औघड़/अघोरी परंपरा के आराध्य-ईष्ट बाबा कीनाराम जी का विश्व-विख्यात जन्मोत्सव समारोह-2017 धूमधाम से संपन्न हुआ. देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं के साथ जाने-माने पत्रकार, न्यायाधीश, कलाकार, बुद्धिजीवीयों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. तीन दिन तक चले इस कार्यक्रम पर लगभग हर मीडिया हाऊस की नज़र थी. कार्यक्रम का समापन (वर्तमान में) अघोर-परंपरा के विश्व-विख्यात हेडक़्वार्टर “बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड” वाराणसी व् “बाबा कीनाराम अघोरपीठ” रामशाला, रामगढ़, चंदौली (दोनों) के पीठाधीश्वर व पूरी दुनिया में अघोर-परम्परा के मुखिया अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी के आशीर्वचन के साथ हुआ।
अपने आशीर्वचन में बाबा गौतम राम जी ने कहा कि “आज हमें अपने आदर्शों व् संस्कृति को बचाने की ज़रुरत है और यहां (पिछले 3 दिनों में ) जिन लोगों अपने विचार रखे , उन पर ग़ौर करने की आवश्यकता है”। समाज सेवा को ही मानवीय पक्ष बताते हुए बाबा ने कहा कि “मानव बनने की ज़रुरत है”। बाबा ने कहा कि “सिर्फ़ बोलने भर से कुछ नहीं होगा, आज कर्म-प्रधान होने की प्राथमिकता पर बल देना चाहिए”।
तीन दिन तक चले इस समारोह में जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम, देश के नामचीन कलाकारों से गुलज़ार रहा वहीं देश-दुनिया के कई विद्वानों ने “बाबा कीनाराम जी, अघोर-परम्परा व् समाजिक सरोकार” के तहत आयोजित गोष्ठी में हिस्सा लिया।
नोबेल-पुरस्कार के लिए नामांकित पूर्व आई.एफ.एस. (भारतीय विदेश सेवा) अधिकारी व् योजना-आयोग के पूर्व सदस्य तथा पूर्व वाइस चांसलर (घासी राम विश्व-विघालय, छत्तीसगढ़) डॉ.दीनानाथ तिवारी ने बताया कि “अघोर-परंपरा का उद्गम तो सृष्टि के प्रारम्भ से ही है और समाज के कल्याण के लिए ही ये परम्परा जानी जाती है। बाबा कीनाराम जी व् बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी के बताये रास्तों पर चलकर ही समाज का भला हो सकता है। “
विचार-गोष्ठी में अपने उद्गार रखते हुए “इलाहाबाद हाई कोर्ट” के पूर्व मुख्य-न्यायाधीश माननीय चौहान साहब ने कहा कि “बाबा कीनाराम जी व् बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी मानवीय-पक्ष के हमारे आदर्श हैं। हमें अघोर-परम्परा के अदभुत आध्यात्मिक पक्ष को जांनने अलावा इसका सामाजिक पक्ष भी जांनने का प्रयास करना चाहिए”।
गोष्ठी में अपनी बात रखते हुए “आरा जिला के जिला-न्यायधीश” माननीय रमेश कुमार ने बाबा कीनाराम जी व् बाबा सिद्धार्थ जी के आदर्शों से प्रेरणा लेने की ज़रुरत बताया और कहा कि “औघड़ परम दयालू होते हैं और मानवीय-पक्ष के उच्चतम आदर्शों के मापदंड होते हैं।”
अपने विचार रखते हुए विख्यात पत्रकार अरविन्द मोहन ने कहा कि “मैं इस विषय पर पहले ज़्यादा नहीं जानता था , लेकिन, यहां आकर काफ़ी कुछ समझने का अवसर मिला , जिसका विस्तार करने की मैं कोशिश करूंगा “।
गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए “प्रेस एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया” के अध्यक्ष जयशंकर गुप्ता ने कहा कि “आज हम सबको बाबा के विचारों को अपने अंदर अंगीकार करने की ज़रुरत है और यथासंभव अपना योगदान देना चाहिए “।
अघोर परंपरा और सामाजिक-राज़नीतिक ताने-बाने का ज़िक्र करते हुए “दैनिक जागरण “(दिल्ली) के डिप्टी ब्यूरो चीफ़ एस.पी.सिंह ने कहा कि “आज समाज में जिस तरह का राजनैतिक और सामाजिक ताना-बाना है , उसमें बाबा कीनाराम जी जैसे संतों का उल्लेख और सहयोग प्रासंगिक हो जाता है”।
“इंडिया वॉयस” टी.वी. चैनल के प्रधान-सम्पादक अनिरुद्ध सिंह ने कि “इस कार्यक्रम में आने से पहले , मैं, इस परंपरा से पूर्णतः अनभिज्ञ था पर आज महसूस किया कि अघोर-परम्परा की शानदार आध्यात्मिक और सामाजिक सरोकार को अनदेखा नहीं किया जा सकता”।
मध्य-प्रदेश के प्रसिद्द समाजसेवी व् लेखक मनोज ठक्कर ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “मैं तक़रीबन पिछले 10 सालों से इस परम्परा को समझने का प्रयास कर रहा हूँ और अब यही समझता हूँ कि ये अघोर की ये विरासत अनमोल है, दुर्लभ है, जिसे संजो के रखने की ज़रुरत है।”
कार्यक्रम के पहले दिन चर्चा करते हुए तेज़तर्रार पत्रकार विष्णुगुप्त ने सभ्यता संस्कृति को बचाने करते हुए, बाबा कीनाराम जी आदर्शों और उनकी मानवीय सेवा का उल्लेख किया।
“सम्पूर्ण परिवर्तन” अखबार के सम्पादक मुन्ना पाठक ने अघोर-परम्परा के अदभुत आध्यात्मिक और मानवीय पक्ष को जनसामान्य का एकमात्र सहारा क़रार देते हुए कहा कि “आज गाँव-शहरों के साथ-साथ महानगरों में भी, ,अघोर को , जनजागरण का हिस्सा बनाये जाने की ज़रुरत है “।
“APN News” के प्रबंध सम्पादक विनय राय ने कहा कि “अघोर-परम्परा का इतिहास शानदार रहा है और आज भी है ,जिसके सरल-सहज़ स्वरुप से (संचार-माध्यमों के ज़रिये) लोगों को अवगत कराने की ज़रुरत है “।
अपने तेज़तर्रार सम्बोधन में “पीपुल्स फर्स्ट” के सम्पादक नैमिष सिंह ने कहा कि “आज समाज को बाबा कीनाराम जी व् बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी के सिद्धांतों आदर्शों पर चलते हुए सामाजिक-राजनीतिक विसंगतियों को दूर ज़रुरत है”।
केंद्रीय हिंदी संस्थान (दिल्ली) के विभागाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शुक्ल ने अघोर-परम्परा पर शोध पर बल देते हुए कहा कि “हम अघोर-परम्परा के दुर्लभ-अदभुत-अविश्वसनीय आध्यात्मिक आभा से तो परिचित हैं पर समाजिक-निर्माण में इसके योगदान को भी याद रखें और इस परंपरा का यथासंभव विस्तार करें “। गोष्ठी में अन्य कई जाने-माने शोधकर्ताओं व नागरिकों ने भी अपने विचार रखे।
लाखों लोगों की मौज़ूदगी व संध्याकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत भारत के जाने-माने कलाकारों की उपस्थिति ने पुलिस-प्रशासन को बेहद चौकन्ना कर रखा था। आयोजन समिती के अरूण सिंह और अजित कुमार सिंह, की अगुवाई और वरिष्ठ अधिकारियों की लगातार विज़िट से स्वयं-सेवक तथा पुलिस-कर्मी काफ़ी मुस्तैद दिखे। हर जगह प्रशासन ने बेहतर तरीके से अपने काम को अंजाम दिया। कार्यक्रम का शानदार संचालन धनंजय सिंह, सूर्यनाथ सिंह और राजेन्द्र पाण्डेय ने किया। दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार नीरज वर्मा व् पूर्वांचल के वरिष्ठ पत्रकार संजय सिंह और आश्रम के वरिष्ठ सहयोगी धनंजय सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।
संबंधित वीडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें :