Connect with us

Hi, what are you looking for?

आवाजाही

मोदी सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र भंग कर वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को इसका चीफ बनाया

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के बोर्ड को भंग कर दिया है। केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा ने गुरुवार को एक 20 सदस्यों के नए बोर्ड का गठन किया। इसके प्रुमख के तौर पर पद्मश्री और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को नियुक्त किया गया है। राम बहादुर राय बोर्ड के पुराने प्रमुख चिनमय खान की जगह लेंगे।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <!-- black ad unit --> <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-client="ca-pub-7095147807319647" data-ad-slot="9016579019" data-ad-format="auto"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); </script><p>नई दिल्ली। मोदी सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के बोर्ड को भंग कर दिया है। केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा ने गुरुवार को एक 20 सदस्यों के नए बोर्ड का गठन किया। इसके प्रुमख के तौर पर पद्मश्री और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को नियुक्त किया गया है। राम बहादुर राय बोर्ड के पुराने प्रमुख चिनमय खान की जगह लेंगे।</p>

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के बोर्ड को भंग कर दिया है। केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा ने गुरुवार को एक 20 सदस्यों के नए बोर्ड का गठन किया। इसके प्रुमख के तौर पर पद्मश्री और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को नियुक्त किया गया है। राम बहादुर राय बोर्ड के पुराने प्रमुख चिनमय खान की जगह लेंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

राम बहादुर राय उस 20 सदस्यीय टीम की अगुवाई करेंगे जिसमें डॉ सोनल मानसिंह, चंद्रप्रकाश द्विवेदी, नितिन देसाई, के अरविंद राव, वासुदेव कामथ, डॉ महेश चंद्र शर्मा, डॉ भरत गुप्ता, डॉ एम. सेशन, रति विनय झा, प्रोफेसर निर्मला शर्मा, हर्ष न्योतिया, डॉ पद्म सुब्रमण्यम, डॉ सरयू दोषी, प्रसून जोशी, डी पी सिन्हा और विराज याज्ञनिक शामिल हैं।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि, ‘बदलाव एक प्रक्रिया है, नए लोग आईजीएनसीए को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। नए सदस्य अपने अपने क्षेत्र में माहिर हैं। नए प्रमुख समाज सेवी हैं, वरिष्ठ पत्रकार हैं और गांधीवादी हैं। यह पहली बार नहीं हुआ है पहले भी ऐसा होता रहा है।’ संस्कृति मंत्री ने आगे कहा कि ‘लोग बदलाव की उम्मीद करते हैं और हम इसे पारदर्शिता और नवीनता के जरिए लेकर आ रहे हैं।’

Advertisement. Scroll to continue reading.

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा 19 नवंबर 1985 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की याद में स्थापित किए गए इस कला केंद्र को सरकार द्वारा फंड किया जाता है। सेवामुक्त हुए चेयरमैन चिनमय खान का कहना है की उन्हें इसका अंदाजा था, हर सरकार ऐसा करती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. shrikant Choudhary

    June 26, 2020 at 9:38 pm

    दिनांक 25 जून के पत्रिका के अंक में” दूसरे आपातकाल की कोई आशंका नहीं” शीर्षक से वरिष्ठ और सम्मानित पत्रकार बुद्धिजीवी राम बहादुर राय का लेख इंदिरा गांधी के आपातकाल के संबंध में निष्पक्ष और यथार्थवादी विवेचन नहीं है! श्री रामबहादुर राय जिनका जन्म गाजीपुर में जुलाई 1946 में हुआ था ,उन्होंने देश के अत्यंत महत्वपूर्ण प्रकाशन संस्थानों में और पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है,लेकिन कड़वा सच यह भी है कि यह हमेशा कांग्रेस के विरोध में रहे !भारतीय जनता पार्टी से संबंधित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन के विस्तार में लगे रहे; उस संगठन के यह सचिव भी रहे हैं! बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदू शब्द हटाए जाने के संबंध में 1965 में इन्होंने विरोध आंदोलन में भाग लिया था, श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल में पश्चिम बंगाल में छात्र परिषदों के चुनाव पर रोक के संबंध में, उग्र आंदोलन किया था, इंदिरा गांधी को काले झंडे दिखाए थे ;साथ ही श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के दिनों में यह 16 महीने जेल में भी रहे? इस तरह इंदिरा गांधी के प्रति इनका आक्रोश, इनकी नफरत और पूर्वाग्रह को अच्छी तरह समझा जा सकता है! श्री राय का चरित्र और स्वभाव और मूल चिंतन कट्टर हिंदू वाद है! और यह, इमरजेंसी की आलोचना करते हैं और श्रीमती गांधी पर व्यक्तिगत आक्षेप कर रहे हैं जो कुछ हद तक तो सही है परंतु इमरजेंसी में जो रेल रोको आंदोलन करके पूरे देश की अर्थ व्यवस्था और जन सुविधा को तहस-नहस कर दिया गया था; पूरे देश में उग्र आंदोलन चल रहे थे ,उसके संबंध में इन पत्रकार महोदय ने पूरी तरह चुप्पी साध ली? इमरजेंसी की घोषणा आजादी के संदर्भ में बहुत ही निंदनीय थी लेकिन जिस तरह कोरोना का एक पहलू बहुत अच्छा है वैसे ही इमरजेंसी में भी बहुत सारे अच्छे काम हुए थे !और इंदिरा गांधी की व्यक्तिगत ईमानदारी निष्ठा की, निडरता देशभक्ति पर संदेह नहीं किया जा सकता और विश्व को, भारत एक महाशक्ति बन चुका है जैसा संदेश देना उनकी विशेषता है! इसमें कोई संदेह नहीं किया जा सकता,शिवाय चंद पूर्वाग्रही लोगों के! भूतपूर्व राजा महाराजाओं क सरकारी प्रीवि पर्स समाप्त करना और बैंकों का राष्ट्रीयकरण और बांग्लादेश का निर्माण तो उनके अमर ऐतिहासिक कदम है, उपलब्धियां हैं!
    इंदिरा गांधी और आपातकाल की निंदा करने से भी बढ़कर गंभीर, आपत्तिजनक श्री राम बहादुर राय का, वर्तमान शासन काल और मोदी की प्रशंसा में लिखा गया लेख ,उनकी कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी पर निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है और बड़े आश्चर्य की बात है कि पद्मश्री प्राप्त ऐसा तेजतर्रार और उच्च शिक्षा प्राप्त पत्रकार/लेखक उस शासन तंत्र की तारीफ कर रहा है जिस के शासनकाल में देश की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई ? डीजल पेट्रोल के दामों में भयानक वृद्धि की गई जिससे पूरा देश विचलित है!! कोराना महामारी का इतना भयानक प्रचार-प्रसार हो गया! और हिंदू मुसलमानों के बीच में जो नफरत और भेदभाव अंग्रेजों के शासन काल में भी नहीं हो सका; वह सन 2014 के बाद अब देखने को मिल रहा है और संपन्न तथा सत्तापक्ष से जुड़े लोगों को छोड़कर, एक अघोषित आपातकाल जैसा चल रहा है! इंदिरा गांधी के आपातकाल में भी और आपातकाल हटाए जाने के बाद ,कभी भी शासन का विरोध करने वाले; उसके भ्रष्ट और निरंकुश आचरण की आलोचना करने वाले, देश की रक्षा के संबंध में प्रश्न पूछने वाले टीवी पत्रकारों और विपक्ष के बड़े-बड़े नेताओं को नागरिकों को ,कभी भी देशद्रोही/ गद्दार /और सेना का अपमान करने जैसा, आरोप लगाकर निम्न स्तरीय दुष्प्रचार नहीं किया गया! जो इस शासनकाल में आम बात हो गई है ! श्री राम बहादुर राय अपने चिंतन में शायद, कट्टर सांप्रदायिकता और कट्टर राष्ट्रवाद को बहुत सही मानते होंगे! श्रीमती इंदिरा गांधी भूतपूर्व प्रधानमंत्री की स्मृति में बनाए गए ,इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, का चेयरमैन इनको नियुक्त किया गया है वर्तमान मोदी सरकार द्वारा, यानी ऐसे व्यक्ति को जो घोर कांग्रेस विरोधी और इंदिरा विरोधी रहा है और है के विरोध के बावजूद इन को नियुक्त किया गया??? शायद इसीलिए, इन विवादास्पद और आपत्तिजनक मुद्दों पर लिखते समय श्री राम बहादुर राय की कलम को लकवा मार गया! आतंकवाद की समाप्ति और विकास के नाम पर, पूरे कश्मीर राज्य के टुकड़े, करके लगभग 6 महीने तक के लिए पूरे राज्य को जेल खाने में बदल दिया गया ?उसके संबंध में यह पत्रकार महोदय जिन्हें पद्मश्री भी दी गई है ,एक शब्द भी नहीं लिखते! व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और व्यक्तिगत राग द्वेष की दृष्टि से, देश के अपने समय के अभूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संबंध में एकपक्षीय दूषित विचार रखना, स्वस्थ निष्पक्ष निर्भीक पत्रकारिता के नाम पर कलंक है!
    संपादक जी,आप अगर निष्पक्ष निर्भीक और स्वस्थ पत्रकारिता में विश्वास रखते हैं और इतना साहस भी रखते हैं हालांकि इसकी आशा कम ही है, फिर भी आप से निवेदन है कि हो सके तो श्री राम बहादुर राय तक मेरी यह प्रतिक्रिया अवश्य पहुंचा दें !बड़ा आभारी होऊंगा!
    ********
    *श्रीकांत चौधरी
    भूतपूर्व शिक्षक एवं न्यायाधीश/व्यंग लेखक
    एम ए , एल एल बी,(असली डिग्री धारी)
    दमोह (मध्य प्रदेश)

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement