-दयाशंकर शुक्ल ‘सागर’-
ये मीडिया पेडलर…. कल मुम्बई में रिया के साथ जो कुछ भी हुआ वह मीडिया के लिए शर्मनाक है. कानून की भाषा में इसे मोलेस्ट्रेशन कहते हैं. जब आप किसी महिला को उसकी मर्जी के बिना टच करते हैं तो वह मोलेस्ट्रशन में आता है. चाहे जानबूझ कर चाहे अनजाने. रिया के साथ टीवी कैमरे में सारी दुनिया के सामने मीडियावालों ने मोलेस्ट्रेशन किया. लेकिन कोई महिला आयोग सामने नहीं आया.
रिया ड्रग लेती हो, ड्रग पेडेलर हो, चाहे वो हत्यारी क्यों न हो. किसी को हक नहीं पहुंचता कि उसके साथ ऐसा बर्ताव किया जाए. किसी स्त्री की गरिमा का सम्मान करना किसी भी पेशे का पहला उसूल है. हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ जज मुझे मैसेज कह कर कहना पड़ा कि ये क्या हो रहा है आपके मीडिया में, इस पर कुछ लिखिए.
दरअसल इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया ने ड्रग पेडलर की तरह मीडिया पेडलर नाम की एक नई प्रजाति पैदा की है. ड्रग पेडलर का माने है फेरी लगाकर ड्रग बेचना. ये मीडिया पेडलर माइक लेकर कवरेज के लिए फेरीवाले बन जाते हैं. आप बोलना चाहें या न चाहें वो माइक आपके मुंह में ढकेल देंगे. वे कहते हैं वे अपना काम कर रहे हैं. ये हक आपको किसने दिया कि आप जबरदस्ती मुझसे बात करने के लिए माइक मेरे मुंह में ठूस दें.
ऐसे ही एक पेडलर को ड्रग पेडलर के पिता ने धक्के देकर अपने घर से निकाल दिया. पत्रकार के साथ गाली गलौज भी की. ये सारी पत्रकार बिरादरी के लिए सचमुच शर्मनाक है. अगर यही हाल रहा हो कल आपसे कोई बात करना पसंद नहीं करेगा. मैं इस घटना की निंदा करता हूं. आपको भी करनी चाहिए.
वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर शुक्ल सागर की एफबी वॉल से।
कुछ अन्य प्रतिक्रियाएं देखें-
pankaj
September 7, 2020 at 4:12 pm
सही कहा आपने
Sandeep kesharwani
September 10, 2020 at 10:22 pm
रिया के साथ बहुत कुछ गलत हो रहा है जबकि जो लड़की किसी से प्यार करती है तो उसे मारने ख्याल तक जहन में नही लेकर आ सकती है फिर भी जो सच सभी को देखना चहिए वह कोई नही देख पा रहा है, जब कोई नशे का आदि हो तो उसे बचाने का कोई उपाय नही होता है, उसे लाख समझाओ पर समझ मे नही आता है पर देश के कानून के आगे सचाई सामने आने पर जस्टिस पर भरोषा है कि वह सही निर्णय लेंगे क्योकि विश्वास के साथ कोई खड़ा नही हुआ और सही निर्णय देगा, पर एक चैनल ने जो हकीकत दिखाई वह किसी मे हिम्मत तक नही है…सबसे पहले उन परिवार वालो को सजा मिलनी चाहिए जो इन सब का सबसे बड़ा गुनेहगार हो जो अपने बच्चे को संभलने के बजाय उसे मरने के लिए छोड़ दिया, अगर वह साथ होते तो शायद यह सब ना होता,,
सभी के सामने मैं बहुत छोटा हूँ अगर कुछ गलत लिखा हो तो माफ करना क्योकि मैं अपने आप को नही रोक पाया sorry
विजय शंकर श्रीवस्तवा।
September 12, 2020 at 12:11 pm
बराबरी का दर्जा भी चाहिए, और जब पुरुषों जैसा व्यहार हो रहा है तो खैरख्वाह पैदा हो गए।ये वही रिया है जिसने सुशांत के पैसे की खातिर उसके साथ क्या क्या किया।आज सुशांत नही है वो मरा नही मारा गया है ,उसकी मौत के तमाम कारणों में एक कारण रिया भी है। क्या रिया जैसी महिला इस देश को चाहिए?अगर नही ,तो तो जो रिया के साथ हो रहा है वो काम है ,महिलाओं को छूट देने का नतीजा ,राजू गांधी की हत्या, भी बिचारि समझने के कारण हुई,ये ड्रगिस्ट रिया, बेचारी नही है, ये वही रिया है जो आजतक चैनल पर पूरे समाज के सामने झूठ बोला और सीबीआई के सामने सब उगल दिया।ऐसी ही भ्रस्ट महिलाओं की नस्ल आज समाज मे खून,हत्या,और असामाजिक तत्व की जननी है। हमे दया नही आती।किसी ने किसी का जीवन छीन लिया और अभी भी वो बिचारी है।मीडिया ने टच कर दिया माइक से छू गया तो गुनाह हो गया। एक नही कई अर्नब की जरूरत है इस देश को।