दोस्तों
मैं एक बार फिर आप सब से अपील कर रहा हूँ कि आप आरटीआई को हथियार बनाइये। श्रम विभाग के पास अखबार मालिकों द्वारा मंत्रियों से फोन करा कर उन पर दबाव डलवाया जा रहा है। उनके पास मंत्री हैं। हमारे पास आरटीआई है। इसी आरटीआई ने सुरेश कलमाणी को जेल डलवा दिया। शीला दीक्षित की कुर्सी छिनवा लिया। दिल्ली से कांग्रेस का सफाया हो गया। सिर्फ और सिर्फ इसी आरटीआई के कारण।
मेरे एक साथी भूपेश कुंभारे जो कोल्हापुर में हैं, 2012 में उन्हें कंपनी ने निकाल दिया। इंडस्ट्रियल कोर्ट गए। न्यायाधीश ने हाथ से आर्डर लिख दिया। आर्डर में क्या लिखा गया था, हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट के एडवोकेट भी नहीं समझ पा रहे थे। भूपेश जी को किसी ने मेरा नंबर दिया। वे मुझसे मिलने कुछ दिन पहले मुम्बई आये और अपनी समस्या बताई। मैंने उनके आर्डर की कॉपी लिया और जिस इंडस्ट्रियल कोर्ट से उनको आर्डर मिला था उसमें आरटीआई लगा दिया। पूछा कि इस आर्डर में क्या लिखा गया है, मुझे उसकी टाइपिंग कॉपी उपलब्ध कराइये।
आप यकीन कीजिये, 19 अक्टूबर 2016 को ये आरटीआई लगाई थी और ठीक दस दिन बाद 29 अक्टूबर को मेरे पास इस आर टी आई में भूपेश कुंभारे जी के ऑर्डर की पूरी कॉपी टाइप कराकर आ गयी। साथ में इसमें सिग्नेचर और मुहर भी है। मैं जानता हूँ आर्डर की ये टाइपिंग कॉपी भूपेश जी को भी मिल जाती लेकिन पता नहीं क्यों उन्हें हाथ से लिखी आर्डर की प्रति मिली थी। साथियों, ध्यान दीजिये, आज अखबार मालिकों के साथ मंत्री हैं, संभवतः कुछ मुख्यमंत्री भी होंगे लेकिन हमारे पास आरटीआई है, सुप्रीम कोर्ट है और यशवंत सिंह सर हैं, एडवोकेट हैं। इसलिए मैं एक बार आप सबसे कहूंगा, प्लीज़, आरटीआई को हथियार बनाइये।
श्रम विभाग से अपनी कंपनी और उसकी सभी सहायक कंपनियों की 2007 से 10 तक की बैलेंश शीट मंगाइये। साथ ही कर्मचारियों की पूरी लिस्ट और मजीठिया वेज बोर्ड मामले में श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा अब तक की गयी कार्रवाई का पूरा विवरण मांगिये।
माननीय सुप्रीमकोर्ट को मजीठिया वेज बोर्ड मामले में क्या रिपोर्ट भेजी गयी है, उसकी रिपोर्ट मंगाइये। जो-जो सवाल दिमाग में आये, सब आरटीआई के जरिये मांगिये। आज आप मुझसे महाराष्ट्र के किसी भी अखबार की कोई भी मजीठिया से जुडी जानकारी मांगिये, तुरंत दूंगा। आप सभी साथी भी अपने अपने प्रदेश की पूरी जानकारी इकठ्टा कीजिये श्रम आयुक्त कार्यालय से। देखिये, फिर अखबार मालिकों की कुंडली आपके सामने आती जायेगी।
कोई दिक्कत हो तो मुझे फोन कीजिये।
एक चीज और ध्यान दीजिए। अखबार मालिक जल्द ही हम सभी साथियों के खिलाफ पुलिस स्टेशन में फर्जी मामले भी दर्ज करा सकते हैं जिसमें पहला होगा चोरी का, मारपीट करने का। पत्रकारों पर जो सबसे बड़ा कलंक लगता है वो है हफ्ता वसूली, इसलिए ये भी आरोप लग सकता है। इसलिए पुलिस विभाग और सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को एक मेल भी करके रखिये कि मजीठिया वेज बोर्ड लाभ मांगने पर अखबार के मालिक हमें फर्जी मामले में फंसाने की धमकी दे रहे हैं। ये भी बहुत जरूरी है।
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
मुंबई
9322411335
Sachin
October 30, 2016 at 4:57 pm
Jhantu pan ki bhi hadd hai Jo print media supreme Court ko kuch nahi samajhta to aur Kisi ko Kya samjhane.isko ganth bandh lo kuch nahi denge ye.
Sabko mayusi lagegi per katu Satya hai.bas Gand marao ya Naukari chodo.
जय भारत
October 31, 2016 at 1:09 pm
ब्रेकिंग न्यूज़ . सहारा में मजीठिया के नाम पर बंदरबांट .
भारत
November 1, 2016 at 5:19 pm
सहारा में मजीठिया के नाम पर गजब का तमाशा हुआ है-
तमाशा नंबर एक- डी टी पी ओपरेटर की सैलरी उर्दू के रेजिडेंट एडिटर से अधिक हो गयी है.
तमाशा नंबर दो- जो लोग १५-२०-२५ वर्षों से वरिष्ठ , प्रधान संबाददाता के पद पर काम कर रहे हैं उन्हें एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं डी गयी, उलटे उनसे उपर नीचे व कम अनुभवी रिपोर्टर, सब एडिटर के वेतन कर दिए गए. जो लोग हरताल का जमकर समर्थन किये उन्हें जमकर पुरस्कार दिया गया. अब बताईये १५-२० वर्षों से घिस रहे कर्मियों की क्या गलती है . वह रे सहारा. राष्ट्रीय सहारा के ८० फीसदी कर्मियों में असंतोष है. सहारा में कैडर की अहमियत होती है. कैडर सहाराश्री के निर्देश पर ही बढ़ाये जाते है. लेकिन मौजूदा बॉस ने अपने चहेतों के लिए कैडर को दरकिनार कर रिदेजिनेट को खूब आगे बढाया है. उदहारण के तौर पर कई कर्मियों का कैडर ऑफिसर और जूनियर रिपोर्टर है किन्तु उन्हें रिदेजिनेट कर स्पेशल संबाददाता बना दिया. राष्ट्रीय सहारा को इससे करारा आर्थिक नुकसान हुआ. ऐसे लोगों को खूब पहुँचाया गया है , जबकि सहाराश्री ने इसे ख़ारिज कर दिया था. यह जांच का विषय है कि पिछले ३-४ वर्षों में किस पदाधिकारी ने किन किन लोगों को रिदेजिनेट कर सहारा को नुकसान पहुँचाया. अभी कई राज खुलेंगे. खासकर भूमिहार को परदे के पीछे से फ़ायदा पहुँचाया गया है.