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रविशंकर प्रसाद ने हंसने के लिए एंकर से समय मांगा, मिला, वे हंसे!

संजय कुमार सिंह-

गूगल अनुवाद पर रविशंकर प्रसाद का भरोसा क्या कहता है?
ऐसे बनाई जाती है कहानी … बोले तो राहुल गांधी ने बदनाम कर दिया… रविशंकर प्रसाद ने आज तक पर ‘बहुत गंभीरता’ से पूछा कि पवन खेड़ा के मामले में तुरंत सुप्रीम कोर्ट जाने वाली कांग्रेस ने राहुल गांधी के मामले में तुंरत अपील क्यों नहीं की? उनके कहने का मतलब है कि कांग्रेस ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसका मतलब आप यह भी लगा सकते हैं कि कांग्रेस ऐसा चाहती थी। राहुल गांधी को शहीद होना था आदि आदि। बेशक ऐसा कुछ उन्होंने कहा नहीं पर ‘बहुत गंभीरता’ से पूछने से मामला स्पष्ट है।

इससे पहले वे कह चुके थे कि नियम है कि दो साल से ज्यादा की सजा होते ही सदस्यता अपने आप चली जाती है। अखबारों में खबर छपी है। विधायक भी हैं। भाजपा के भी हैं। अदालत का मामला है पर जब राजनीतिक बयानबाजी हो रही है तो क्या रविशंकर प्रसाद, जो कानून मंत्री रह चुके हैं नहीं समझते होंगे कि इस मामले में महीने भर की सजा भी पर्याप्त हो सकती? या डेढ साल, पौने दो साल, 23 महीने आदि भी तो हो सकता था। इस मामले में दो साल की अधिकतम सजा है और वही दी गई है और (अपने आप) सदस्यता जाने के नियम को लागू होने के लिए यह न्यूनतम आवश्यकता है। क्या यह गौर करने वाली बात नहीं है?

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अपील नहीं करने पर एंकर ने बताया कि कांग्रेस का कहना है कि फैसला गुजराती में था और अनुवाद होने में समय लगता है। इसपर रविशंकर प्रसाद को हंसी आ गई। उन्होंने हंसने के लिए समय मांगा तो उन्हें मिला और वे हंसे। इसमें मुद्दा यह है कि सौ पेज से ऊपर का अनुवाद गूगल से भी 24 घंटे में शायद ही कोई कर पाए। मैं नहीं कर सकता। मैं गुजराती से अंग्रेजी का काम जयादा नहीं करता हूं पर हिन्दी से अंग्रेजी या अंग्रेजी से हिन्दी भी संभव नहीं है। रविशंकर प्रसाद कोई तरीका बता दें तो मैं उन्हें अनुवाद का गुरू मान लूं। हालांकि, 24 घंटे में अनुवाद करने वाला कोई पेशेवर रविशंकर प्रसाद के अलावा कौन है यह जाने बिना अनुवाद करवा लेना और ऊपर की अदालत में चैलेंज कर देना कैसे संभव था यह मैं नहीं समझ पा रहा हूं।

अब यह कहने की जरूरत नहीं है कि गूगल के अनुवाद के कारण ही इन लोगों ने राहुल गांधी पर इंग्लैंड में वह कहने का आरोप लगाया जो उन्होंने कहा ही नहीं था। मैं तीस साल से अनुवाद के धंधे में हूं और गूगल अनुवाद भले 30 साल पुराना नहीं है पर एक से बढ़कर एक अनुवादकों को जानता हूं पर अभी तक ऐसा कोई दावा नहीं सुना कि कोई 100 पेज से ऊपर का अनुवाद 24 घंटे में कर सके। अगर होता भी हो तो करता कौन है – यही पता लगाने में 24 घंटे से ज्यादा चाहिए। फिर भी रवि शंकर प्रसाद को अपने ज्ञान और कांग्रेस को बदनाम करने के लिए हंसना पड़ा। इसी को कहते हैं नैरेटिव बनाना जो मीडिया के साथ मिलकर भाजपा वाले बनाते रहते हैं।

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पुनःश्च –
पुरानी बात है, एक नेता से कहा गया कि एचएएल के पास वेतन देने के लिए कैश नहीं है तो कह रहे थे कि हम तो कैश पेमेंट के खिलाफ हैं, कैश की जरूरत क्यों है। ऐसे जैसे खाते में पैसे न हों तो डिजिटली वेतन दिया जा सकता है। ऐसे बुद्धिमानों से भरी पड़ी है पार्टी। राहुल गांधी को कुछ आता ही नहीं है।

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