सहारा मीडिया से बड़ी खबर आ रही है कि साल भर से सेलरी न मिलने से नाराज राष्ट्रीय सहारा अखबार के कर्मियों ने हड़ताल कर दिया है. हड़ताल से नोएडा, लखनऊ, बनारस, कानपुर यूनिटें प्रभावित हैं. बताया जा रहा है कि गोरखपुर और पटना की यूनिटों में हड़ताल नहीं हुआ है. कार्य बहिष्कार के कारण सहारा मीडिया के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भागदौड़ तेज कर दी है. किसी तरह हड़ताल खत्म कराने की कोशिशें हो रही हैं.
हड़ताल से जुड़े कर्मियों का कहना है कि सेलरी के लिए कई तारीखें देने के बाद भी जब प्रबंधन सेलरी नहीं दे पा रहा है तो उनके पास सिवाय हड़ताल के कोई चारा नहीं रह गया है. आर्थिक तंगी के कारण सहारा कर्मी बेहद परेशान हैं. स्कूल फीस से लेकर मकान किराए तक के लाले पड़ गए हैं. बताया जा रहा है कि सुब्रत राय सेलरी के लिए पैसे रिलीज नहीं कर रहे हैं जिससे कर्मियों को तनख्वाह नहीं दिया जा रहा है. सहारा मीडिया के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मार्केट से पैसे निकाल कर सेलरी देने का वादा किए थे लेकिन यह भी नहीं हो पा रहा है. अंतत: सभी को सिर्फ आश्वासनों के भरोसे जीना पड़ रहा है. इन हालात से आजिज सहारा कर्मियों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया.
कल दिन से ही आज की हड़ताल की तैयारी शुरू हो गई थी. आज दोपहर तीन बजे से लोग आफिस पहुंचने तो लगे लेकिन काम नहीं किया. इस कार्य बहिष्कार की आग राष्ट्रीय सहारा की कई यूनिटों में फैल गई. सूत्रों के मुताबिक मैनेजरों और अन्य वरिष्ठ लोगों को तो लिफाफे में पेमेन्ट किया जा रहा है लेकिन कर्मियों को कोई पैसा नही दिया जा रहा. चर्चा है कि बीते 18 अप्रैल को लखनऊ में मैनेजर रैंक के एक अफसर को 1.90 लाख का चेक दिया गया.
अखबार के डेस्क और फील्ड के कर्मियों को वेतन नहीं दिया जा रहा. 18 को नोएडा में लोगों ने वेतन को लेकर घेराव किया था और चेतावनी दिया था कि यदि 20 को पूरी सेलरी नहीं आई तो सभी लोग हड़ताल पर चले जाएंगे और अगला अंक यानि 21 अप्रैल का अंक नहीं निकलेगा. हड़ताली कर्मियों ने बताया कि राष्ट्रीय सहारा के नोएडा और लखनऊ यूनिट के लोगों ने काम करना बंद कर दिया है. कानपुर और वाराणसी यूनिट में भी काम का बहिष्कार कर दिया गया है. गोरखपुर और पटना यूनिट के लोगों का दोगलापन भरा रवैया इस बार भी कायम है.
BEBAK
April 20, 2016 at 5:29 pm
यह तो होना ही था, बनारस में तो कर्मचारी इस कदर गुससे में थे कि संपादक शशि प्रकाश राय की पीटाई होने की नौबत आ गई` यूनिट मैनेजर आशिस सिंह ने कर्मचारीओ को किसी तरह शांत करा उनको बचया` संपादक को वहां से भागना पड़ा`
NARAD
April 20, 2016 at 5:55 pm
यह तो होना ही था. बनारस में तो संपादक शशि प्रकाश राय की पिटाई होते होते बच गई` मैनजेर ने उनको बचाया। अंत में संपादक को वहां से भागना पड़ा. मैनजेर ने कर्मचारीओ को किसी तरह शांत करया` यहां लोग सम्पादक के बेवहार से भी नाराज थे
Inquilab
April 21, 2016 at 1:05 am
आक्रोश की पीछे नियमित वेतन न मिलना मुख्या कारण तो है ही , साथ ही आक्रोश का तात्कालिक कारण यह भी है कि पटना यूनिट के एक ऐसे ब्यूरो रिपोर्टर का वेतन १८ हजार बढ़ा दिया गया जो संस्थान को जलील करने में जुटा है. दिल्ली में आन्दोलनकारियों से प्रबंधन की हुई वार्ता में यह भी मुद्दा शामिल था. मुद्दा सही भी है. सब कुछ ठीक चल रहा था . पर पुरे देश में १८ हजार के मामले ने सहारा कर्मियों के उत्साह को करंट मार दिया. पैसे बढ़ने चाहिए, किन्तु वैसे लोगों को जो संस्थान को बढ़ाने में जुटे हैं. जो इस कोशिश में जुटे है कि यूनिट के खर्चे कैसे कम हो. राजस्व कैसे बढे .
Insaf
April 21, 2016 at 4:17 am
Please encourage the workers.