बिहार से खबर है कि रोसड़ा व्यवहार न्यायालय में अभियोग पत्र संख्या 498 एवं 501 दायर हुआ। इस अभियोग पत्र में एसडीओ ब्रजेश कुमार एवं अनुमंडलकर्मी नीलकमल सिंह को आरोपित किया गया। अभियोग पत्र की कॉपी अखबारों, चैनलों, पोर्टलों के प्रतिनिधि को दिया गया। बताया जाता है कि प्रिंट मीडिया में खबर को एसडीओ ने रुकवा लिया लेकिन न्यूज पोर्टलों पर खबर का प्रकाशन कर दिया गया। इससे तिलमिलाए एसडीओ ने उन सभी न्यूज पोर्टल पर प्राथमिकी दर्ज करवा दी, जिन्होंने एसडीओ पर दर्ज अभियोग पत्र के बारे में खबर का प्रकाशन किया था।
बताया जाता है कि ग्रुपबाजी के चक्कर में पत्रकारों का एक समूह प्राथमिकी दर्ज करवाने में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहा। ये लोग प्रशासन की चाटुकारिता करने में दिनभर व्यस्त रहते हैं। एसडीओ पर अभियोग पत्र दर्ज होने की खबर नहीं चलाने वाले कई पत्रकारों ने न्यूज पोर्टल पर प्राथमिकी दर्ज होने की खबर अवश्य चला दी।
रोसड़ा एसडीओ की इस कार्रवाई के खिलाफ न्यूज पोर्टल चलाने वाले मीडियाकर्मी एकजुट होने लगे हैं। इसके बाद एसडीओ ने इन न्यूज पोर्टल के प्रतिनिधियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस पर दबाव बना दिया है। ऐसे में यदि न्यूज पोर्टल के इन प्रतिनिधियों की गिरफ्तारी होती है तो यह मीडिया का गला दबाने जैसा ही होगा।
मीडियाकर्मियों ने मामले की जानकारी सीएम, डीएम, गृह सचिव, एसपी समेत कई वरीय अधिकारियों को दी है। जिन न्यूज पोर्टल पर कार्रवाई हुई है, वे हैं- बिहार सुपर फास्ट खबर, रोसड़ा खबर, इंडिया समाचार, रोसड़ा तक, ताजा खबर, एमएनटी न्यूज, पी न्यूज, बिहार लाईव नाउ, इंडिया समाचार एवं एएसन्यूज। इनके प्रतिनिधियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
एसडीओ ने लिखित शिकायत में कहा है कि ये पोर्टल आरएनआई एवं पीआईबी से निबंधित नहीं हैं। पर एसडीओ को ये पता ही नहीं है कि न्यूज पोर्टल के निबंधन के लिए सरकार की कोई गाइडलाइन नहीं है।
रोसड़ा के प्रायः सभी सरकारी विभाग जो भ्रष्टाचार में में लिप्त हैं, वह इन न्यूज पोर्टलें के खिलाफ कार्रवाई से खुश हैं जबकि आम जन इस कार्रवाई की भर्त्सना कर रहे हैं।
प्रस्तुति- संजीव कुमार सिंह
Jharkhand Working Journalists Union
November 3, 2020 at 8:58 pm
अनुमंडल पदाधिकारी को इतना भी नहीं मालूम कि न्यूज़ पोर्टल के लिए आर एन आई या पी आई बी में निबंधन के लिए कोई नियमावली नहीं है।
एसडीओ के इस कृत्य की यूनियन निदा करती है।