नवनीत मिश्रा-
सायं चार बजे जो आशंका जाहिर की थी, अब रोहित सरदाना के कई नजदीकी भी यही जता रहे हैं। उन्हें बीपी की समस्या थी। स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट से उनकी हालत गंभीर होने की आशंका बताई जा रही। रोहित सरदाना ने अस्पताल जाने से पहले अपने एक मित्र से कहा था कि यार स्टेरॉयड को लेकर मैं कुछ आशंकित हूं। अब इस पूरे घटना में मेडिकल एक्सपर्ट ही कुछ सही बता सकते हैं। रोहित देश की एक हस्ती रहे। लाखों उनके चाहने वाले हैं। मुझे लगता है कि हास्पिटल प्रशासन को ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
यहां किसी डॉक्टर या हास्पिटल पर सवाल उठाने का दूर-दूर तक मकसद नहीं है। कोई भी डॉक्टर, अपने मरीज को बचाने का भरसक प्रयास करता है। आज जो जानें बच रहीं हैं, वह हमारे डॉक्टरों की वजह से ही बच रहीं हैं। लेकिन, कोविड 19 ट्रीटमेंट का देश में एक समान प्रोटोकॉल नहीं है। हर हास्पिटल परिस्थितियों के हिसाब से अपने-अपने प्रोटोकॉल फॉलो करता है। ऐसे में देखा जाना चाहिए कि क्या किसी ट्रीटमेंट से रोहित की हालत अचानक ज्यादा बिगड़ गई, जिससे आईसीयू में पहुंचने के कुछ ही घंटे में मौत हो गई। जबकि वह रोहित पिछले दस से 12 दिन घर पर बिल्कुल ठीक थे। उनके ट्वीट बताते हैं कि अस्पताल जाने से कुछ समय पहले तक वह सामान्य थे।
मैंने सिर्फ एक आशंका जताई है कि तथ्य सामने आने चाहिए। मेरी बातें अंतिम सत्य नहीं हैं।
दीपक शर्मा-
शोक में सूचना तो दी जा सकती है, लिखा नहीं जा सकता।
इसलिए थोड़ा ठहरकर हिम्मत बंधी है, कुछ बात रखने की।
साथी रोहित सरदाना को खो देना आपको भीतर तक इसलिए हिला देता है क्यूंकि वे जवान थे और बिलकुल फिट थे।खुशियों से भरा एक हँसता खेलता परिवार था उनका।उनकी पत्नी, प्रमिला जो आजतक में बरसों तक कलीग थीं , मेरी छोटी बहन जैसी थी। रोहित की तारीफ़ करते वे थकती नहीं थीं। देश में पीएम हो, कोई सीएम हो, सब रोहित को नाम से जानते थे। उनकी शोहरत बुलंदियों पर थी और क़ाबलियत में अंश मात्र कहीं कमी नहीं थी। आजतक के वे लीड एंकर थे और समूची इंडस्ट्री में शायद टॉप फाइव टीवी फेस में से एक। उनका कुछ घंटो में यूं चले जाना, मेरे लिए बेहद शॉकिंग है।समझ से परे है। कुछ घंटो में किसी को हम कैसे खो सकते हैं ?
उनके आखिरी ट्ववीट जाहिर करते हैं, कि कोविड के संक्रमण के बाद भी उनकी तबियत 24 घन्टे पहले इतनी ख़राब नहीं थी। 29 अप्रैल की रात जब उन्हें कुछ तकलीफ हुई तो नॉएडा के एक निजी अस्पताल में उन्हें दाखिल कराया गया। कुछ घंटे बाद छाती में दर्द बढ़ा तो ट्रीटमेंट तेज़ हुआ। और जैसा बताया गया कि रोहित को फिर कुछ देर बाद हार्ट अटैक हुआ, और उन्हें बचाया नहीं जा सका। मैं, एक मेडिकल एक्सपर्ट नहीं हूँ, इसलिए आगे, उनके ट्रीटमेन्ट को लेकर अपनी तरफ से कुछ और नहीं लिख सकता हूँ।न किसी और को लिखना चाहिए।
बेहतर होगा कि देश के स्थापित डॉक्टर्स का एक विशेषज्ञ पैनल, रोहित को दिए गए लाइन आफ ट्रीटमेंट और प्रोटोकॉल का बारीकी से विश्लेषण करे।उन्हें अस्पताल में, कब -कब, क्या-क्या दिया गया इसका विश्लेषण हो । जो दिया गया उसका असर क्या क्या था, मरीज़ के लिए कितना मुफीद था ? इस तरह की मेडिकल ओपिनियन, ओवरव्यू , बड़ी हस्तियों के मामले में अमेरिकी अस्पताल में दिए जाते हैं… सिर्फ इसलिए कि कहीं कुछ कमी तो नहीं रह गयी। या आगे के लिए लाइन ऑफ़ ट्रीटमेंट को क्या और दुरुस्त किया जा सकता है ।
रोहित के मामले में अगर कोई कमी, खामी, लाइन ऑफ़ ट्रीटमेंट में नहीं हुई है तो कोई बात नहीं, पर अगर 1 परसेंट भी हुई है तो तथ्य सामने आने चाहिए। डॉक्टर्स पर संदेह करना इस पोस्ट का मकसद कतई नहीं है, पर डॉक्टर्स का लाइन ऑफ़ ट्रीटमेंट क्या बिलकुल ठीक था, ये रोहित के चाहने वाले ज़रूर जानना चाहेंगे।
एक बार फिर रोहित सरदाना को विनम्र श्रद्धांजलि।