श्याम मीरा सिंह-
गणतंत्र दिवस की परेड में विशेष धर्म की रैली निकाल दी गई, धर्म कोई भी हो लेकिन गणतंत्र दिवस की परेड में उसका क्या स्थान है? धर्म को रैलियों, राजनीति में लाने की परंपरा आपने डाली, फिर जनता धर्म निरपेक्ष कैसे हो सकती है? आपने कोरोना वैक्सीन, राफेल, संसद के भूमि पूजन से लेकर राम मंदिर के निर्माण में एक धर्म विशेष के प्रतीकों का उपयोग किया. और बाकी धर्मों को इतना दबाया कि उन्हें सरकार में अपना नेतृत्व ही नजर नहीं आता. दूसरे धर्म अपने ही देश सरकार के विभेदकारी एजेंडे से पीड़ित रहे. आप सरकार में रहकर धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सके, आप संविधान की शपथ लेकर धर्मनिरिपेक्ष नहीं हो सके, आप जनता से उम्मीद कर रहे हैं कि वह जब रैलियां निकाले तो धार्मिक पताकाओं का उपयोग न करे.
परंपरा तो आपने डाली है उसके दुष्परिणाम तो नीचे तक पहुँचने ही हैं. गणतंत्र दिवस की परेड में केवल एक धर्म विशेष के प्रतीकों का इस्तेमाल करके क्या आपने देश के संविधान को हर्ट नहीं किया? लेकिन कोई इस पर सवाल नहीं करेगा. इस तस्वीर पर सब चुप रहेंगे क्योंकि ये सरकारी हस्तक्षेप की तस्वीर है.
यहां पूरा संविधान ही मरोड़कर रख दिया गया, यहां पर किसी को दिक्कत नहीं होनी है. लेकिन किसानों के साथ में सिख धर्म के प्रतीकों से दिक्कत है. अरे आप सरकार हैं. आपकी भूमिका घर में बड़ों की है. आप धर्मनिरिपेक्षता बढ़ाइए न. लोगों में उस विचार का प्रचार करिए. लेकिन आपने तो IIT जैसे संस्थानों की वेबसाइटों में गीता-रामायण डलवा दिए. प्रधानमंत्री स्वयं मन्दिर पूजन में जा रहे हैं. आरतियाँ कर रहे हैं. जबकि आज उसी अयोध्या में मस्जिद का शिलान्यास किया जा रहा है प्रधानमंत्री से एक ट्वीट तक नहीं निकला. हुजुर सांप्रदायिक रहें, मंत्री दंगाई रहे, संविधान की जगह कर्मकांड लाद दिए जाएं और फिर इनकी इच्छा रहती है कि प्रदर्शनकारी ‘धर्म निरिपेक्ष’ हों. ऐसा नहीं होता.
आपने संसद पूजन से लेकर, गणतंत्र दिवस की परेड में धार्मिक प्रतीक घुसा दिए. आपने न्यायालय पर चढ़कर एक धर्म विशेष का झंडा लहराने वालों को सम्मानित किया. आपने जय श्री राम के नारे लगाकर हत्या करने वालों को मालाएं पहनाई, आपने धर्म के नाम पर हिंसा करने वालों को टिकटें दीं. आपने तो उस तिरंगे और संविधान की आत्मा पर ही पैर रख दिया. आपने तिरंगे कि जगह हर जगह भगवा लहरा दिया. अब उसी तिरंगे के नीचे कुछ लोगों ने अपने धर्म, अपने किसान संगठनों की पताकाएं लहरा दीं तो आपको दिक्कत है. इसके जिम्मेदार तो आप भी हैं. सरकार का रवैया बाकी धर्मों के प्रति इतना विभेदकारी होगा तो उनके द्वारा भी अपने प्रतीकों का उपयोग होगा ही.
पर इन लोगों ने तो फिर भी लिहाज रखी. संविधान का सम्मान रखा. तिरंगे का सम्मान रखा. इन्होने एक हाथ से अपने संगठनों की पताका फहराईं, तो दूसरे हाथ से तिरंगा फहराया. कुछ ने तो बदन से भी तिरंगा लपेट कर रखा. आपने तो इस तिरंगे को लागू करने वाले संविधान को ही कुचल दिया है. आप बड़े अपराधी हैं.
Narinder Jagga
January 27, 2021 at 4:06 pm
लेखक का गणतंत्र दिवस की झांकियों को लेकर अल्प ज्ञान प्रकट हो रहा है। शायद राजनीतिक पार्टियों में बांटी ( Divide ) जा रही पत्रकारी में वो किस से जुड़ा है , ये अंदाज़ा तो पाठक लगा ही लेंगे। परन्तु मैं पंजाब से हूँ और इस बार गणतंत्र दिवस की कांग्रेस शासित प्रदेश पंजाब झांकी सिख धर्म की ही थी। पंजाब में भी अन्य सम्प्रदाय के लोग रहते है। पंजाब में सरकारी कलैंडर भी सिर्फ सिख धर्म के गुरुओं के जारी हुए है और हमेशा से जारी होते आये है। शायद लेखक को अब जवाब देने का मौका /बहाना ही न मिले या उसके राजनीतिक आका ही उन्हें ऐसी आज्ञा न दें ।
Prashant
January 30, 2021 at 3:41 pm
writer has not common knowledge of ” JHANKI” in Republic Day parade. Other lines are also shows hate with Government only. No any true, strong, thoughtful and factual content.
This is not an article. I don’t know how Yashwant Ji, allowing to publish this type of content.
Ho sakta hai, bhadas par kuch bhi bhadas nikalne ki permission ho.