Dilip Khan : अलग तथ्यों के साथ दैनिक जागरण की ख़बर का खंडन करने के बजाए ख़ुद देखिए कि जागरण की ख़बर में क्या है? संपादक किस तरह बलात्कारी के पक्ष में उतरा हुआ है.
1. जागरण लिखता है, “इतना है कि बच्ची का हाइमन फटा हुआ है।” फिर इसको जस्टिफाई करने के लिए किसी डॉक्टर का बयान छापा है कि हाइमन किन-किन तरीक़ों से फट सकता है. उसमें साइकलिंग, घुड़सवारी जैसे उदाहरण गिनाए गए हैं.
2. आगे फिर लिखता है, “बच्ची के गुप्तांग में हल्का खून का धब्बा जरूर है।” रिपोर्टर फिर इसको जस्टिफाई करता है कि “यह चोट के कारण भी हो सकता है।”
3. रिपोर्ट में लिखा गया है, “बच्ची के गुप्तांग और एफएसएल भेजे गए कपड़ों में भी कोई वीर्य नहीं पाया गया है।” जागरण ख़ुद ही आगे लिखता है, “क्राइम ब्रांच ने चार्जशीट में यह दावा जरूर किया है कि जांच के लिए एफएसएल में भेजे गए कपड़े धो दिए गए थे।”
4. जागरण अपने दावों के बीच फिर ख़ुद ही लिखता है, “(पुलिस ने) आरोपितों के अंडर गारमेंट्स भी एफएसएल में नहीं भेजे।”
5. जागरण लिखता है, “(अस्पताल ने) एसआइटी को जो बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भेजी है, वह एक नहीं बल्कि दो हैं। अमूमन मृतका की एक ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट अस्पताल से भेजी जाती है। दो डॉक्टरों की रिपोर्ट में भी अंतर है, जिससे यह मामला और पेचीदा हो गया है।”
खु़द की रिपोर्ट में इतने झोल हैं कि बलात्कारियों के पक्ष में उतरने की मानसिकता के बग़ैर कोई संपादक ये शीर्षक लगा ही नहीं सकता कि “कठुआ की बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म”.
राज्यसभा टीवी में कार्यरत पत्रकार दिलीप खान की एफबी वॉल से.
फेक न्यूज़ पर आंखें तरेरने वाली मंत्री जागरण के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगी?
Nitin Thakur : फेक न्यूज़ पर आंखें तरेरने वाली सूचना प्रसारण मंत्री दैनिक जागरण के खिलाफ क्या कार्रवाई करने जा रही हैं? एक आठ साल की बच्ची के मामले में उसने मुख्यपृष्ठ पर जो छापा क्या उस पर मंत्री जी को मां होने के नाते वैसा गुस्सा नहीं आ रहा जैसा उन्हें संसद में रोहित वेमुला पर बोलते हुए आ रहा था? यहां तो मामला वैसे भी महिला से जुड़ा है. रेप के दोषियों का बचाव करनेवालों को तर्क मुहैया करानेवाले संस्थान पर कार्रवाई का इंतज़ार है.
आजतक न्यूज चैनल में कार्यरत पत्रकार नितिन ठाकुर की वॉल से.
पत्रकारिता की विश्वसनीयता बर्बाद करने के लिए याद किया जाएगा दैनिक जागरण
Subhash Singh Suman : जागरण जैसे मीडिया घरानों को पत्रकारिता के इतिहास में याद किया जाएगा पूरी पत्रकारिता की विश्वसनीयता बर्बाद कर देने के लिये। कठुआ मामले पर तथ्यों की मनमानी व्याख्या कर फ्रंटपेज न्यूज बनाया समूह ने। बाद में ई-पेपर तो पूरा ही हटा लिया, पर जो प्रिंट सर्कुलेट हो चुका उसका क्या निदान? नुकसान तो हो चुका। खबर को इतने शातिर तरीके से लिखा गया है कि शायद ही कोई कार्रवाई का आधार बन सके। छवि बहुत अधिक बर्बाद होने की स्थिति में गुप्ता के पास नया ब्रांड लांच कर देने का पैसा है, पर सबसे भयंकर नुकसान पत्रकारिता की विश्वसनीयता का हुआ है और इसकी भरपाई शायद मुमकिन ही नहीं।
पीटीआई में कार्यरत पत्रकार सुभाष सिंह सुमन की एफबी वॉल से.
‘जागरण’ के आपराधिक चरित्र के विरोध में इसके साहित्य उत्सव बहिष्कार करता हूं
Dhruv Gupt : देश की संवेदना को सुलाने की कोशिश में ‘जागरण’! जम्मू के कठुआ में आठ साल की एक मासूम बच्ची आसिफा के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उपलब्ध तमाम वैज्ञानिक सबूतों, प्रमाणों और तथ्यों को झुठलाते हुए अखबार ‘दैनिक जागरण’ ने अपने जम्मू सहित कई संस्करणों के हैडलाइन में जो खबर लगाई है, वह यह है – ‘बच्ची के साथ नहीं हुआ दुष्कर्म’ ! मनगढंत तथ्यों के आधार पर बनाई गई ‘जागरण’ की इस खबर से देश का हर संवेदनशील व्यक्ति हैरत में है। ज्ञातव्य है कि दिल्ली की फोरेंसिक साइंस लैब ने अपनी रिपोर्ट में न सिर्फ बच्ची के साथ बलात्कार की पुष्टि की है, बल्कि यह भी स्पष्ट कहा है कि मंदिर के अंदर जो खून के जो धब्बे मिले थे वे पीड़िता के थे और वहां बालों का जो गुच्छा मिला वह एक आरोपी शुभम का था। और यह भी कि पीड़िता के गुप्तांग और कपड़ों पर मिले खून के धब्बे उसके डीएनए प्रोफाइल से मैच करते हैं। ‘जागरण’ ने निष्पक्ष पत्रकारिता के मूल्यों की कीमत पर अपने ख़ास राजनीतिक एजेंडे के तहत देश में बलात्कार के पक्ष जो माहौल बनाने की कोशिश की है, उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाय कम होगी। ‘जागरण’ के इस अनैतिक, अमानवीय और आपराधिक चरित्र के ख़िलाफ़ मैं आज और कल पटना के तारामंडल में आयोजित बिहारियों के तथाकथित साहित्य उत्सव ‘बिहार संवादी’ का बहिष्कार करता हूं।
पूर्व आईपीएस और साहित्यकार ध्रुव गुप्त की एफबी वॉल से.
दैनिक जागरण की खबर फासिज्म को प्रमोट करने वाला
Sanjeev Chandan : वरिष्ठ कवि अरुण कमल ने दैनिक जागरण की आज की खबर को ‘सीधा-सीधा फासिज्म को प्रमोट करने वाला बताते हुए अखबार की इस अमानीय व बर्बर हरकत की भर्त्सना की। उन्होंने आगे कहा कि अखबार द्वारा बलात्कारियों के पक्ष में इस हद तक की गलतबयानी करना उस बच्ची के साथ बलात्कार करने जैसा ही है।और उसके द्वारा आयोजित संवादी में शामिल होने के सवाल पर प्रतिप्रश्न किया कि ‘क्या आपको लगता है कि इसके बाद भी हम कार्यक्रम में जायेंगे?’ वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने कहा कि दैनिक जागरण हमेशा से ऐसा ही अखबार रहा है। खबरों को तो छोड़िए लेखों को भी हद से ज्यादा एडिटिंग करनेवाला। इसीलिये मैंने कभी कुछ नहीं लिखा इस अखबार के लिए। मदन कश्यप जी कहते हैं कि वो शुरू से ही दैनिक जागरण के कार्यक्रमों का बहिष्कार करते रहे हैं। वरिष्ठ साहित्यकार उषा किरण खान का जवाब निराशाजनक था, वे आज ही आसिफा सहित अन्य बलात्कार के मामलों पर प्रतिरोध की कविता का पाठ आयोजित कर रही हैं और इसे ही वे उपलब्धि बताते हुए कार्यक्रम में जाने को तैयार हैं. (रिपोर्ट- सुशील मानव)
पत्रकार और एक्टिविस्ट संजीव चंदन की एफबी वॉल से.
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Madan Tiwary
April 21, 2018 at 3:13 pm
एक वकील होने के नाते मैं दैनिक जागरण की रिपोर्ट से पूरी तरह सहमत हूँ, rupture of hymen , खून का धब्बा ठोस साक्ष्य नही हो सकते इस तरह के बलात्कार के जिसमे अनेक लोगो ने बलात्कार किया हो , कपड़े को चाहे कितना भी धो दिया जाय उसके थ्रीड यानी धागे में ब्लड सेल मिल जाएगा , भावनाओ में बहकर निष्पक्ष समीक्षा नही की जा सकती है ।
इस रेप की घटना को संदेहास्पद साबित करने के लिए प्रोजिक्यूशन की मात्र एक भयंकर भूल का मैं यहां जिक्र कर दे रहा हूँ ,इस भूलकर को पढ़कर मुझे खूब हंसी भी आई।
लड़की के कपड़े को धोकर साक्ष्य मिटाने की बात कही जा रही है , क्या अभियुक्त इतने मूर्ख थे कि कपड़ा धोते और सुखाते ? बेहतर विकल्प था कपड़े को जला देना । अब यह तर्क मत दीजियेगा कि दुर्घटना साबित करने के लिए वस्त्र को नही जलाया अभियुक्तों ने ,क्योकि फिर अगला विकल्प था गहरे नाले या खाई में लाश को फेक देना ।
आप सभी विद्वतजन कृपया शोपियन रेप केस जो 2013 में हुआ था उसका अध्ययन कर लीजिए, इससे ज्यादा साक्ष्य उस समय दिखलाया गया था ।
बाकी मस्ती कीजिये कुछ दिनों तक इसी बहाने माहौल गर्म रहेगा ।
cn yadav
April 21, 2018 at 6:44 pm
Dainik jagaran modi ke tukado par palane wala wo kutta hai jo apne malik ke isharo par hi kaam karta hai, ye sab script bjp aur rrs walo ka tha, damage control karne ke liye fake news chap diya
deven kumar
April 23, 2018 at 7:18 am
To help the party in power (for their personal gains) this paper can go to any extent, it is visible in their reporting by all means