देहरादून : दैनिक समाचारपत्र ‘राष्ट्रीय सहारा’ छोड़ कर जाने वालो का सिलसिला कब थमेगा, ये तो उसका प्रबन्धन भी नहीं जानता है । बहरहाल, ताजा मामला देहरादून से छपने वाले राष्ट्रीय सहारा का है । आठ साल हो गया अखबार को शुरू हुए । इन आठ वर्षों में जितने लोग इससे जुड़े नहीं, दोगुने से ज्यादा लोगों ने इसको अलविदा कह दिया है । वैसे भी अच्छे लोग यहां टिके नहीं क्योकि इन्हें टिकाऊ लोग मसलन कमलेश्वर, नामवर सिंह नहीं, रणविजय और मनोज तोमर चाहिए ।
अब बात मुद्दे की। अभी तक नौकरी छोड़ने वाले सम्पादकीय के थे, अब अन्य विभाग के लोग भी खूंटा तोड़ कर भागने लगे हैं । प्रसार विभाग के यशवीर और इलेक्ट्रीशियन मनोज कुमार ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ से खुद को अलग कर लिया है।
मनोज ने बाकायदा नोटिस देने के बाद संस्थान छोड़ा है, हालांकि प्रबन्धन ने काफी मान मनौवल की थी लेकिन वे जाने पर अड़ गए थे। गनीमत है कि मजीठिया के कारण अखबारों में भरती नहीं हो रही है वरना सहारा में तो सुनामी आ जाए।
एक पत्रकार के पत्र पर आधारित
Comments on “राष्ट्रीय सहारा से दो ने नाता तोड़ा”
ab baari hai delhi ke national bureau ki wahan se bhi prateek mishra jane ki taiyari mein hain. jugaad mein lage hain. naukari to sabhi khoj rahe hain magar mile tab to
दो नही तीन ने सहारा छोडा । तीसरे मारकेटिन्ग के पुरी जी है । दो छोड़ने वाले है
मुश्किलो में ही इंसान की पहचान होती हैं। जब तूफान आता हैं तो कमज़ोर साथ छोड़ देते हैं और मजबूत वृक्ष जमे रहते हैं।
कोई भी स्थिति लंबे समय तक नही रहती। सहारा फिर पहले से ज्यादा मज़बूत होगा।
स्थिति ये नही रहेगी समय के साथ सहारा पहले से भी अधिक मज़बूती से खड़ा होगा। ऐसा समय भी आता हैं और इसी में पहचान होती हैं कमज़ोर और मज़बूत वृक्षो की,, जो वक़्त पर टिके रहे।
5 months ki salary naa mile to nakaara aur nikkhatu hi ban jata hai karamchari ,, ram babu jaise comment to ram babu jaise log jo leg puller hai kar sakte hai