आरएन सिंह
: २० सालों से अध्यक्ष पद पर कुंडली मारे बैठे हैं आरएन सिंह : संस्था के भवन के लिए उत्तरभारतीयों से वसूल रहे लाखों रुपए किराया : भाजपा का उम्मीदवार बनाना चाहता है भतीजा, विरोध में पार्टी को पत्र लिखेंगे उत्तर भारतीय : कभी मुंबई में उत्तर भारतीयों की प्रतिनिधि संस्था रहे ‘उत्तर भारतीय संघ’ पर एक अखबार मालिक ने कब्जा जमा लिया है। पिछले कई सालों से उत्तर भारतीय संघ पर अवैध कब्जा जमाने वाले ‘हमारा महानगर’ के मालिक आरएन सिंह एंड फेमिली बांद्रा में राज्य सरकार द्वारा दिए गए सरकारी जमीन पर बने उत्तरभारतीय संघ की इमारत को किराए पर देकर लाखों रुपए वसूल रही है। किराया वसूलने के बाद मामले में उत्तर भारतीयों को भी कोई रियायत नहीं दी जाती।
करीब ६४ साल पहले मुंबई के एक आम उत्तरभारतीय बांकेलाल तिवारी ने इस शहर में रहने वाले लाखों उत्तर भारतीयों की समस्याओं को लेकर संघर्ष करने के लिए उत्तर भारतीय संघ नामक इस संस्था का गठन किया था। उस वक्त मुंबई के उत्तर भारतीयों की सबसे बड़ी समस्या अपने गांव जाने के लिए रेलवे सुविधाओं का अभाव था। श्री तिवारी के नेतृत्व में संघ के लोग रेलवे स्टेशनों पर आंदोलन करने, रेलवे अधिकारियों से मिल कर उन्हें अपनी समस्याएं बताने का काम करते थे। बाद में आम उत्तरभारतीयों के साथ धनाढ्य उत्तर भारतीय भी इस संस्था से जुड़े।
सिक्यूरिटी एजेंसी चला कर उत्तर भारतीय युवकों का शोषण कर धनाढ्य बने आरएन सिंह ने जब १९९४ में उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया तो उनकी राजनीतिक हसरतें जाग गई और इसी के साथ आम उत्तर भारतीय इस संस्था से दूर होते चले गए। उत्तर भारतीय संघ के संविधान के अनुसार हर साल संस्था के अध्यक्ष सहित पूरी कार्यकारिणी का चुनाव होना चाहिए। बाद में यह अवधि बढ़ा कर दो साल कर दी गई। इस संस्था पर हमेशा के लिए कब्जा जमाने के लिए आरएन सिंह ने दो साल की अवधि को बढ़ा कर तीन वर्ष कर दिया और चुनाव में वोट देने का अधिकार रखने वाली संस्था की कमेटी की सदस्यता फीस पांच लाख रुपए कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने पांच- पांच लाख रुपए की फीस जमा कर अपने परिवार वालों व रिश्तेदारों को इस कमेटी का सदस्य बना डाला। तो इस तरह आम उत्तरभारतीयों की संस्था आरएन सिंह एंड फेमिली की प्राईवेट लिमिटिड कंपनी बन कर रह गई।
पिछले २० सालों से इस संस्था पर आरएन सिंह और उनके परिवार का अवैध कब्जा है। उत्तर भारतीय संघ के युवा शाखा के अध्यक्ष आरएन सिंह के दामाद हैं और जबकि महिला शाखा अध्यक्ष पद पर बहू को बैठाने की तैयारी है। पहले कांग्रेस से राजनीतिक लाभ लेने के लिए सिंह ने इस संस्था को कांग्रेस का प्रकोष्ठ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी पर जब कांग्रेस से विधानसभा-लोकसभा टिकट नहीं मिला तो अब उनके भतीजे अमरजीत सिंह भाजपा में शामिल हो गए हैं। अमरजीत मुंबई के उत्तरभारतीय बाहुल्य सीट कालिना से भाजपा का टिकट पाना चाहते हैं। हालांकि इस इलाके के उत्तरभारतीय उनके परिवार से खासे नाराज हैं और सबक सिखाने का मौका खोज रहे हैं। चाचा-भजीजे अपने अखबार का इस्तेमाल भी अपनी छवि चमकाने के लिए करते रहते हैं।
पूर्व मंत्री डा. राममनोहर त्रिपाठी जैसे जागरुक उत्तरभारतीयों के प्रयासों से तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण ने उत्तर भारतीय संघ के लिए बांद्रा में जमीन एलाट की थी। मुंबई के उत्तरभारतीयों के सहयोग से इस जमीन पर विशाल इमारत खड़ी की गई। पर अब यह इमारत उत्तर भारतीय समाज के किसी काम की नहीं रही क्योंकि आरएन सिंह एंड फेमिली इस जमीन को शादी-विवाह के लिए किराए पर देती है। एक दिन का ढाई लाख किराया वसूला जाता है। चाहे गरीब उत्तर भारतीय हो अथवा कोई धनाढ्य गुजराती, सबके लिए किराया समान है। आरएन सिंह की तानाशाही के खिलाफ संस्था के एक ट्रस्टी ओम प्रकाश पांडे ने बांबे हाईकोर्ट में मुकदमा भी कर रखा है। थोड़े दिनों पहले तक आरएन सिंह के अखबार का दफ्तर भी इसी उत्तर भारतीय संघ भवन में चलता था। फिलहाल उत्तर भारतीय संघ को आरएन सिंह एंड फेमिली के कब्जे से मुक्त कराने के लिए मुंबई के उत्तरभारतीय ‘उत्तर भारतीय संघ बचाओ समिति’ गठित करने में जुटे हैं।
मुंबई से भड़ास संवाददाता की रिपोर्ट.
वीके
June 26, 2014 at 12:57 am
बिल्कुल सही खबर है। मुंबई में ऐसा ही हो रहा है उत्तरभारतीय संघ में
vkumar
June 27, 2014 at 10:26 am
khbar bilkul sahi hai…. rn singh and family utarbhatiy sagh k nam par apni rajniti chamkana chahata hai…par pura pariwar murkho ka hai. iss liye becharo ko kuch nahi ho pa raha.