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रणविजय सिंह पर गिरी गाज, समूह संपादक के पद से हटाकर लखनऊ ओपी श्रीवास्तव के अधीन अटैच किए गए

एक बड़ी खबर सहारा मीडिया से आ रही है. बताया जा रहा है कि यहां समूह संपादक के रूप में कार्यरत रणविजय सिंह को न सिर्फ पद से हटाया गया है बल्कि सहारा मीडिया के भी बाहर कर दिया गया है. चर्चा के मुताबिक रणविजय को लखनऊ स्थित सहारा मुख्यालय के आफिस में निदेशक के बतौर कार्यरत ओपी श्रीवास्तव के अधीन अटैच किया गया है.

<p>एक बड़ी खबर सहारा मीडिया से आ रही है. बताया जा रहा है कि यहां समूह संपादक के रूप में कार्यरत रणविजय सिंह को न सिर्फ पद से हटाया गया है बल्कि सहारा मीडिया के भी बाहर कर दिया गया है. चर्चा के मुताबिक रणविजय को लखनऊ स्थित सहारा मुख्यालय के आफिस में निदेशक के बतौर कार्यरत ओपी श्रीवास्तव के अधीन अटैच किया गया है.</p>

एक बड़ी खबर सहारा मीडिया से आ रही है. बताया जा रहा है कि यहां समूह संपादक के रूप में कार्यरत रणविजय सिंह को न सिर्फ पद से हटाया गया है बल्कि सहारा मीडिया के भी बाहर कर दिया गया है. चर्चा के मुताबिक रणविजय को लखनऊ स्थित सहारा मुख्यालय के आफिस में निदेशक के बतौर कार्यरत ओपी श्रीवास्तव के अधीन अटैच किया गया है.

रणविजय सिंह पर यह गाज कई वजहों से गिरी है. वह आंदोलनकारी कर्मचारियों को ठीक से टैकल नहीं कर पाए. साथ ही सहारा पर आए संकट से निपटने की प्रक्रिया में अपनी पूरी उर्जा नहीं दे पाए. कुछ अन्य वजह भी चर्चा में हैं. फिलहाल रणविजय सिंह के हटाए जाने से सहारा में एक बड़ी लाबी खुश है क्योंकि सहारा मीडिया में रणविजय सिंह लंबे समय से राज करते रहे हैं. साथ ही इस राज के दौरान उन्होंने अपना निजी साम्राज्य भी अच्छा खासा खड़ा कर लिया है. देखना है कि रणविजय सिंह अपमान सहकर सहारा के साथ बने रहते हैं या इस्तीफा दे देते हैं.

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0 Comments

  1. gud worker

    October 26, 2015 at 5:36 am

    सहारा मीडिया में अब ” बडों ” पर गाज गिरनी शुरू हो गई। हालांकि इसका पहला निशाना समूह संपादक का होना बताया जा रहा है। समूह संपादक रणविजय सिंह को डिप्टी मैनेजिंग वर्कर ओपी श्रीवास्तव के साथ सम्बद्ध कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि गत महीनों मीडिया में हुई हडताल को हैंडिल न कर पाने की वजह से सहारा के मुखिया तमाम बडे अधिकारियों से खफा थे लेकिन हाल में तिहाड़ जेल में अधिकारियों की बैठक कोढ में खाज बन गई। इस बैठक में लखनऊ के स्थानीय संपादक ने सिंह के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया। बताया जाता है कि तोमर ने सहारा श्री के सामने रणविजय की कच्चा चिट्ठा रख दिया।

  2. insaf

    October 26, 2015 at 9:01 am

    बतायाया भी जा रहा है कि अगला निशाना सहारा उर्दू मीडिया के हेड सैयद फैसल अली हो सकते हैं, क्योंकि उनके बारे में सहारा के परशाशन को पूरी जानकारी हो गई है। एक तो यह कि सहारा उर्दू मीडिया कर्मी उनके व्यवहार से परेशान हैं, दूसरे यह कि उर्दू के हेड खुद उर्दू लिखना पढ़ना ही नहीं जानते। तिहाड़ में जब यह बात सहाराशरी को बताई गई तो वे दंग रह गए और उन्होंने वादा किया था कि वह मीडिया में बड़े बदलाव करेंगे। रन विजय जी को हटाकर सहाराशरी ने इस पर करने का शुभ आरम्भ कर दिया है। जय सहारा श्री

  3. दादा

    October 26, 2015 at 11:11 am

    दुर्दिन में क्या आशा की जा सकती है. जब से सहाराश्री जेल गए हैं पत्रकारों की सुनने वाला कोई नहीं रहा. इक्का दुक्का बच गए है. समय पर वह भी निकल जायेंगे. जो लोग रणविजय सिंह के जाने पर इतर रहे है . उन भाईओं से सलाह है ज्यादा इतराने की जरुरत नहीं है. सबका हश्र एक न एक ऐसा ही होने वाला है. बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी. सहारा टाइटैनिक बन चूका है. अब होश में आकर अपने साथियों से व्योहार करो. डूबना तो सभी को है.

  4. abc

    October 26, 2015 at 11:37 pm

    ये तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था.. अगर ये कुछ साल पहले हो जाता तो सायद अखबार का ये हाल नहीं होता.. पर अभी सहारा मै कुछ पता नहीं क्या पता कुछ दिन बाद और बड़ी पोस्ट पर आ जाये….

  5. ashish singh

    November 1, 2015 at 8:05 am

    रणविजय सिंह जैसे लोगों ने ही मीडिया का नाम बदनाम कर रखा है, एेसे नाकाबिल लोगों की वजह से सहारा मीडिया खासकर राष्ट्रीय सहारा का यह हश्र हुआ है, जिस समूह संपादक को आंखो से सही से दिखाई न देता हो वो क्या कटेंट समझेगा और कैसे खबरों की समीक्षा करेगा.। रणविजय सिंह जातिवाद के घोर समर्थक रहे हैं..और समूह में नकारा टाइप के लोगों के पालनहार रहे है..ये तो होना ही था..।

  6. Khabari Bol

    November 2, 2015 at 11:52 pm

    मालिकों के पैर दबाने वाले छोड़ते नहीं हैं बल्कि निकाले जाते हैं. रमविजय सिंह उसी किस्म के मानव हैं.

  7. Debasis Dasgupta

    November 9, 2015 at 11:10 pm

    Hon’ble Saharasri Jee are humbly requested to through out all the persons from the Sahara India Pariwar, those who are not taking any interest for the Organization and employees.

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