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गुंडों का रवीश कुमार को धमकाना… एबीपी न्यूज-आजतक जैसे चैनलों को पब्लिक का दुःख न दिखना

Virendra Yadav : तीन दिनों से लगातार देख रहा हूँ एनडीटीवी पर. रवीश कुमार अपनी टीम के साथ बैंकों के सामने लगी कतारों, नोटों को लेकर अफरा तफरी और आम जनता की तकलीफों को ग्राऊंड जीरो से प्राईम टाईम रिपोर्ट में पेश कर रहे हैं. हर कहीं दो चार लोग आकर उन्हें धमकाते हुए यह कहते दीखते हैं कि ‘जनता खुश है, सब ठीक है आप गलत रिपोर्ट पेश कर रहे हो’. आज बुलन्दशहर की रिपोर्टिंग के दौरान यही हुआ. उद्विग्न रवीश को एनडीटीवी के दर्शकों से यह कहना पड़ा कि ‘अगर यही सब चलता रहा तो जल्द ही टीवी पर आप सच्चाई नहीं देख पायेंगे’. सच का गला घोंटने की यह दबंगई हिटलर के दौर के उन ‘ब्राउन शर्ट’ दस्तों की याद दिलाती है जो फासीवाद के सफरमैना की भूमिका में थे. सचमुच हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. इन पदचापों को न सुनने की भूल आत्मघाती होगी.

<p>Virendra Yadav : तीन दिनों से लगातार देख रहा हूँ एनडीटीवी पर. रवीश कुमार अपनी टीम के साथ बैंकों के सामने लगी कतारों, नोटों को लेकर अफरा तफरी और आम जनता की तकलीफों को ग्राऊंड जीरो से प्राईम टाईम रिपोर्ट में पेश कर रहे हैं. हर कहीं दो चार लोग आकर उन्हें धमकाते हुए यह कहते दीखते हैं कि 'जनता खुश है, सब ठीक है आप गलत रिपोर्ट पेश कर रहे हो'. आज बुलन्दशहर की रिपोर्टिंग के दौरान यही हुआ. उद्विग्न रवीश को एनडीटीवी के दर्शकों से यह कहना पड़ा कि 'अगर यही सब चलता रहा तो जल्द ही टीवी पर आप सच्चाई नहीं देख पायेंगे'. सच का गला घोंटने की यह दबंगई हिटलर के दौर के उन 'ब्राउन शर्ट' दस्तों की याद दिलाती है जो फासीवाद के सफरमैना की भूमिका में थे. सचमुच हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. इन पदचापों को न सुनने की भूल आत्मघाती होगी.</p>

Virendra Yadav : तीन दिनों से लगातार देख रहा हूँ एनडीटीवी पर. रवीश कुमार अपनी टीम के साथ बैंकों के सामने लगी कतारों, नोटों को लेकर अफरा तफरी और आम जनता की तकलीफों को ग्राऊंड जीरो से प्राईम टाईम रिपोर्ट में पेश कर रहे हैं. हर कहीं दो चार लोग आकर उन्हें धमकाते हुए यह कहते दीखते हैं कि ‘जनता खुश है, सब ठीक है आप गलत रिपोर्ट पेश कर रहे हो’. आज बुलन्दशहर की रिपोर्टिंग के दौरान यही हुआ. उद्विग्न रवीश को एनडीटीवी के दर्शकों से यह कहना पड़ा कि ‘अगर यही सब चलता रहा तो जल्द ही टीवी पर आप सच्चाई नहीं देख पायेंगे’. सच का गला घोंटने की यह दबंगई हिटलर के दौर के उन ‘ब्राउन शर्ट’ दस्तों की याद दिलाती है जो फासीवाद के सफरमैना की भूमिका में थे. सचमुच हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. इन पदचापों को न सुनने की भूल आत्मघाती होगी.

शम्भूनाथ शुक्ल : कल प्राइम टाइम में बुलंदशहर की दुर्दशा देख दिल दहल उठा। आम लोग परेशान हैं कोई अफसर, नेता या अमीर नहीं। दिन-दिन भर लाइन लगाते हैं और नंबर आने पर कैश ख़तम। ऊपर से कुछ गुंडे आकर रवीश कुमार को वहां से जाने पर विवश कर देते हैं। ज़ी, एबीपी और आजतक पता नहीं कौन-सी रिपोर्टिंग कर रहे हैं जो उन्हें पब्लिक का दुःख दिखता नहीं।

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Sarvapriya Sangwan : इस बीच जब ये खबर आ रही है कि यूपी सरकार ने कल रवीश कुमार की प्राइम टाइम रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए खोड़ा के एसबीआई बैंक में काउंटर बढ़ा दिए और मोबाइल एटीएम का इंतज़ाम किया है तब मैं पिछले दो दिन की ग्राउंड रिपोर्टिंग के अनुभव को लिखने बैठी हूँ। बुधवार को खोड़ा में रवीश कुमार के साथ मैं भी रिपोर्टिंग पर गयी थी। वहां हमने देखा और रवीश ने भी कई बार दोहराया कि जैसे ही कोई नोटबंदी की वजह से आ रही परेशानियों पर कुछ कहता है तो कहीं से एक दबंग आवाज़ आती है कि क्या हो गया परेशानी है तो, मोदी जी ने ठीक किया। लोग अपनी बात फिर से संकोच के साथ शुरू करते हैं कि हां, हम भी साथ हैं लेकिन खाने को पैसे नहीं हैं। कल जब शूट खत्म हुआ तो दो बाइक सवार आये और रवीश से बोले कि आप ही के चैनल पर भीड़ दिख रही है बैंकों के सामने, कुछ और भी दिखाइए। उसका बोलना आरोप जैसा लग रहा था। 93% गाँवों में बैंक ही नहीं है, देश की बैंकिंग सिस्टम की हालत साफ़ नज़र आ रही है और फिर भी पता नहीं कौनसे सुहाने सपने दिखाने की उम्मीद कर रहे हैं ऐसे लोग। क्या मीडिया जनता का माइक नहीं होनी चाहिए? क्या वो सिर्फ सरकार और राजनीतिक दलों को प्रेस कांफ्रेंस दिखाने के लिए है? मैं नहीं जानती कि ऐसे लोग एक न्यूज़ चैनल पर और क्या देखना चाहते हैं। शायद, बागों में बहार, वो भी बेमौसम।

आज बुलंदशहर पहुंचे। जिस बैंक में गए, वो 16 गाँवों में अकेला बैंक था, लोग शिकायत करने लगे। हमारी गाड़ी के पीछे एक गाड़ी खड़ी थी जिस पर वीआईपी का स्टीकर लगा था। लोग अपनी समस्या कह ही रहे थे तभी एक व्यक्ति वहां आया जो पहले से उस भीड़ में नहीं था। उसने रवीश को कहा कि परेशानी है तो क्या हुआ, बॉर्डर से ज़्यादा नहीं है, बॉर्डर पर 80% जाट मरते हैं और मैं भी जाट हूँ। कल आरोप की तरह बात की गयी और आज ये व्यक्ति धमकाने लगा, अपने साथ कुछ लड़कों को लाया था और उनके साथ मिलकर मोदी मोदी चिल्लाने लगा। हम बिगड़ते हालात को देख कर वहां से निकल गए और ये व्यक्ति भी बिना पैसा लिए या बैंक की लाइन में लगे वहां से अपनी स्कूटी पर चला गया।

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वक़्त कुछ ऐसा ही है कि जान कोई दे रहा है और उसकी जान की कीमत उसकी जाति के लोग घर बैठे वसूल रहे हैं। बिना कुछ किये। गुंडागर्दी करते हुए आप बता रहे हैं कि जाट हैं तो आप उस जाति की बेइज़्ज़ती ही कर रहे हैं।  फिर हम एक अनाजमंडी पहुंचे, जहाँ लोग यूरिया खरीदने के लिए लाइन लगाये हुए थे, किसी ने बताया कि उसने अभी धान बेचा और नकद मिला जिसमें पुराने 500 और 1000 के नोट हैं लेकिन यूरिया इन पैसों से नहीं मिल रहा। मुझे उन लोगों में पीछे खड़ा हुआ एक 22-23 साल का एक लड़का दिखा जो उस भीड़ से अलग ही लग रहा था। Leather jacket, चश्मा लगाया हुआ था। उसने जाकर किसी को फ़ोन मिलाया, मैं उसे नोट कर रही थी। अचानक उस मंडी का कोई पल्लेदार आया और रवीश के ऊपर चिल्लाने लगा कि आप किसलिए 500 के नोट दिखा रहे हैं, हमने तो दिए नहीं, आप खुद दे रहे हैं।

बिना किसी वजह के इस तरह का हमला औचक था। रवीश को और कैमरामैन को घेरने की कोशिश की, लेकिन वो और टीम के लोग गेट से पैदल बाहर निकल गए, पल्लेदार ने अपने लोगों के साथ मिलकर गेट बंद कर दिया और हमारी गाड़ी अंदर ही रह गयी। कैमरामैन से भी बदसलूकी करने लगे। मैं पहले ही थोड़ा अलग हो गयी थी और एक छोटे गेट से निकल आई। हम कुछ मीटर पैदल चले जब तक गाड़ी बाहर नहीं निकली। हमने पुलिस को बुलाया। वो लड़का जो मंडी में दिखा था, वो अपने साथी के साथ बाइक पर लगातार पीछा कर रहा था। मैं नंबर नोट कर चुकी थी और पुलिस को दे दिया। उसके बाद भी जब हम दिल्ली की तरफ निकले तो एक और वीआईपी स्टीकर वाली गाड़ी ने काफी दूर तक पीछा किया। लग रहा था मानो हम किसी निगरानी में हैं।

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मैं फैसला नहीं कर पा रही हूँ कि ग्राउंड रिपोर्टिंग का कोई मतलब अब बचा है या नहीं। मौका ढूँढा जा रहा है कि किसी तरह एक आवाज़ को ख़त्म कर दें किसी भी तरीके से। चाहे ट्विटर पर ट्रेंड करा कर या मार-पीट तक पहुंचा कर। ये जनता नहीं है। जो असल जनता है वो कतारों में खड़ी है, बाकी बाइकों पर धमकी देते घूम रहे हैं। रवीश कुमार ने खोड़ा पर रवीश की रिपोर्ट पहले भी की है, दिल्ली के कई इलाकों में कांग्रेस सरकार के दौरान रिपोर्ट की है, लेकिन तब क्या इसी तरह देश में देशद्रोही साबित करने का ट्रेंड था? अरे नहीं, राजनीतिक दलों के आईटी सेल कहाँ बने थे तब। अगर किसी योजना के लागू होने में दिक्कतें आ रही हैं और लगातार कई दिन से आ रही हैं तो क्या किया जाना चाहिये,एक कीर्तन मंडली बैठा देनी चाहिए चैनल पर जो भजन गाती रहे। काफी ‘कंस्ट्रक्टिव’ होगा देश के लिए।  अच्छी बात के साथ ख़त्म करती हूँ। खोड़ा में आज डीएम, और कई अधिकारी आ गए, 2 मोबाइल एटीएम भी आ गए। आज काफी लोगों को पैसा मिला। बाकी, तुहमतें चंद अपने ज़िम्मे धर चले..जिस लिए आये थे हम, सो कर चले।

सौजन्य : फेसबुक

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0 Comments

  1. Rajesh garg

    November 19, 2016 at 12:50 pm

    NDTV visheskar iss ravish kumar ne kasam kha rakhi kewalo negtive news dikhane kii,, iske sath jo bhi ho raha he accha hi ho raha he….. abhi bhi vakqt he nahi tou hindustan ki janta galat reporting ab bardast nahi karegi…

  2. ramawtar gupta

    November 26, 2016 at 2:10 pm

    jin logo ko ndtv ki reporting galat lag rahi hai we apna paksh dusre chenal se desh ke samne rakhe par ye kaun sa loktantrik tarika hai ki kisi chenal ke reporter ko kam karne se roka jawe .jo ye kar rahe hai unhe indira gandhi ka itihas padh lena chahiye .we modi ka nuksan hi kar rahe hai

  3. Fazal

    December 13, 2016 at 5:15 pm

    Dr All,

    mera nam fazal hai or mai up ke barabanki ke dst ke dewa sharif town m rhta ho..

    mery fmly m 5 log h or m sbse bada ho gar ki puri jimedari muj pe h lagbhg or mere gar ka kharch pdaye or khana pena sb milakar lagbhag 15 s 10 hajar h or m market ka kam krta ho(feri)…jnte h is notebandi ke chalte m apni sister ka admisson ni krva paya ho or mere papa silaye ka kam krte h dilli m or vo b chut gya h isk chalte bht dukh hota or mera kam to pura band hi ho gya hai mai 10 rs k lye b presan ho gya ho or m kiraye p rhta ho na jane kb nend ati or kb jagta ho pta ni bs kya kro smaj ni ata hai ab mene majboori m 6000 rs ki noukari kr li h or itne dino 20000rs ka krja b ho chuka h…or agr m kuch khoga to log khege ye muslman h to kya m musalman ho to muje bolne ka hak ni hai is des m…mai ap logo s janna chata ho kon bada admi line me dika modi ki ma or rahul bs…..to ye bjp ke natao ke pas lakhho rs kha s arhe hai….mera sirf itna khana h k jitne hamere des m shahiid hue h unk sat kisi bade bjp neta ko b suside krna chaye tb jese jetli, amit, rajnat,,gatkari,,modi….iiii hate madrrrrrrr

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