Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

सहारा मीडिया : हड़ताल से अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे, कर्मियों से अपील

पहले तो राष्ट्रीय सहारा नोएडा और वाराणसी सहित उन सभी यूनिटों के बहादुर साथियों को सलाम, जिन्होंने कार्य बहिष्कार कर ऐतिहासिक एकजुटता का परिचय दिया। देहरादून यूनिट के लोग कब जगेंगे, यह कहा नहीं जा सकता। लेकिन बाकी तीन यूनिटों के बहादुर साथियों ने सहारा प्रबंधन की हेकड़ी निकाल दी, जो सीना ठोंक कर कहते थे कि हम विश्व सबसे बड़े और एकमात्र संस्थान हैं जहां यूनियन नहीं है। हमारा संस्थान विश्व का सबसे बडा भावनात्मक परिवार है।

<p>पहले तो राष्ट्रीय सहारा नोएडा और वाराणसी सहित उन सभी यूनिटों के बहादुर साथियों को सलाम, जिन्होंने कार्य बहिष्कार कर ऐतिहासिक एकजुटता का परिचय दिया। देहरादून यूनिट के लोग कब जगेंगे, यह कहा नहीं जा सकता। लेकिन बाकी तीन यूनिटों के बहादुर साथियों ने सहारा प्रबंधन की हेकड़ी निकाल दी, जो सीना ठोंक कर कहते थे कि हम विश्व सबसे बड़े और एकमात्र संस्थान हैं जहां यूनियन नहीं है। हमारा संस्थान विश्व का सबसे बडा भावनात्मक परिवार है।</p>

पहले तो राष्ट्रीय सहारा नोएडा और वाराणसी सहित उन सभी यूनिटों के बहादुर साथियों को सलाम, जिन्होंने कार्य बहिष्कार कर ऐतिहासिक एकजुटता का परिचय दिया। देहरादून यूनिट के लोग कब जगेंगे, यह कहा नहीं जा सकता। लेकिन बाकी तीन यूनिटों के बहादुर साथियों ने सहारा प्रबंधन की हेकड़ी निकाल दी, जो सीना ठोंक कर कहते थे कि हम विश्व सबसे बड़े और एकमात्र संस्थान हैं जहां यूनियन नहीं है। हमारा संस्थान विश्व का सबसे बडा भावनात्मक परिवार है।

नोएडा के बहादुर साथियों ने जेल की हवा खा रहे सुब्रतो राय की सारी हेकडी निकाल कर रख दी। इसमें वाराणसी के साथियों का योगदान भी नहीं भुलाया जा सकता । काशी के साथियों ने वहां के चापलूस संपादक स्नेह रंजन की उस ऐंठ को धूल चटा दिया कि हिंदी दैनिक आज के कर्मचारियों को बुलाकर अखबार निकलवा लेंगे। लखनऊ के साथियों पर वहां के स्थानीय संपादक रहे रणविजय सिंह अनुनय विनय काम कर गया। सूचना है कि यहां से छपने वाला डाक संस्करण नहीं छपा। सभी संस्करणों में सबसे गंदी भूमिका गणेश शंकर पुरस्कार से सम्मानित दिलीप कुमार चौबे के नेतृत्व में छपने वाले देहरादून संस्करण की रही है। न केवल यहां सभी संस्करण निकले बल्कि इसने अन्य संस्करणों मसलन मुख्यालय नोएडा की अपने सारे पेज भेज कर मदद भी की। हाँ हर हालत में रात ११ बजे तक आफिस छोड देने वाले संपादक चौबे जी रात दो बजे तक डटे रहे और उनके साथ यूनिट हेड भी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सहारा के साथियों से अपील

पहले तो उन बहादुर साथियों को क्रांतिकारी अभिनंदन जिन्होंने कार्य बहिष्कार कर अखबार का प्रकाशन ठप/बाधित किया । जिस भी यूनिट के साथी अपना विरोध दर्ज करा पाए, उनके सामने भी सुनहरा मौका है।  मित्रों, धर्म संकट में न पड़ें। जब लोहा गरम हो तभी चोट करना चाहिए। आखिरकार, एक साल आप इसी धर्म संकट में थे कि मालिक जेल में है ऐसे में विरोध उचित नहीं। मालिक हमारी आपकी वजह से जेल में नहीं है फिर वो वहाँ भी ऐश कर रहा है। बच्चे हमारे भूखों मर रहे हैं। अखबार के सारे खर्चे पूरे करने के लिए संस्थान के पास पैसे हैं कर्मचारियों को वेतन देने के लिए नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब आप खुद ही सोचिए लगभग तीन साल से डीए शून्य है, सालाना बढोत्तरी भी खा गए, बोनस नहीं दिया। १० / १२साल से प्रमोशन नहीं हुआ है। मजीठिया और मजीठिया का एरियर छोडिए आज छोटे से छोटे कर्मचारी का लाख डेढ़ लाख सिर्फ और सिर्फ वेतन के मद का बाकी है। मित्रों डरे नहीं, अपने हक के लिए एकजुट होकर संघर्ष करें। लडाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हर हथियार का इस्तेमाल करें। वकीलों से मिलें, लेबर कोर्ट भी जाएं। हां, अधिकारियों की चिकनी चुपडी बातों में न आएं।

यशवंत भाई यह अपील सहारा के कर्मचारियों के व्यापक हित में है। आपने हर आंदोलन का आंदोलनकारियों का हर तरह से सहयोग किया है। हमें याद है पी ७ में आपका योगदान, मजीठिया के लिए अपनी बिरादरी का सहयोग और जागरण के साथियों के लिए अलख जगाने का कार्य। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप हमारा नैतिक बल हमेशा की तरह बढाते रहेंगे। इस अपील यदि आप भडास में स्थान देंगे तो अगले आंदोलन को बल मिलेगा। सहारा के लोगों को छह माह का वेतन नहीं मिला है वे पर्चे आदि नहीं छपवा सकते बस भड़ास का ही सहारा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

राष्ट्रीय सहारा, देहरादून में कार्यरत रहे पत्रकार अरुण श्रीवास्तव द्वारा भेजे गए मेल पर आधारित.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. Bharatmata

    July 11, 2015 at 8:12 am

    Patna me bhi saharakarmiyon ne hartal ki bigul baja di hai. Desh Dipak, Ramakant pd Chandan, Avadh kumar aur Rakesh ne yahan prabhandhak aur editor ko shishta ke sath kah diya hai ki aaplog aaj akhbar nikalne ki alternative vyavastha kar lijiye. sAHARA KE YE SABHI KARMI SUBAH ME OFFICE PAHUNCH GAYE THE.

  2. pankaj

    July 11, 2015 at 10:47 am

    भाई ये देहरादून यूनिट मुझे छोड़े पाँच माह हो गये है आज तक मेरा पी.एफ. का पैसा नहीं दिया है।और तो और जो संस्थान ने पी.एफ. न. दिया वो भी सही नहीं दिया है।मैंने भी परेशान होकर सहारा के खिलाफ पी.एफ. आफिस देहरादून और पी.एफ.आफिस लखनऊ मे शिकायत की है।लखनऊ भविष्य निधि आयुक्त इस मामले की जांच कर रहे है।

  3. एक पत्रकार

    July 11, 2015 at 11:30 am

    पंकज जी सिर्फ आपकी ही शिकायत हैं पी एफ के बारे में और कोई नही इतने बड़े ग्रुप में ? उत्तर उजाला में हैं क्या आप ?

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement