निर्मल कांत शुक्ल-
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अफसर बेलगाम हैं। उनको सरकार का तनिक भी खौफ नहीं है। सरकार भले ही भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का लाख दावा करे मगर धरातल पर हकीकत कुछ और है। ना तो भ्रष्टाचार कम हुआ और ना ही रिश्वत का रेट। बाबू तो बाबू उत्तर प्रदेश में बड़े अफसर भी खुलेआम काम के एवज में मोटी रकम मांग रहे हैं। मामला उत्तर प्रदेश के जनपद पीलीभीत का है, जहां शहर में स्थित एक अल्ट्रासाउंड सेंटर के पंजीयन के रिन्यूवल काम के बदले में जिलाधिकारी के नाम पर 50,000 रुपये की रिश्वत मांगी जा रही है। रिश्वत मांगने वाला कोई बाबू नहीं बल्कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण महकमे का अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी है। रिश्वत के लिए जिस शख्स से बातचीत हो रही है, उसका अल्ट्रासाऊंड सेंटर शहर में नकटा दाना चौराहे के पास स्थित है। रिश्वत मांगने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है।
वीडियो में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अश्विनी कुमार गुप्ता पीड़ित अल्ट्रासाऊंड सेंटर संचालक से साफ कह रहे हैं कि डीएम के यहां भी देना होता है और जगह भी देना होता है, सिटी मजिस्ट्रेट के यहां भी देना होगा।
वायरल वीडियो में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अश्विनी कुमार गुप्ता का चेहरा साफ तौर पर नजर आ रहा है। पूरा बातचीत का वीडियो एक मिनट 44 सेकंड का है। वीडियो में सीएमओ ऑफिस का भूतल हिस्सा बैकग्राउंड में नजर आ रहा है। शायद यह पहला मामला है, जब पीलीभीत जनपद में जिलाधिकारी के नाम पर रिश्वत मांगते उनका मातहत कोई बड़ा अफसर खुफिया कैमरे में कैद हुआ। वायरल वीडियो में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के नारे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बता दें कि अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अश्विनी कुमार गुप्ता पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के तहत किए जाने वाले नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड सेंटरों के पंजीयन और रिन्यूअल कार्य के नोडल अधिकारी हैं। डॉ गुप्ता भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के भी नोडल अधिकारी हैं।
वीडियो के बाबत डॉ. अश्विनी कुमार गुप्ता (अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी) का कहना है- “फेक वीडियो है। सब कुछ पॉजिटिव है। मुझे बदनाम करने की साजिश है। कुछ लोग हैं, जो मुझे बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं”।
(वायरल वीडियो में एसीएमओ व पीड़ित के बीच बातचीत के अंश)
एसीएमओ- हां बताओ (कमरे से बाहर निकलते हुए)
पीड़ित – भईया वह दे दीजिए।
एसीएमओ – दे दूंगा, तुमने जो कहा वो दे दो।
पीड़ित- भईया देखिए 50 तो ज्यादा हैं फरवरी में सिस्टर की शादी होने वाली है।
एसीएमओ- वह तुम्हारी सारी बात समझने वाली है, तो तुमने कहा अपने मुंह से कहा वो कर दूं, हम यह नहीं कह रहे, हम आपको परेशान नहीं कर रहे, जो आपने अपने मुंह से कहा, हमने 50 कहे थे, जो आपने अपने मुंह से कहा, वह कर दो, बात खत्म।
पीड़ित- भईया अगली बार……सिस्टर की शादी है।
एसीएमओ- देखो हमें वहां देना है, डीएम के यहां भी देना होता है और जगह भी देना होता है, सिटी मजिस्ट्रेट के यहां भी देना होगा।
पीड़ित- भईया रिन्यू कराया था, तब 12,500 फीस ली थी उन्होंने।
एसीएमओ- वह तो 12,500 फीस है, किसने लिए ?
पीड़ित- हंसराम पटेल ने।
एसीएमओ- वह तो जमा हो गई, वह तो फीस है।
पीड़ित- हां वह तो जमा हो गई, इसके ऊपर से 20,000 और लिए थे उन्होंने।
एसीएमओ- वह उनसे वापस ले लो, उन्होंने कोई काम किया ? आपने हमसे कहा कि 30,000 का अरेंजमेंट हो गया है, 30,000 हमें दे दो, हम आपको दिलवा देंगे… ठीक है, जो आपने हमसे कहा कि इंतजाम हो रहा है… इंतजाम हो गया। हमने कहा ठीक है। हमने और कुछ नहीं कहा। हमने आपकी बात को…किया, जो आपने कहा आप उतना कर दीजिए और कुछ नहीं करना है। क्या फायदा आगे और परेशानी आपको खड़ी होगी।
पीड़ित- ठीक है भईया… फोन करते हैं आपको।
एसीएमओ- तुम कर दो, हम तुरंत दे देंगे आपको… ठीक है।
पीड़ित- नमस्ते।
देखें वीडियो-
पीलीभीत से वरिष्ठ पत्रकार निर्मल कांत शुक्ल की रिपोर्ट.