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क्या सीएम आवास के सामने धरना रोकने के लिए कुछ पत्रकार जोर लगा रहे थे?

लखनऊ : बनारस में पत्रकारों पर हुए हमले ने लखनऊ के पत्रकारों के अन्दर वो जोश पैदा कर दिया जो लंबे समय से गायब था। कल सुबह यू.पी. के प्रमुख सचिव गृह द्वारा बनाये गए ग्रुप पर 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने लिखकर डाला कि ”बस बहुत हो गया अत्याचार, चलिये सीधे एक बजे सीएम के घर के बाहर जमीन पर बैठते है, या तो इंसाफ मिलेगा या लाठी!” यह एक बड़े बदलाव की बात थी, क्योंकि लखनऊ की मीडिया का जोश अपने स्वार्थोंं के चलते गायब हो जाता है।

लखनऊ : बनारस में पत्रकारों पर हुए हमले ने लखनऊ के पत्रकारों के अन्दर वो जोश पैदा कर दिया जो लंबे समय से गायब था। कल सुबह यू.पी. के प्रमुख सचिव गृह द्वारा बनाये गए ग्रुप पर 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने लिखकर डाला कि ”बस बहुत हो गया अत्याचार, चलिये सीधे एक बजे सीएम के घर के बाहर जमीन पर बैठते है, या तो इंसाफ मिलेगा या लाठी!” यह एक बड़े बदलाव की बात थी, क्योंकि लखनऊ की मीडिया का जोश अपने स्वार्थोंं के चलते गायब हो जाता है।

संजय शर्मा के सीधे सीएम आवास पर धरना देने की खबर ने हड़कंप मचा दिया। मगर यहां भी पत्रकार नेताओं ने अपना नाकारापन दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। यह लोग ग्रुप पर लिखने लगे कि इस तरह सीधे आंदोलन करने का कोई मतलब नहीं है। पहले मीटिंग होना चाहिए फिर सरकार को समय देना चाहिए, मगर उससे पहले संजय शर्मा ने ग्रुप पर डाल दिया था कि आंदोलन रोकने के लिये कुछ पत्रकार जोर लगायेंगे।

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मजे की बात यह रही कि जिस राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के संजय शर्मा उपाध्यक्ष हैं, उसी कमेटी के अध्यक्ष प्रांशु मिश्रा इस धरने को विफल करने के लिये लिखने लगे, मगर संजय शर्मा ने उनसे ही ग्रुप पर पूछ लिया कि कानपुर के साथी विजय कुशवाहा की मौत को दो महीने हो गये, आखिर उनके परिवार को बीस लाख क्यों नहीं दिये गये और पत्रकार नेताओं ने क्या किया?

पत्रकारों के इस विवाद के चलते लग रहा था कि यह आंदोलन सफल नहीं होगा। सभी मान रहे थे कि दो घंटे की काल पर पत्रकार एकजुट नहीं होंगे, मगर एक बजते ही जिस तरह सीएम आवास पर दर्जनों पत्रकार इकट्ठा होने शुरू हो गये तो सरकार में खलबली मच गई।

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पत्रकारों के पहुंचने से पहले ही सीएम निवास जाने वाली सड़क बन्द कर दी गयी और भारी पुलिस बल के साथ फायर ब्रिगेड बुला दी गयी। मौके पर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा पहुंचे। उन्होंने बताया कि सीएम गोरखपुर गए हुए हैं। डिप्टी सीएम हरदोई गये हैं। वहां से लौटकर वह दिल्ली जायेंगे। आप लोगों को एयरपोर्ट पर बुलाया है, मगर पत्रकारों ने साफ कह दिया कि जिसे बात करना है यहीं आकर करे, हम नहीं जायेंगे। पत्रकारों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देने से मना कर दिया।

पत्रकारों के तेवर देखते हुए प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी ने गोरखपुर से बात की और कहा कि सीएम गोरखपुर हैं, लखनऊ आते है तो पत्रकारों का ज्ञापन उन्हें सौंपा जायेगा। उन्होंने सूचना निदेशक को धरना स्थल पर भेजा जिन्हें पत्रकारों ने ज्ञापन दिया। धरना देने वाले पत्रकारों में प्रभात त्रिपाठी, राजेश, आकाश, अभिताभ, बी.डी. शुक्ला, मनीष पाण्डेय, शेखर सिंह, शशीनाथ दुबे, अब्दुल हन्नान, विनय, रमेश, राजेश सिंह, अंकित श्रीवास्तव, दिलीप सिंह, तुषार श्रीवास्तव, विक्रम मिश्र, दिवाकर त्रिपाठी, जुबेर, अनूप गुप्ता, जितेन्द्र सिंह, आदित्य तिवारी, कामरान, अब्दुल वाहिद, राजेन्द्र प्रसाद, सूरज कुमार, विक्रम, आर.के.पाल, मयंक पाण्डेय, अंकित साहनी, तनवीर अहमद, हरेन्द्र चौधरी, अभिषेक मिश्रा, मनीष श्रीवास्तव, सुमित शुक्ला, परवेज, नितिन चौधरी, सुमित कुमार, देवेन्द्र पाल सिंह, रोहित मिश्रा, मुदित गुप्ता, भावना, पंकज, रजा अब्बास, गौरव श्रीवास्तव, अनिल यादव, देवराज सिंह, सुमरेश पति त्रिपाठी, सुधांशु सक्सेना, आशुतोष त्रिपाठी, अभ्युदमय अवस्थी, दीपक श्रीवास्तव आदि थे।

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0 Comments

  1. harish

    September 25, 2017 at 1:59 pm

    संजय शर्मा और उनकी टीम को इसके लिए बधाई। क्योंकि पत्रकार को एकत्रित करना सबसे मुश्किल काम है। क्योंकि सब बुद्धिमान है और एकत्रित नहीं हो सकते हैं।

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