विजय शंकर सिंह-
अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल के शेयरों की वैल्यू जीरो हो गई है अतः इस कंपनी के शेयरों में कारोबार भी रोक दिया गया है। कंपनी में पब्लिक शेयर होल्डिंग 94 फीसदी से ज्यादा है, यानी 94 फीसदी से अधिक शेयर रिटेल निवेशकों के पास हैं। तो जाहिर है कि सर्वाधिक घाटा भी उन्हीं को हुआ होगा।
रिलायंस कैपिटल को दिवालिया घोषित कराने के लिए RBI ने NCLT का रुख किया था। फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली यह कंपनी, लाइफ, जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस में सेवाएं देने के अलावा रिलायंस कैपिटल कमर्शियल, होम फाइनेंस, इक्विटी और कमोडिटी ब्रोकिंग जैसे सेगमेंट में भी सेवाएं देती रही है।
रिलांयस कैपिटल की मौजूदा हालत इसके कर्ज में फंसने के कारण हुई है। कर्जदाताओं की एक समिति कंपनी के रेजॉल्यूशन प्रोसेस की समीक्षा भी कर चुकी है। कंपनी के लिए बि़ड प्रोसेस 29 अगस्त को पूरी हो गयी। इसे खरीदने में इंडसइंड बैंक, ओकट्री कैपिटल US और टॉरेंट ग्रुप ने दिलचस्पी दिखाई है।
अनिल अंबानी ग्रुप की एक और कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के शेयरों में लेन-देन को रोका गया है। रिलायंस नेवल के लिए भी दिवालिया प्रक्रिया चल रही है। एक्सचेंजों ने कंपनी के शेयरों को एडिशनल सर्विलांस मेजर में रखा है। एएसएम का अर्थ सप्ताह में केवल एक।ट्रेडिंग की अनुमति होगी।
उल्लेखनीय है कि, प्रधानमंत्री पर, इन्ही अनिल अंबानी के लिए, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को मिल रहा राफेल का ठेका रद्द करा कर, दिलाने का आरोप है। इसी राफेल मामले के पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने जांच का आदेश देने से, सरकार द्वारा एक बंद लिफाफा अदालत में दिए जाने पर संतुष्ट होकर, इनकार कर दिया था और इसी राफेल मामले में, सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर आलोक वर्मा को रातोंरात पद से हटा कर उनके दफ्तर की तलाशी ली गई थी। अब रंजन गोगोई राज्यसभा के सदस्य है।