Yashawnt Singh : दिल्ली में हौज खास विलेज नामक जगह है. कभी यह दिल्ली के दूसरे शहर सीरी में हुआ करता था, ऐसा हौज खास जाने पर बाहर लगी पट्टिका को पढ़ने से पता चलता है. आज हौज खास दिल्ली का हिस्सा बन चुका है. यहां लगी पट्टिका पर लिखा है-
हौज-ए-अलाई
(हौज-खास)
दिल्ली के दूसरे शहर सीरी में निर्मित हौज-ए-अलाई का निर्माण अलाउद्दीन खलजी (सन 1296-1316) ने करवाया।
Hauz-I-Alai
(Hauz-Khas)
Hauz-I-Alai was constructed in Siri, The Second City of Delhi By Alaud-Din-Khalji (A.D. 1296-1316)”.
इसी में फिरोज शाह का मकबरा है. Feroz Shah’s Tomb. इस बारे में लगी पट्टिका से पता चलता है कि–
”फिरोज शाह ने अपने मरने से पहले अपना मकबरा और इससे सटा मदरसा बनवा दिया था. पट्टिका के मुताबिक फिरोज शाह की मृत्यु 1388 ईस्वी में हुई. उन्होंने अपना मकबरा और मदरसा 1350 के दशक में लगभग एक ही समय में बनवाया था. इस वर्गाकार मकबरे की माप 13.5 मीटर है और यह वहां स्थित है जहां मदरसे के दोनों हिस्सों का संगम होता है. इस मकबरे के गंबुद का शीर्ष पूरे परिसर में सबसे उंचा है. दक्षिणी प्रवेश द्वार के उपर अंकित लेख से यह जानकारी मिलती है कि इस इमारत की मरम्त सन 1508 ईस्वी में बादशाह सिकंदर लोदी के आदेशानुसार करवाई गई थी. कक्ष के बीचोंबीच बनी कब्र फिरोज शाह की है जबकि संगमरमर की अन्य कब्रें संभवत: उनके पुत्र और पोते की रही होगी.”
ये तो हुई अतीत की बात. आज ये जगह दिल्ली के नौजवान दिलवालों के लिए आरक्षित सी लगती है. हर तरफ प्रेमी युगल यहां विराजमान है. ठसाठस भरी और चिल्ली-पों मचाती दिल्ली में यह जगह थोड़ी रुमानियत से तो भर ही देती है इसलिए यहां एक बार जाना और देखना बनता है. नीचे झील और उसका किनारा भी जाने देखने का प्रबल आकर्षण है. यहां एंट्री फ्री है.
इस जगह पर आप नहीं गए हैं तो कोई बात नहीं. जब समय मिले तब जाइए लेकिन फिलहाल मैं दो वीडियो वहां से लाइव तैयार कर लाया हूं. इसके जरिए हौज खास को काफी कुछ आप देख समझ सकते हैं.
वीडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें :
(1) Hauz-Khas and Feroz Shah’s Tomb दिल्ली में हौज खास और इसमें फिरोज शाह का मकबरा देखिए https://www.youtube.com/watch?v=04n8f3LSp6w
(2) Hauz-Khas and Feroz Shah’s Tomb दिल्ली में हौज खास और इसमें फिरोज शाह का मकबरा देखिए https://www.youtube.com/watch?v=ybwoS04OtK8
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
Rahi MK
April 7, 2016 at 1:55 pm
Yashvant ji, aapney Behad rochak jankari di. Mujhey bhi aajtak nahi pataa thha. Kai baar Dilli gaya aur jata hun. Ab koshish karunga ek bar dekhney ki. Dhanyabad apka.