना को ही लीजिए. यह महामारी जब दुनिया भर में पैर पसारना शुरू कर रही थी तो बाबा रामदेव दनादन सभी न्यूज़ चैनलों पर आधे-आधे घंटे के कार्यक्रम करने लगे. इस कार्यक्रम में बाबा पीछे होते और उनके उत्पादों की स्टॉल आगे होती. वे सबको बताते कि इस दौरान उनके कौन-कौन से उत्पाद लोगों को ख़रीदने चाहिए…

कोरोना की दवा के नाम पर इस वक्त तक उनके पास बेचने को कुछ नहीं था. तो पिछले साल के अप्रैल तक वो कोरोना वायरस को लोगों की नाक में तेल डालकर ही बहा दे रहे थे. कह रहे थे पेट में जाकर कोरोना वायरस मर जाएगा. लेकिन अब कथित दवा लेकर उतर आए हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस तरह से नियम-क़ानूनों को ताक पर रखते हुए बाबा रामदेव ने जो कुछ किया है, क़ायदे से उन पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ ही आपदा प्रबंधन अधिनियम, खाद्य सुरक्षा और मानक (विज्ञापन और दावे) विनियम और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के तहत मुक़दमा हो जाना चाहिए था.

लेकिन जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का… आख़िर सैंया को कोतवाल बनाने के फेर में ही तो 30 रुपए का पेट्रोल, तीन सौ का सिलेंडर और सौ दिन में कालेधन की वापसी जैसे दावे किए गए थे. अब जब सैंया कोतवाल बन गए हैं तो उन दावों की क़ीमत वसूली जा रही है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

जनता कल की मरती आज मरे, बस कफ़न पतंजलि का ख़रीद ले…

इस बेशर्म लाला अपनी दुकान चलाने के लिए ये उन डॉक्टरों का भी मज़ाक़ बना रहा है जो दिन-रात इस महामारी से लड़ते हुए खप गए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

बेशर्म तो ये आदमी हमेशा से रहा लेकिन अपनी बेशर्मी को डंके की चोट पर प्रदर्शित करने का साहस कहाँ से आता है, समझना मुश्किल नहीं है. ये हालत तब है जब देश के स्वास्थ्य मंत्री ने इसे एक बार चिट्ठी लिखकर कथित तौर पर चेतावनी दे दी है. उस चेतावनी को इसने कितनी गंभीरता से लिया, खुद देख लीजिए.

https://www.facebook.com/100000838181788/posts/3925617677476133/?d=n

Advertisement. Scroll to continue reading.

ये वही आदमी है जो कुछ साल पहले रामलीला मैदान से ऐसा भागा था कि अपनी लंगोट भी पीछे छोड़ गया था. सीधे जाकर अस्पताल में भर्ती हुआ था. खुद मुसीबत में था तो इसे आयुर्वेद याद नहीं आया.

आज ये स्वदेशी माफिया इतना हिम्मती हो गया कि कोरोना की फ़र्ज़ी दवाई खुलेआम बेच रहा है, स्वदेशी वैक्सीन बना लेने का झूठा दावा कर चुका है, डॉक्टरों की मौत का मज़ाक़ बना रहा है और मजाल है किसी की कि इसका बाल भी बांका हो जाए?

Advertisement. Scroll to continue reading.

इन हरकतों के लिए इस पर सिर्फ़ IPC ही नहीं बल्कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ और खाद्य सुरक्षा व मानक (विज्ञापन और दावे) जैसे क़ानूनों में मुक़दमे होने चाहिए थे और इसे जेल में होना था. लेकिन ये अपने मठ में माधुरी दीक्षित बना बैठा है और सरकार ला-ला-ला-लला की धुन बजा रही है. इसकी लालागिरी चालू है.

इसे जो लोग संरक्षण दे रहे हैं न, देखना एक दिन उन्ही की मौत पर ये पतंजलि का कफ़न बेचने भी पहुँचेगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

अमित चतुर्वेदी-

भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ इस दौर में भी डॉक्टर्ज़ के मरने का मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है, डॉक्टर्ज़ जिनकी जानें लोगों को बचाते हुए गयीं, उनका मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है, एक आदमी जो ख़ुद ज़रूरत पड़ने पर उन्हीं के पास जाता है ईलाज करवाने वो पूरी डॉक्टर कम्यूनिटी के ऊपर कीचड़ उछाल रहा है, और सबसे दुखद बात ये कि धर्म विशेष की नफ़रत में अंधे हुए लोग उसका समर्थन कर रहे हैं…


इसे भी पढ़ें-

Advertisement. Scroll to continue reading.

बिके हुए ‘आज तक’ ने डिबेट में रामदेव को अपनी दवा की ब्रांडिंग करने की इजाजत दे दी!

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement