Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

‘प्रताप’ की धरोहर को राष्ट्रीय स्मारक करार दे सरकार

कानपुर। राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर कानपुर प्रेस क्लब में राष्ट्रीय पत्रकारिता पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिवक्ता और वरिष्ठ पत्रकार कैलाशनाथ त्रिपाठी ने कहा कि आज पत्रकारिता में असहमति की हत्या हो रही है। ये केरल में दक्षिणपंथी पत्रकार और कर्णाटक में वामपंथी पत्रकार की हत्याओं से साफ़ जाहिर है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आज की पत्रकारिता में असहमति के लिए जगह कम पड़ रही है, यह विचारणीय पक्ष है जहाँ पर हम में से हर एक पत्रकार को गौर करने की जरुरत है। गणेश शंकर विद्यार्थी और प्रताप की पत्रकारिता असहमति की पत्रकारिता है।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>कानपुर। राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर कानपुर प्रेस क्लब में राष्ट्रीय पत्रकारिता पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिवक्ता और वरिष्ठ पत्रकार कैलाशनाथ त्रिपाठी ने कहा कि आज पत्रकारिता में असहमति की हत्या हो रही है। ये केरल में दक्षिणपंथी पत्रकार और कर्णाटक में वामपंथी पत्रकार की हत्याओं से साफ़ जाहिर है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आज की पत्रकारिता में असहमति के लिए जगह कम पड़ रही है, यह विचारणीय पक्ष है जहाँ पर हम में से हर एक पत्रकार को गौर करने की जरुरत है। गणेश शंकर विद्यार्थी और प्रताप की पत्रकारिता असहमति की पत्रकारिता है।</p>

कानपुर। राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर कानपुर प्रेस क्लब में राष्ट्रीय पत्रकारिता पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिवक्ता और वरिष्ठ पत्रकार कैलाशनाथ त्रिपाठी ने कहा कि आज पत्रकारिता में असहमति की हत्या हो रही है। ये केरल में दक्षिणपंथी पत्रकार और कर्णाटक में वामपंथी पत्रकार की हत्याओं से साफ़ जाहिर है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आज की पत्रकारिता में असहमति के लिए जगह कम पड़ रही है, यह विचारणीय पक्ष है जहाँ पर हम में से हर एक पत्रकार को गौर करने की जरुरत है। गणेश शंकर विद्यार्थी और प्रताप की पत्रकारिता असहमति की पत्रकारिता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रताप शताब्दी समारोह के समन्वयक सुधांशु त्रिपाठी ने आयोजन श्रंखला में अब तक किये गए कार्यों का संक्षिप्त प्रगति का ब्यौरा प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि प्रताप शताब्दी समारोह की श्रंखला हमने 9 नवम्बर 2012 को शुरू की गई। इस परंपरा के तहत हमने गणेश शंकर विद्यार्थी और प्रताप अख़बार के माध्यम से पत्रकारिता मूल्यों पर गहन चिंतन मनन शुरू किया। इसी श्रंखला में प्रताप अख़बार की जन्म शताब्दी के दिन शुरू हुई यह परंपरा के पांचवे वर्ष तक पहुंची है, इसी कड़ी में हमने विद्यालयों के छात्रों के बीच जाकर संवाद के लिए विद्यालयों में कार्यशालाएं आयोजित की गयीं। इसी श्रंखला में प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में शहीद पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की तस्वीर भी स्थापित की गई। इस आयोजन का पूरा श्रेय कानपुर प्रेस क्लब, शहर के युवा पत्रकारों और कार्यकारिणी को जाता है।  इसी के अंतर्गत गणेश शंकर विद्यार्थी पर एक शोध ग्रन्थ प्रस्तुत किया गया जिसमे गणेश शंकर विद्यार्थी और प्रताप के माध्यम से आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाली पत्रकारिता का अनुपम चित्र प्रस्तुत है। कार्यक्रम में अतहर नईम ने पत्रकारों की हत्या पर निराशा व्यक्त की। वरिष्ठ समाजसेवी ने पत्रकारों से इन विषम परिस्थितियों में अवाम की दशा और दिशा देने का आह्वान किया। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व अध्यापक और गाँधीवादी जगदम्बा भाई ने भारतीय पत्रकारिता के वर्तमान सन्दर्भों में निर्भयता और निष्पक्षता को प्रमुखता से जरुरी बताया। निर्भयता और निष्पक्षता वह सामाजिक सम्पदा है जिससे पत्रकारिता मुखर होती है, सार्वजानिक होती है। आज की व्यावहारिक पत्रकारिता में हमारे पत्रकारों को साहसिक और गंभीर होकर मनन करने की जरुरत है। जब गाँधी ने चंपारण सत्याग्रह किया तो कोई पत्रकार उनको छापने को तैयार न था, लेकिन गणेश शंकर विद्यार्थी ने वह साहस दिखाया। सरकार के खिलाफ गाँधी के सत्याग्रह को छापने का काम बड़े साहस का काम था। गिरफ़्तारी हुई, जेल गए, जब्ती हुई। लेकिन उन्होंने सत्य और साहस का साथ न छोड़ा।उन्होंने बताया कि देश की आज़ादी के लिए भारतेंदु हरिश्चंद्र के ब्राह्मण और हजारी प्रसाद द्विवेदी की सरस्वती पत्रिका और गणेश शंकर विद्यार्थी के अख़बार प्रताप ने समाज में निर्भयता और निष्पक्षता पैदा की। लेकिन आज पत्रकारों के बीच उस भावना का आभाव बढ़ रहा है। पत्रकारों में आध्यात्मिकता का अभाव है, जिसके चलते पत्रकरिता भ्रामक और खतरनाक हालत बना रही है। उन्होंने प्रलोभन से बच कर निर्भय निर्भय निष्पक्षता का उद्घोष करके करके पत्रकारों को देश के लिए आगे बढ़ने का आह्वान किया।  कार्यक्रम के अध्यक्षता पद्म श्री गिरिराज किशोर ने मुखर पत्रकार चंचल कुमार की गिरफ़्तारी का जिक्र करते हुए अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने बताया कि आज कई सन्दर्भों में पत्रकारों के सामने चुनौतियाँ हैं, हमारे अख़बारों में कॉर्पोरेट की दखल बढ़ रही है। इसलिए अपने लिखे का रिकॉर्ड रखने की जरुरत है, ताकि आने वाले समय में कानून से दमन शोषण न हो सके। आज अख़बार कहते हैं कि हमे राजनीतिक लेख नहीं चाहिए। अपने बारे में लिखिए। साहित्यकारों की समालोचना का भी ख़त्म हो रही है। उन्होंने बताया कि सरकार पत्रकारिता पर बेहिसाब खर्च भी कर रही है। सरकार ने ग्यारह लाख करोड़ मीडिया को दिया है। इन्ही प्रलोभनों में देश की पत्रकारिता का चरित्र डगमगा रहा है, पत्रकारों और पत्रकारिता की दुर्गति सामने है। हिंदुस्तान अख़बार बिक गया क्योंकि उसमे पत्रकारिता धराशायी हो गई। ओम थानवी के समय तक जनसत्ता सरकारी समालोचना में मुखर रहा लेकिन उसके बाद उसके भी तेवर बदले हैं। आज़ादी की लड़ाई का समय पत्रकारों के इसी संघर्ष का गवाह रहा। उस दौर की पत्रकारिता ने पत्रकारों के लिए और अख़बारों के लिए सम्मान अर्जित किया। तब अंग्रेज अधिकारीयों और ब्रिटिश सांसदों तक को इन्तेजार रहता था कि कानपुर के अख़बारों में आज क्या लिखा गया। लेकिन जब आज कोई विदेशी कभी पूछता है कि उनकी प्रेस कहाँ गयी तो समझ नहीं आता कि क्या जवाब दिया जाए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज की पत्रकारिता अपनी बदहाली से कैसे उबरे इस विषयक टिपण्णी करते हुए वयोवृद्ध विष्णु चतुर्वेदी ने अपने विचार व्यक्त किया। आकाशवाणी के वरिष्ठ पत्रकार रहे श्री चतुर्वेदी ने बताया कि प्रताप आखबार के मकसद से सबक लेना होगा। इसलिए जरुरी है कि पत्रकारिता को किसी दल के साथ टैग न किया जाए। जे.पी और लोहिया के समय सरकार असहमतियों को लेकर उदार थी, लेकिन हमें इमरजेंसी भी देखने को मिली। यही वजह है कि पत्रकारिता को विरोधी होकर निष्पक्ष रहने की जरुरत है। वयोवृद्ध पत्रकार ने चेताया कि मूल्यों के लिए पत्रकारों को प्रलोभन से मुक्त रहना होगा। उन्हें खुद से सीखना होगा और दुनिया के साथ कदमताल करना होगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कार्यक्रम में प्रताप शताब्दी समारोह समिति के सचिव भारतेंदु पुरी ने सरकार के सामने पिछली मांगे दोहराया कि सरकार प्रताप और शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की पत्रकारिता को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करे। ताकि देश की पत्रकारिता में कानपुर का योगदान सुनिश्चित हो सके। कार्यक्रम का संचालन रामकिशोर बाजपेई ने किया, जिन्हें वरिष्ठ पत्रकार विष्णु चतुर्वेदी ने आचार्य की उपाधि दी। अन्य वक्ताओं में राकेश मिश्र, कुलदीप सक्सेना, सत्य प्रकाश त्रिपाठी समेत तमाम लोग मौजूद रहे जिन्होंने कार्यशाला को संबोधित किया और नवोदित पत्रकारों के विचारों को भी सराहा।

Rakesh Mishra
8896485949
सत्यमेव जयते
http://ganga-alliance.blogspot.in

Advertisement. Scroll to continue reading.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement