Krishna Kant : रवीश कुमार को रमन मैग्सेसे पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। अभी अभी ख़बर मिली है कि एशिया का नोबेल कहा जाने वाला यह सम्मान रवीश को पत्रकारिता में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाएगा।
एक अमेरिकी कवि ने कहा है कि कलमकार को बेआवाज़ सड़कों को आवाज़ देनी चाहिए। रवीश कुमार हमारे समय में ऐसे ही पत्रकार हैं जो तमाम दबावों के बीच, थोड़ी बहुत डगमगाहट के साथ हमेशा वास्तविक मुद्दों के आसपास बने रहते हैं और तमाम बेआवाज़ों को आवाज़ देते हैं।
जब पत्रकार सरकार के पालतू होने के लिए मरे जा रहे हैं, रवीश अकेले हैं जिन्होंने न सिर्फ सरकार, बल्कि इस मीडिया के खिलाफ भी मोर्चा खोला और इसे गोदी मीडिया नाम दिया।
रवीश ने हमारे समय में पत्रकारिता की लाज बचाई है। उनके इस जुझारूपन को सम्मान मिलना तमाम युवाओं को उम्मीद से भर देगा। Ravish Kumar बहुत बहुत बधाई।
Amitabh srivastava : रवीश कुमार को मैगसेसे पुरस्कार उनकी निजी उपलब्धि और उनके संस्थान एनडीटीवी के लिए गर्व का अवसर तो है ही, यह निर्भीक पत्रकारिता का सम्मान है। एक ऐसे दौर में, जब मीडिया की विश्वसनीयता निरंतर रसातल की ओर ही अग्रसर हो और सरकार और सत्तारूढ़ दल की ठकुरसुहाती को ‘सर्वश्रेष्ठ’ पत्रकारिता का पैमाना मान लिया गया हो, रवीश को मिला यह सम्मान आश्वस्त भी करता है कि सत्ता और सरकारों की आंख में आंख डालकर लगातार सवाल पूछते रहने वाली जोखिम भरी पत्रकारिता के आदर-सम्मान के लिए भी अभी जगह बची हुई है।
हां, इसके लिए लंबे समय तक कड़ी मेहनत के साथ साथ तीखे तेवरों का जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा। यह एक दिन या एक साल में भी नहीं होगा। रवीश की रिपोर्ट का वह शुरुआती दौर भी याद करना चाहिए जब दिल्ली की झुगी बस्तियों और अनधिकृत कालोनियों की हालत हमने रवीश कुमार के ज़रिये देखी थी। रवीश और एनडीटीवी को बहुत बहुत बधाई।
मनीष दुबे
August 3, 2019 at 9:33 am
चोटी के भक्त टाइप सम्पादक लोग महुए जितने बड़े आंसू बहा रहे हैं कि पांडे जी ने सबको बर्फ में लगा दिया. वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार को बधाई.