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सियासत

अजीत डोभाल जैसों को ‘डी कंपनी’ कहने वालों की मानसिकता समझें : सुशील बहुगुणा

Sushil Bahuguna : राइट-लेफ़्ट के झगड़े में फैक्ट की मौत और पत्रकारिता में सियासत का घालमेल… इस सियासी अंधाधुंध में गर्दो गुबार इतना फैल गया है कि सत्य और तथ्य उसमें खोते जा रहे हैं. आरोप लगाने की जल्दबाज़ी और हिसाब चुकता करने की बेसब्री में कोई भी इन तथ्यों की पड़ताल करने की ज़हमत नहीं उठा रहा. सियासत से लेकर पत्रकारिता तक लाल, हरे, नीले, केसरिया रंगों में रंग चुकी है. ब्लैक एंड व्हाइट क्या है कोई जानना ही नहीं चाहता.

ये बेसब्री तब आपराधिक हो जाती है जब उन लोगों को भी इसकी चपेट में ले लिया जाए जिनका सियासत से सीधा कोई नाता नहीं. जो मनोयोग से देश और समाज की सेवा के काम में जुटे हुए हैं. सियासतदानों को निशाना बनाने की जल्दबाज़ी में उन्हें निशाना बनाया जाने लगा है. ताज़ा मामला राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को निशाना बनाने से जुड़ा है जो अपने पद की गरिमा के सर्वथा अनुकूल काम कर रहे हैं. मन, वचन और कर्म से देश के लिए न्योछावर लोगों को अगर डी कंपनी कहा जाने लगेगा तो सोचिए लिखने वालों की मानसिकता क्या होगी. उस मानसिकता की आलोचना के लिए शब्द कहां से लाएं.

मोदी को निशाना बनाने की जल्दबाज़ी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और उनके पुत्रों पर अनर्गल आरोप लगाने वालों को कम से कम तथ्यों की ठीक से पड़ताल कर लेनी चाहिए थी. ऊपर से अगर जयराम रमेश जैसे सरोकारी, समझदार और जानकार माने जाने वाले राजनीतिज्ञ भी धैर्य खोने लगें तो यकीन कर लेना चाहिए कि राजनीति के भी बेहद बुरे दिन चल रहे हैं. ख़ैर अब इस मामले में ख़बर की आड़ में आरोप लगाने वाली वेबसाइट कारवां और जयराम रमेश के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर हो चुका है.

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कोर्ट के संज्ञान में सभी तथ्य लाए गए हैं. विवेक डोभाल ने अपने १८ साल के सारे वित्तीय दस्तावेज़ कोर्ट को सौंप दिए हैं. अब आरोप लगाने वालों को अपने पक्ष में दलीलें खोजनी होंगी. जब तर्को की बलि दे दी जाती है तो दलीलों का निर्माण करने की फैक्टरियां चल ही पड़ती हैं. अब बाकी काम कोर्ट का है. उम्मीद करनी चाहिए कि न्याय जल्द होगा ताकि अपना कर्तव्य निभा रही बाकी शख़्सियतों पर सियासी हमला करने की सोच रहे लोगों को कुछ सीख मिले. मोदी, राहुल या कोई भी अन्य राजनीतिज्ञ अपनी सियासत करते रहें लेकिन ऐसी शख़्सियतों को अपने ज़हर बुझे शब्द बाणों से दूर रखें. कुछ लोग तो रहें जिनके भरोसे ये देश चलता रहे.

नोट: ये पोस्ट मैंने व्यक्तिगत पड़ताल के बाद लिखी है। बिना पड़ताल मैं तथ्यों पर सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करता।

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एनडीटीवी में कार्यरत एंकर सुशील बहुगुणा की एफबी वॉल से.

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8 Comments

8 Comments

  1. संजय कुमार सिंह

    January 22, 2019 at 11:19 am

    ये पड़ताल भी आपने क्यों की? खासकर तब जब मुकदमा दायर हो चुका है। अजीत डोभाल राजनीतिक पद पर हैं उनकी आलोचना क्यों नहीं होनी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि खबर में कोई निन्दा या मानहानि है। खबर खबर होती है। निश्चित रूप से यह खबर है कि अजीत डोभाल के बेटे की केमैन आईलैंड में हेज फंड कंपनी है – उसके जरिए नोटबंदी के काले पैसे आए हैं यह शंका है, आरोप है। आप यह बता सकते हैं तो बताइए नहीं तो ये बताइए कि कंपनी नहीं है। अगर है तो आप किस मानसिकता की बात कर रहे हैं? मानसिकता यही है कि राजनीति संरक्षण प्राप्त व्यक्ति या परिवार पैसे कमाने का मौका नहीं चूकता। यह मानसिकता गलत है तो बताइए। साबित कीजिए। आपके लिखे से तो नहीं हो रहा है।

    • हरीश

      January 22, 2019 at 4:08 pm

      साबित को आपको भी करना पड़ेगा. क्योंकि रोज प्रवचन देना गलत है. क्योंकि सुबह सुबह अखबारों का चीर हरण करने से अच्छा कि कोई सामाजिक कार्य किया जाए. करने दिए अखबारों को अपना काम. आप जैसे वरिष्ठ पत्रकारों के सामने हर कोई बेईमान है. आज तक किसी ने भी कांग्रेस की सरकारों के खिलाफ कुछ नहीं बोला. आज क्यों बोला जा रहा है. सवाल ये भी है.

  2. Jai Kumar jha

    January 22, 2019 at 11:46 am

    #अजीतडोवाल_एन्ड_संस के जैसा गद्दार लुटेरा कोई नही हुआ आज तक और जो भी इसकी तरफदारी कर रहा है वो निश्चय ही गद्दार लुटेरों के साथ है । एक बार अजीत डोवाल का लाइव ब्रेन्मेपिंग और लाई डिटेक्टर टेस्ट करवा लिया जाय इससे बड़ा गद्दार कोई नही मिलेगा फिर अगर ये गद्दार लुटेरा ंंना साबित हो तो मुझे भी सजा मिले । इन गद्दार लुटेरों ने पूरे देश को बर्बाद कर दिया ।

  3. Bhavi menaria

    January 22, 2019 at 11:47 am

    Bilkul sahi kaha sir aapne. Had Ho gai. D company se tulna vo bhi desh ke nsa ki. Aarop lage he, thoda thahar jaate aisa likhne se pahle to achha rahta. Sahi disha me ja rahi he patrakarita. Badhai Ho…

  4. Jai Kumar jha

    January 22, 2019 at 11:48 am

    सवाल पूछिये..भक्तो के लिए आपके सवाल All Out मच्छर भगाने की दवा है..काला धन के खेल पर भारत सरकार का एक तथ्य..

    1. Cayman Island दुनिया भर में ब्लैक मनी का स्वर्ग माना जाता है..

    2. 2016-17 में cayman से भारत मे विदेशी निवेश आया था 7.10 करोड़ डॉलर..

    3. 2017-18 में Cayman से आया 130 करोड़ डॉलर..यानी 1600% बढ़ गया..

    4. मजे की बात : Cayman की GDP है 250 करोड़ डॉलर और वहा से भारत मे आ रहा है 130 करोड़ डॉलर..

    5. एक छोटा सा द्वीप अपनी GDP का 50% से ज्यादा भारत मे डाल रहा है..क्यों?

    6. ये अमाउंट जर्मनी, हांगकांग और UAE के निवेश से कई गुना ज्यादा है..

    56″ बाबा, आपसे ज्यादा इकॉनमी और मनी रूट का ज्ञान है मुझे..ये पैसे की Round Tripping हो रही है..बाबाजी, ये कैसी FDI है?

    10 शेयरो के बदौलत शेयर बाजार सर्वोच्च स्तर पर है..इन शेयरो में और कुछ चुनिंदा मिडकैप शेयरो में पैसा किसका लग रहा है, ये जांच करवा लीजिये..15 मिनिट में डेटा निकल जायेगा..स्विस बैंक से पैसे निकले – cayman में गये – भारत मे आ गए..

    विकास हो गया☺…

  5. श्री वत्स राघवन

    January 22, 2019 at 12:43 pm

    बात सही है।विषमता बहुत ही गई है। पर लोग रस लेंगे जब ऊंट दूसरी करवट लेता है। 18 साल की इनकम टैक्स रिटर्न से क्या लेना देना है। डोवाल साहब ने 2011 में इन जगहों से चलने वाली कम्पनियों को संदिग्ध कहा था। सवाल यह है कि परम कोटि के देशभक्त ना ही अपने लाड़ले को ब्रितानी नागरिकता लेने से रोक पाए ना ही टैक्स फ्री हवेन से कंपनी चलाने से। क्या अब देश भक्ति की नसीहत दूसरो के बच्चो को देने से परहेज़ करेंगे?

  6. SS. Rawat

    January 22, 2019 at 3:40 pm

    अजीत डोभाल सेवानिवृत्ति के बाद मोदी सरकार द्वारा मनोनीत पद पर कार्यरत अधिकारी हैं तो उन पर सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी क्यों नहीं की जा सकती है? रहा सवाल उनके पुत्रों की हैज कंपनी के कामकाज और उसके द्वारा किये गए कथित गोरखधंधे की बात तो जब कारवाँ और जयराम रमेश के विरुद्ध विवेक ने मुकदमा दायर कर ही दिया है तो उनके पक्ष में इस फेसबुक पोस्ट का क्या औचित्य है? दोनों पक्षकार अपनी बात न्यायालय में रखेंगे ही। यदि आपने निजी पड़ताल की तो उसे यहां रखते। पेशेवर नैतिकता और पत्रकारीय शुचिता की दृष्टि से कारवां को संदेहास्पद बनाने का यह तरीका कहाँ तक उचित है?

  7. भविष्य मेनारिया

    January 23, 2019 at 11:49 am

    संजय जी आपकी समीक्षा पढ़ कर अच्छा लगता है। आप वरिष्ठ पत्रकार हैं लेकिन आप को महज आरोप के चलते Nsa की तुलना सैकड़ों लोगों की हत्या की गुनहगार d कंपनी से नहीं करनी चाहिए। आप से एक विनती है कि आप ही के क्षेत्र के कई साथी मजीठिया वेज बोर्ड के लिए लड़ रहे हैं, आशा करता हूँ कि आप सभी अखबारों से पीड़ित अपने साथियों के लिए वेज बोर्ड की समीक्षा करेंगे
    इंतजार में…..

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