Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

Republic TV के शोषित-प्रताड़ित मीडियाकर्मी न्याय पाने के लिए ये पत्र करा रहे हैं वायरल, देखें

रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों की तरफ से न्याय हासिल करने के लिए एक पत्र

हम रिपब्लिक टीवी के युवा पत्रकार, इस देश को बदलने के सपने के साथ इस चैनल से जुड़े थे। बाकी लोगों की तरह, हमने भी एक व्यक्ति की बातों पर विश्वास किया, जब उसने भारत की बात की। आपने टीवी पर चौबीसों घंटे जिस एक आदमी की आवाज सुनी, हम जैसे लोगों ने ही उस आवाज में जान फूंकी। हमने वो सब कुछ किया जो नौकरी और प्रोफश्नलिज़्म के नाम पर हमसे कहा गया, और अभी भी कर रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

स्वतंत्रता लोकतंत्र का मूल है और पत्रकारिता की तो आत्मा ही है। दुर्भाग्य से, जिस दिन हम इस संगठन में शामिल हुए, उसी दिन हमसे हमारी स्वतंत्रता पूरी तरह छीन ली गयी। अनगिनत गालियों का सामना करने, एक जहरीले माहौल में काम करने और नैतिक पत्रकारिता के हर नियम को तोड़ने के अलावा दूसरा विकल्प इस महामारी से ग्रस्त मीडिया इंडस्ट्री मे बेरोजगार होना था। हम में से अधिकांश को अपने परिवारों और करियर के लिए एक ही विकल्प चुनना पड़ा। उम्मीद थी कि एक दिन, जब समय सही होगा, हमें इस गलती को सही करने का और आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

और ऐसा हुआ भी, इस साल की शुरुआत में चीजें बदलनी शुरू हुईं। हममें से कुछ लोगों को आखिरकार एक नये समाचार चैनल में जाने का अवसर मिला। हमारे साथ जो भी हुआ, हमारी जो भी शिकायतें थीं, हमने उसे भुलाकर, अपने पेशे और प्रतिबद्धता का सम्मान करने हुए, इस्तीफे और नोटिस की उचित प्रक्रिया का पालन करने का फैसला किया। जिन लोगों को उनके आफर लेटर पहले मिल गए, उन्होंने सबसे पहले अपना इस्तीफा दिया, जबकि बाकी लोगों ने अपने औफर का इंतजार किया। जैसे ही इस्तीफे का पहला सेट एचआर तक पहुंचा, रातों रात चैनल के मैनेजमेंट ने हमारा कॉंट्रैट बदल दिया और नोटिस की अवधि 180 दिन यानी 6 महीने कर दी। सभी मौजूदा कर्मचारियों को इस नए समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया और आदेश का पालन न करने और सूचना लीक करने पर कठोर कानूनी कार्यवाई की धमकी दी गई थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

भारत के टीवी न्यूज़ इंडस्ट्री में 6 महीने की नोटिस अवधि एक अनसुनी कहानी जैसी है, वो भी सामान्य स्तर के एडिटोरियल कर्मचारियों के लिए, जिनमे रिपोर्टर और प्रोडयूसर शामिल हों। हमारे नौकरी जॉइन करने के समय हममें से किसी को भी इस 180 दिनों वाले अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए नहीं कहा गया था। साफ है कि यहां का प्रबंधन अच्छी तरह से समझता है कि कोई दूसरा मीडिया संगठन छह महीने के नोटिस के साथ किसी को नौकरी नही औफर करेगा। और यहाँ के पत्रकारों के पास यहाँ काम करने के अलावा एकमात्र विकल्प होगा, कोरोना काल में बेरोजगार हो जाना। ये नया कॉंट्रैट हमें स्थायी रूप से बंधुआ मजदूर बनाने के लिए बनाया गया है।

हमने इससे पहले की घटनाओं मे ये देखा है कि, यहाँ का प्रबंधन सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया को चुप चाप देखता है। भले ही वो सार्वजनिक रूप से स्वीकार न करें, लेकिन अंदर ही अंदर, वो अपनी कंपनी की छवि बाहर खराब न हो, इसकी कोशिश करते हैं। चुकि, हमारे सोशल मीडिया क्लॉज मे इस बात को लेकर शख्त चेतवानी दी गयी है कि अगर हमने कंपनी से जुड़े किसी मुद्दे को सोशल मीडिया पे उठाया तो भारी दंड और सख्त कानूनी कार्यवाई की जायेगी।

इसीलिए, आज हम सब, आपके सामने, बिना अपने नाम और अपनी पहचान के आये हैं। हम आप सबसे इंसानियत के नाते मदद की अपील करते है। हमारे हाथ पैर बंधे है, हमारी जुबां बंद है, हम मजबूर हैं। लेकिन आप लोग नहीं। हमारी विनती है, इस मुद्दे पर बोलिये, लिखिये, बात कीजिये। हमारी बड़ी मदद होगी।
दूसरे मीडिया संगठनों से अनुरोध है कि अगर कोई पत्रकार आज के समय मे 6 महीने की नोटिस अवधि मांग रहा है, तो ये उनकी चॉइस नहीं है। यह आधुनिक समय की गुलामी है और इसके पीछे वो ताकतवार बहुरूपिया छिपा है, जो हर समय भारत की बात करता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

धन्यवाद

रिपब्लिक टीवी के प्रताड़ित पत्रकार

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement