Sumant Bhattacharya थोड़ी देर पहले ही एक राष्ट्रीय टीवी चैनल के राजस्थान प्रमुख का फोन आया और कहा कि सुमंत भाई इस पर कुछ लिखो। मुद्दा बेहद गैरजिम्मेदाराना किस्म की पत्रकारिता की वजह से एक मासूम की मौत का है। राजस्थान के कोटा में दो एक रोज पहले किन्ही बैंक मैनेजर के पांच सात साल के बेटे का अपहरण हो गया। अपहर्ताओं ने आज शुक्रवार को शाम तक का वक्त दिया और एक करो़ड़ बतौर फिरौती मांगी। पर आज ही राजस्थान के दो प्रमुख अखबारों राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर ने इस खबर को पहले पेज पर जोरदार तरीके से छाप दिया। सुबह पांच बजे खबर अखबारों में आई और दो घंटे के बाद मासूम की लाश तलाब से मिली। मीडिया ने पुलिस को अपना काम करने का वक्त ही नहीं दिया, खबर के बाद अपहर्ताओं को लगा कि बच्चा रहा तो पकड़े जाएंगे। सनसनी फैलाने वाले और सबसे तेज खबर के कारोबारियों ने अपने बाजारवाद में एक बच्चे को दुनिया से विदा कर डाला।
Piyush Rathi कोटा में 7 साल के रूद्राक्ष के अपहरण के बाद उसकी हत्या की घटना ने प्रदेश ही नहीं पूरे देश को झंकझोर कर रख दिया हैं। आखिर 7 साल के उस मासूम की क्या गलती रही जिसकी सजा उसे मिली है। व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना हैं कि इस पूरी घटना में गुनाहगार माना जाये तो पुलिस की कार्यप्रणाली व मिडिया की सबसे तेज सबसे अलग खबर दिखाने की रेस हैं। रूद्राक्ष का जब अपहरण कर लिया गया और फिरौती के पैसे मांगे गये तो उसके पिता थाने पहुंचे और रिपोर्ट दर्ज करवाई पुलिस तुरंत एक्टिव हुई और जांच में जुट गई।
मगर पुलिस क्या जांच कर रही हैं किन पहलुओं को लेकर जांच को गति दे रही हैं इसकी विस्तृत जानकारी आखिर मिडिया को देने की कहां जरूरत पड़ गई। मिडियाकर्मियों ने भी अपनी-अपनी भूमिका निभाते हुए अपने-अपने बैनर को उंचा उठाने के लिये पूरी की पूरी कहानियां अगले दिन अखबारों में छाप दी जिससे अपहरणकर्ता निश्चित रूप से भांप गया कि अब उसकी खैर नहीं है और ऐसे में उसे लगा होगा कि बच्चे को साथ लेकर चलना और कोटा क्षेत्र को पार करना उसके लिये नामुमकिन हैं क्यों कि जिस कार को संदिग्ध माना जा रहा था उसकी फोटो तक अखबारों में छाप दी गई जिससे कोई भी व्यक्ति उस कार को पहचान लेता।
इसी के चलते उसने मासूम रूद्राक्ष की हत्या कर दी। ऐसे में सवाल उठता हैं कि आखिर पुलिस को ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी कि उन्होने पूरी जांच की कहानी मिडिया के सामने रख दी जिससे अपहरणकर्ता तक ये सारी डिटेल पहुंच जाये। यदि पुलिस व मिडिया दोनों ही संयम से काम लेते तो शायद आज उस मासूम की जान बचाई जा सकती थी।
जहां तक मेरा अनुभव हैं पुलिस किसी साधारण से मामले में भी क्या जांच कर रही हैं यह भी किसी को पता नहीं लगने देती और जांच अधिकारी सचेत रह कर इस बात का ख्याल रखता हैं कि आखिर जांच का एक भी पहलू आउट ना हो।
सुमंत भट्टाचार्य और पीयूष राठी के फेसबुक वॉल से।
abhimani
October 12, 2014 at 12:17 pm
boss is mamley ko lekar sabhi ke man me dukh hai lekin ek akeley media ko vo bhi newspaper ko dosh dene se kya hoga, newspaper to subh 5 baje market me aye, tv per to raat 8 bajey se hi news broadcast ho gayi thi , sabhi chanls per….. raat me hi rudraksh ko mar diya gaya tha to subh 5 baje pe hi kyu focus ho raha hai……..halanki isme koi diray nahi hai ki media or police dono ki laprwahi rudraksh ki mout ka karan rahey