राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पत्र-पत्रिकाओं में भी कोविड-19 महामारी का असर दिखने लगा है। विश्व संवाद केंद्र लखनऊ में प्रचार विभाग अवध प्रांत का कार्यालय है जिसमें जागरण पत्रिका अवध प्रहरी (पाक्षिक) का प्रकाशन होता है। अभी कुछ दिन ही पहले प्रबंध संपादक दिवाकर अवस्थी का नाम अवध प्रहरी पत्रिका से हटा दिया गया। प्रणय विक्रम सिंह कार्यकारी संपादक थे, उन्हें भी रिमूव कर दिया गया।
शुक्रवार 4 सितंबर को विश्व संवाद केंद्र के सचिव अशोक कुमार सिन्हा जिन्हें कुछ दिनों से जागरण पत्रिका अवध प्रहरी निकालने की भी जिम्मेदारी दी गई है, उन्होंने अचानक आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए प्रचार विभाग कार्यालय में कार्य कर रहे कार्यालय सहायक मनीष कुमार और समन्वयक सहित 4 कर्मचारियों को ऑफिस आने से मना कर दिया।
उनका कहना था कि अभी संघ के पास बजट नहीं है इस वजह से आप लोग कल से ऑफिस ना आएं, आगे जरूरत होगी तो बुलाया जाएगा।
इसके अलावा संघ की अन्य पत्र-पत्रिकाओं में भी यही चल रहा है। दो महीने से किसी की भी सैलरी नहीं दी गई। राष्ट्र धर्म के कर्मचारी भी प्रताड़ित किये जा रहे हैं। सचिव अशोक सिन्हा जिन्हें अब विश्व संवाद केंद्र प्रमुख का दर्जा भी मिल गया है, सभी को प्रताड़ित कर रहें हैं। प्रचारकों से भी पंगा हो गया है क्योंकि पिछले 2 महीने से उन्हें भी खर्चा नहीं मिला, इसलिए उनमें भी आक्रोश है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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