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ट्रिब्यून के संपादक हरीश खरे बोले- नेता और व्यवसायी चला रहे हैं देश की पत्रकारिता

जयपुर। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार और ‘दैनिक ट्रिब्यून’ के एडिटर इन चीफ हरीश खरे ने पत्रकारिता और राजनीति के घालमेल पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘पत्रकार आज राजनीति में सक्रिय हैं और राजनेता पत्रकार बन गए हैं, यह पता ही नहीं चलता है कि किस व्यक्ति का पेशा क्या है।’ खरे सोमवार को ‘राजस्थान पत्रिका’ की ओर से आयोजित ‘पंडित झाबरमल शर्मा स्मृति व्याख्यान एवं सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार समारोह’ बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मीडिया समूह उद्योगपति चला रहे हैं। अब यह पता ही नहीं चलता है कि कौन पत्रकार है और कौन राजनीति में है, यही कारण है कि मीडिया राजनेताओं और उद्योगपतियों की बात करने लगा है।

<p>जयपुर। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार और 'दैनिक ट्रिब्यून' के एडिटर इन चीफ हरीश खरे ने पत्रकारिता और राजनीति के घालमेल पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, 'पत्रकार आज राजनीति में सक्रिय हैं और राजनेता पत्रकार बन गए हैं, यह पता ही नहीं चलता है कि किस व्यक्ति का पेशा क्या है।' खरे सोमवार को 'राजस्थान पत्रिका' की ओर से आयोजित 'पंडित झाबरमल शर्मा स्मृति व्याख्यान एवं सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार समारोह' बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मीडिया समूह उद्योगपति चला रहे हैं। अब यह पता ही नहीं चलता है कि कौन पत्रकार है और कौन राजनीति में है, यही कारण है कि मीडिया राजनेताओं और उद्योगपतियों की बात करने लगा है।</p>

जयपुर। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार और ‘दैनिक ट्रिब्यून’ के एडिटर इन चीफ हरीश खरे ने पत्रकारिता और राजनीति के घालमेल पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘पत्रकार आज राजनीति में सक्रिय हैं और राजनेता पत्रकार बन गए हैं, यह पता ही नहीं चलता है कि किस व्यक्ति का पेशा क्या है।’ खरे सोमवार को ‘राजस्थान पत्रिका’ की ओर से आयोजित ‘पंडित झाबरमल शर्मा स्मृति व्याख्यान एवं सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार समारोह’ बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मीडिया समूह उद्योगपति चला रहे हैं। अब यह पता ही नहीं चलता है कि कौन पत्रकार है और कौन राजनीति में है, यही कारण है कि मीडिया राजनेताओं और उद्योगपतियों की बात करने लगा है।

खरे ने पत्रकारिता और राजनीति के सम्बन्धों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दो वर्ष से मीडिया से सार्वजनिक तौर पर बात करने के लिए प्रेस कांफ्रेंस नहीं बुलाई है और ओडिशा के मुख्यमंत्री ने तो 16 वर्षों में एक भी संवाददाता सम्मेलन नहीं किया है। इससे साफ पता चलता है कि पत्रकार एवं पत्रकारिता में उनका विश्वास नहीं है और शायद पत्रकारों ने भी स्वयं को सम्मान के काबिल नहीं बनाए रखा है। इस बदलाव के लिए पत्रकार ही नहीं समाज भी जिम्मेदार है और व्यक्तिगत स्तर पर पत्रकारिता ध्वस्त हो गई है। ज्यादातर पत्रकारों की स्थिति तो यह है कि वे शीशे में देखकर सच भी नहीं बोल सकते हैं।

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उन्होंने पत्रकारिता में विदेशी निवेश का जिक्र करते हुए कहा कि पहले जो देश की माटी का नाम लेकर विदेशी निवेश का विरोध करते थे, आज वे विदेशी निवेश के साथ बैठे हैं। बाजार आज पत्रकारिता की दिशा तय कर रहा है, बहुराष्ट्रीय कंपनियां विज्ञापनों के जरिए लोगों को अपने हिसाब से चला रही हैं। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेश में उन लोगों के बीच बैठकर देश की बात करते हैं, जो देश और देशवासियों को गंदा कर यहां से चले गए हैं। हम उनसे ताली बजवाकर क्या साबित करना चाहते हैं? ताज्जुब तो तब होता है जब पूरा मीडिया यही दिखाता है।

समारोह में ‘राजस्थान पत्रिका’ के डिप्टी एडिटर भुवनेश जैन ने पत्रिका समूह की विकास यात्रा की जानकारी देते हुए बताया कि 1956 में सांध्यकालीन दैनिक के रूप में शुरू हुआ ‘राजस्थान पत्रिका’ अब पत्रिका ग्रुप के रूप में दुनिया में शीर्ष श्रेणी में पहुंच गया है। विश्वस्तरीय संस्था वेन की हालिया रिपोर्ट में राजस्थान पत्रिका दुनिया में आठवें नंबर का अखबार है और देश में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने बताया कि ‘राजस्थान पत्रिका’ के डिजिटल रूप की अच्छी शुरूआत हुई है और ‘पत्रिका मोबाइल ऐप’ को भी जबरदस्त समर्थन मिला है। इसके अलावा जल्दी ही सैटेलाइट टीवी चैनल भी आ रहा है। उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद पत्रिका के लिए साख और विश्वसनीयता बनाए रखना ही सर्वोपरि होगा।

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