पत्रकारिता में एक अलग स्थान रखने वाली संस्था राज्यसभा टीवी में इन दिनों अजीबो-गरीब फरमान जारी होने से पत्रकारों में काफी नाराजगी है। संस्थान में काम करने वाले पत्रकारों को अब हर दिन हर घंटे का हिसाब देना होगा। तपती गरमी में इन दिनों राज्यसभा टीवी के पत्रकार यह पुलिंदा बनाने में लगे हैं कि उन्होंने साल भर में क्या काम किया। राज्यसभा सचिवालय ने ऐसा फरमान पहली बार जारी किया है और ये बताता है कि पत्रकारों और प्रशासन के बीच में किस तरह भेदभाव की खाई गहरी है।
राज्यसभा टीवी में अधिकतर पत्रकारों का कार्यकाल जून 2019 में समाप्त हो रहा है। रिन्यूअल की औपचारिकता अप्रैल में आरंभ की गयी थी और भारी कसरत के बाद सभी स्तर पर जब पूरी हो गयी तो एडीशनल सेक्रेटरी एए राव ने यह कहते हुए सारे आदेश वापस कर दिए कि कार्यरत पत्रकारों का रिन्यूवल तभी होगा जब वो अपने हर दिन का हिसाब देंगे। सालभर उन्होंने क्या-क्या काम किया है, इसका पूरा ब्योरा उन्हें देना होगा।
निजाम बदलने के बाद राज्यसभा टीवी लगातार सुर्खियों में रह रहा है। कुछ दिन पहले तक एडिशनल सेक्रेटरी एए राव ने कई वरिष्ठ पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाया। हिन्दी पत्रकारों के प्रति श्री राव का रवैया बहुत खराब है। राव के कारनामों की दस्तक हाईकोर्ट तक पहुंच गई है। राज्यसभा के चेयरमैन एम वैंकया नायडू के नाक के नीचे तमाम कारगुजारी जारी हैं। इसमें ताजा फैसला पत्रकारों को काम के हर दिन का हिसाब देना है।
नाम नाम छापने के शर्त पर वहां काम कर रहे कई पत्रकारों ने बताया कि इसे लेकर संस्थान में भयानक गुस्से का माहौल है। बहुत जल्दी इसकी लिखित शिकायत वैंकया नायडु से भी की जाएगी और सांसदों को भी इस बात से अवगत कराया जाएगा। इस बात को हालांकि कुछ माध्यमों से उप राष्ट्रपति के दफ्तर पहुंचा दिया गया है।
राज्यसभा सचिवालय में रिन्यूअल के लिए इसके पहले जो प्रक्रिया बनी थी वही जारी है। लेकिन जो नया आदेश दिया गया है, उससे पत्रकार काफी आहत हैं क्योंकि पहले ही रिन्यूअल के लिए जो फार्म भरना होता है वह खुद कई पेजों का और काफी जटिल है।
कमलसिंह यदुवंशी
June 7, 2019 at 3:54 pm
पत्रकारिता को इस पूँजीवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत दबाने का क्रम जारी है। पत्रकारिता का यह समय वाकई संकट काल से कम नही है। कलम वही लिखती है जो मनभावन हो, भले ही सत्य से दूर।
Diwan Singh Bisht
June 8, 2019 at 8:10 pm
Ye sab Galat hai… Mr. Rao ko Samajhna chaiye ye patrakarita ka sansthan hai.. koi rasan kee dukan nahi….
Pehle esa nahi hota tha… quality ka kaam hota tha…