Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

राज्यसभा टीवी में जारी है फिक्सिंग का खेल

इन दिनों टीवी न्यूज़ चैनलों में राज्यसभा टीवी की चर्चा ज़ोरो पर है। बीते दिनों राज्यसभा टीवी में पत्रकारों की भर्ती के लिए हुए मेराथन इंटरव्यू के बाद इस चर्चा ने ज़ोर पकड़ा है। राज्यसभा टीवी पिछले दरवाज़े से पत्रकारों की इंट्री करवाने के लिए पहले ही बदनाम हो चुका है। लेकिन बीते दिनों राज्यसभा टीवी के रकाबगंज रोड स्थित ऑफिस में जो कुछ हुआ उसने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि राज्यसभा टीवी में सिर्फ नेताओं और अफसरों के रिश्तेदार ही पत्रकार बन सकते हैं।ये बात किसी से छिपी नहीं है कि वर्तमान में राज्यसभा टीवी में कार्यरत लगभग सभी पत्रकारों का किसी बड़े नेता या अफसर से रिश्ता रहा है। बीते दिनों इससे जुड़ी कुछ ख़बरें सार्वजनिक होने के बाद देश भर में चर्चा का विषय बनी थी। इस लिहाज़ से राज्यसभा टीवी जनता के बीच पहले ही अपनी ख़ास पहचान बना चुका है। लेकिन बीते दिनों वाक् इन इंटरव्यू के नाम पर हुए फिक्सिंग के खेल ने राज्यसभा टीवी के डायरेक्टर और सचिवालय के अफसरों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।

<p>इन दिनों टीवी न्यूज़ चैनलों में राज्यसभा टीवी की चर्चा ज़ोरो पर है। बीते दिनों राज्यसभा टीवी में पत्रकारों की भर्ती के लिए हुए मेराथन इंटरव्यू के बाद इस चर्चा ने ज़ोर पकड़ा है। राज्यसभा टीवी पिछले दरवाज़े से पत्रकारों की इंट्री करवाने के लिए पहले ही बदनाम हो चुका है। लेकिन बीते दिनों राज्यसभा टीवी के रकाबगंज रोड स्थित ऑफिस में जो कुछ हुआ उसने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि राज्यसभा टीवी में सिर्फ नेताओं और अफसरों के रिश्तेदार ही पत्रकार बन सकते हैं।ये बात किसी से छिपी नहीं है कि वर्तमान में राज्यसभा टीवी में कार्यरत लगभग सभी पत्रकारों का किसी बड़े नेता या अफसर से रिश्ता रहा है। बीते दिनों इससे जुड़ी कुछ ख़बरें सार्वजनिक होने के बाद देश भर में चर्चा का विषय बनी थी। इस लिहाज़ से राज्यसभा टीवी जनता के बीच पहले ही अपनी ख़ास पहचान बना चुका है। लेकिन बीते दिनों वाक् इन इंटरव्यू के नाम पर हुए फिक्सिंग के खेल ने राज्यसभा टीवी के डायरेक्टर और सचिवालय के अफसरों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।</p>

इन दिनों टीवी न्यूज़ चैनलों में राज्यसभा टीवी की चर्चा ज़ोरो पर है। बीते दिनों राज्यसभा टीवी में पत्रकारों की भर्ती के लिए हुए मेराथन इंटरव्यू के बाद इस चर्चा ने ज़ोर पकड़ा है। राज्यसभा टीवी पिछले दरवाज़े से पत्रकारों की इंट्री करवाने के लिए पहले ही बदनाम हो चुका है। लेकिन बीते दिनों राज्यसभा टीवी के रकाबगंज रोड स्थित ऑफिस में जो कुछ हुआ उसने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि राज्यसभा टीवी में सिर्फ नेताओं और अफसरों के रिश्तेदार ही पत्रकार बन सकते हैं।ये बात किसी से छिपी नहीं है कि वर्तमान में राज्यसभा टीवी में कार्यरत लगभग सभी पत्रकारों का किसी बड़े नेता या अफसर से रिश्ता रहा है। बीते दिनों इससे जुड़ी कुछ ख़बरें सार्वजनिक होने के बाद देश भर में चर्चा का विषय बनी थी। इस लिहाज़ से राज्यसभा टीवी जनता के बीच पहले ही अपनी ख़ास पहचान बना चुका है। लेकिन बीते दिनों वाक् इन इंटरव्यू के नाम पर हुए फिक्सिंग के खेल ने राज्यसभा टीवी के डायरेक्टर और सचिवालय के अफसरों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।

दरअसल पूरा मामला ये है कि राज्यसभा टीवी ने बीते दिनों एंकर, प्रोड्यूसर, सीनियर एंकर और सीनियर प्रोड्यूसर जैसे वरिष्ठ पदों के लिए वाक् इन इंटरव्यू आयोजित किया था। इस वाक् इन इंटरव्यू में सैकड़ों की संख्या में पत्रकार शामिल होने आये थे। जिनमें बड़ी संख्या में दिल्ली के बाहर के पत्रकार और महिला पत्रकार भी शामिल हुए। हालाकि मीडिया जगत में पहले ही ये खबर फ़ैल गयी थी कि वहां सबकुछ पहले से फिक्स हो रखा है। इसलिए कईं वरिष्ठ पत्रकारों ने खुद को इस इंटरव्यू से दूर रखा। बावजूद इसके कड़ाके की सर्दी में खुले में ठिठुरते सैकड़ों पत्रकार रात नौ बजे तक इंटरव्यू के लिए अपनी बारी आने का इंतज़ार करते रहे। लेकिन कुछ ख़ास लोगों का इंटरव्यू लेने के बाद इंतज़ार करते बाकी के महिला और पुरुष पत्रकारों को रजिस्ट्रेशन हो जाने के बावजूद ये कहकर लौट दिया गया कि दूसरे चरण में आपका इंटरव्यू लिया जाएगा। और दूसरे चरण की सूचना एक दो दिन में वेबसाइट पर दाल दी जाएगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस पूरी प्रक्रिया में कुछ दिलचस्प बातें खुलकर सामने आई।

1. सबसे दिलचस्प बात ये थी कि विज्ञापन में स्पष्ट लिखा होने के बावजूद उम्मीदवारों से किसी तरह के कोई दस्तावेज, अनुभव प्रमाणपत्रों की फोटोप्रति जमा नहीं कराए गए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

2. जिस उम्मीदवार ने जितने साल का अनुभव बताया उसे मान लिया गया। ऐसे में कईं इंटर्न और ट्रेनी लेवल के पत्रकार प्रोड्यूसर और सीनियर प्रोड्यूसर तक के इंटरव्यू में शामिल हो गए।

3. सिर्फ एक सादे कागज़ पर उम्मीदवारों से बायोडाटा लिखवा लिया गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

4. इंटरव्यू की प्रक्रिया में किसी तरह की पारदर्शिता नहीं थी। महज़ दो घंटे में इंटरव्यू पैनल ने साठ उम्मीदवारों का इंटरव्यू लिया था। एक दिन में 200 से ज़्यादा उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेकर इस पैनल ने एक नया रिकॉर्ड बनाया था।

5. हैरानी वाली बात ये थी कि कुल जमा 18-20 पदों के लिए चार पांच दिन तक लगभग एक हज़ार उम्मीदवारों के इंटरव्यू लिए गए। जबकि सरकारी नियम के मुताबिक़ एक पद के विरुद्ध केवल तीन लोगों के इंटरव्यू होने चाहिए।  

Advertisement. Scroll to continue reading.

6. इंटरव्यू में शामिल पत्रकारों के मुताबिक़ उनसे बेतुके सवाल पूछे जा रहे थे।ऐसे सवालों का प्रोड्यूसर के काम से कोई लेना-देना नहीं था। इंटरव्यू पैनल में सदस्यों की संख्या भी निश्चत नहीं थी। कभी सात तो कभी महज़ दो सदस्य ही इंटरव्यू लेते देखे गए।ज़्यादातर उम्मीदवारों से उनका नाम और परिचय पूछकर उन्हें जाने के लिए कह दिया गया। जिसके बाद इंटरव्यू में देश भर से शामिल होने आए पत्रकार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

इस घटना के बाद मीडिया जगत में राज्यसभा टीवी के सरकारी बाबुओं को लेकर तमाम तरह की चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है। पत्रकार ये सवाल कर रहे हैं कि

Advertisement. Scroll to continue reading.

1. पूरी प्रक्रिया को इतनी जल्दबाज़ी में क्यों अंजाम दिया गया?
2. आवेदन मंगवाकर किसी निष्पक्ष संस्था के द्वारा उनकी स्क्रूटनी क्यों नहीं की गयी?
3. निर्धारित योग्यता ना रखने वाले लोगों के इंटरव्यू क्यों लिए गए?
4. बिना दस्तावेज़ों की जांच किये ही उम्मीदवारों के इंटरव्यू क्यों लिए गए?
5. राज्यसभा टीवी ने चयन के लिए वस्तुनिष्ठ चयन परीक्षा का आयोजन क्यों नहीं करवाया?

सरकारी नियमों के मुताबिक़ 90 फीसदी अंक ओएमआर प्रणाली की चयन परीक्षा और 10 फीसदी अंकों के इंटरव्यू को चयन का आधार बनाकर एक निष्पक्ष चयन प्रक्रिया के आधार पर चयन किया जाना चाहिए था। लेकिन इस चयन में तमाम नियमों को किनारे कर दिया जाना कईं तरह के संदेहों को जन्म दे रहा है। जिसके बाद पत्रकार आरटीआई के ज़रिये पूरी जानकारी पाने के लीये आवेदन कर रहे हैं। साथ ही इस बारे में भी जानकारी माँगी जा रही है कि राज्यसभा टीवी में कार्यरत कितने पत्रकार नेताओं और अफसरों के रिश्तेदार है या उनसे प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. santosh singh

    January 1, 2015 at 4:30 am

    neta sabse bara hai ish dharti pea iske bad officer ka to kuch kahna hi nahi hai we log unse bhi bade hai

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement