Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

‘मीडिया : महिला, जाति और जुगाड़’ के जरिए मीडिया को आइना दिखाने की कोशिश

लखनऊ। लेखक व पत्रकार संजय कुमार सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘मीडियाः महिला, जाति और जुगाड़’ का 12 मई को गोमती नगर, लखनऊ में विमाचन सह परिसंवाद कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि जनत्रंत तभी बचेगा जब चौथे स्तंभ का जनतांत्रीकरण होगा। यह सांस्कृतिक आंदोलन है। हमें वैकल्पिक मीडिया की ओर बढ़ना होगा। इस दिशा में अपने प्रयासों को तेज भी करना होगा।

लखनऊ। लेखक व पत्रकार संजय कुमार सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘मीडियाः महिला, जाति और जुगाड़’ का 12 मई को गोमती नगर, लखनऊ में विमाचन सह परिसंवाद कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि जनत्रंत तभी बचेगा जब चौथे स्तंभ का जनतांत्रीकरण होगा। यह सांस्कृतिक आंदोलन है। हमें वैकल्पिक मीडिया की ओर बढ़ना होगा। इस दिशा में अपने प्रयासों को तेज भी करना होगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जन संस्कृति मंच लखनऊ की ओर से हुए इस कार्यक्रम में कृति का लोकार्पण जसम के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर, कवयित्री कात्यायनी, पत्रकार अजय सिंह आदि ने किया। मौके पर संजय कुमार ने अपने अनुभवों के साथ ही कृति से जुड़े अहम पहलू पर अपनी बात रखी। इस दौरान उठे सवालों के जवाब भी दिए। संजय कुमार पटना दूरदर्शन में सहायक निदेशक (समाचार) हैं। पिछले दिनों उनकी चर्चित किताब ‘मीडिया में दलित ढूंढते रह जाओंगे’ आई थी, जिसका लोकार्पण और उस पर परिचर्चा का आयोजन लखनऊ में किया गया था। अब तक उनकी आधा दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें ‘तालों में ताले अलीगढ़ के ताले’, ‘पूरब का स्वीट्जरलैण्ड : नगालैण्ड’, ‘बिहार की पत्रकारिता : तब और अब’, ‘1857 जनक्रांति के बिहारी नायक’ प्रमुख हैं। अपनी नई किताब में वे मीडिया में पूंजी के बढ़ते वर्चस्व और उन कारकों की पड़ताल करते हैं, जिसकी वजह से मीडिया सच से दूर होता चला गया है और उसका ढांचा दलित व महिला विरोधी होता गया है।

बातचीत में संजय कुमार कहते हैं कि उनकी किताब का विषय ‘मीडिया : महिला, जाति और जुगाड़’ काफी बोल्ड है। मीडिया जगत में इतने लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने मीडिया को काफी नजदीक से देखा है। मीडिया की जो तस्वीर है, उसे इस किताब के माध्यम से आइना दिखाने की कोशिश की गई है। न सिर्फ सरकारी, बल्कि निजी मीडिया दोनों में महिलाओं को लेकर कई ऐसे तथ्य सामने आएं हैं, तो चौंकाने वाले हैं और मीडिया की हकीकत उजागर करते हैं। किताब में ऐसी ही कई मामलों को बतौर उदाहरण पेश करने के साथ ही एक महिला की आपबीती भी शामिल की है। महिलाओं के साथ यौन शोषण की बात हो या फिर जाति का मामला। जुगाड़ भी कई मायनों में मीडिया संस्थाओं के भीतर काफी देखने को मिला है। इन सबके चलते गैर-प्रतिभा वाले लोगों की मीडिया में भरमार हो गई है, जबकि प्रतिभावान लोग मीडिया में अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जसम के लखनउ अध्यक्ष कौशल किशोर ने कहा कि संजय ने मीडिया की संरचना कैसी है, इसकी पड़ताल करते हुए पुस्तक लिखी है। चौथे स्तंभ की जो भूमिका निगरानी करने की थी, वह स्वयं सवालों के घेरे में आ गई है। सिस्टम में रहते हुए जो अनुभव संजय ने बटोरे, उन्हें किताब के माध्यम से सबके सामने लाने की कोशिश उन्होंने की है। यह कोशिश करनी चाहिए कि इनके वैचारिक कारणों में जाएं। नवउदारवाद के बाद मीडिया में जो प्रभाव आया, उसे भी संकेतों के माध्यम से संजय ने रखने की कोशिश की है। आज के समय में मीडिया जीवन का हिस्सा बन गया है, जहां झूठ और धोखा परोसा जा रहा है।

दलित चिंतक अरुण खोटे ने कहा कि शैक्षिक संस्थानों ने बड़ी संख्या में दलित छात्र पास होते हैं, लेकिन मीडिया घरानों में उन्हें जगह नहीं मिल पाती है। थक-हार कर वे निजी कंपनियों में पब्लिक रिलेशन की नौकरी करते हैं। अंतर्निहित रिश्तों को भी पकड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरा मीडिया भ्रष्ट नहीं है। ऐसे में मीडिया की जवाबदेही तय करने की दिशा में भी प्रयास होना चाहिए। ताकि दलितों को भागीदारी मिले और इसके लिए जनआंदोलन से जुड़े लोगों को आगे आकर पहल करने की जरूरत है। श्री खोटे ने कहा कि मीडिया में दलित आ भी जाते हैं तो उनके साथ भेदभाव किया जाता है। श्री खोटे ने सवाल उठाया कि निजी मीडिया करपोरेट के कब्जे में है जो सामाजिक मुद्दों को बाजार का हवाला देकर प्रकाशित नहीं करती है। दलितों का बाजार में बहुत बड़ा सहयोग है। ऐसे में कम से कम 20 प्रतिशत वंचित वर्ग की खबरों को जगह दिए जाने की जवाबदेही तय होनी चाहिए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह ने कहा कि महिलाओं पर हिंसा और अत्याचार की घटनाएं हर साल बढ़ी है, जबकि महिलाओं को लेकर कई नए कानून भी बने हैं। महिलाओं को लेकर जब समाज की यह स्थिति है तो मीडिया इससे कैसे अछूता रह सकता है। महिलाओं का इस्तेमाल हो रहा है और वे उपेक्षित भी हैं।

कवि कात्यायनी ने कहा कि मीडिया पूंजीपतियों और सरकार के इशारे पर चल रही है। असली खबर पर झूठ हावी है, जो पत्रकारिता के अंदर के पतन को दर्शाता है। हालांकि कुछेक पत्रकार  फ्रेम में रहकर कुछ तो करते हैं, लेकिन यह बहुत छोटे स्तर पर हैं। उन्होंने कहा कि मुख्य धारा की मीडिया को चुनौती देने के लिए वैकल्पिक मीडिया की जरूरत है। हालांकि यह उनके  बराबर तो नहीं जाएगा लेकिन सवाल जरूर खड़ा करेगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कथाकार किरण सिंह ने कहा कि मीडिया जनसमस्याओं से मुंह मोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पुस्तक के तीन बिंदू महिला, जाति और जुगाड़ मौंजू विषय हैं जो मीडिया के अंदर की तस्वीर को बेनकाब करता दिखता हैं। अलग दुनिया के महासचिव के के वत्स ने कहा कि शोषण हर स्तर पर महिलाओं के साथ हो रहा है। जहां महिलाएं कमजोर हैं वहां यह ज्यादा हो रहा है। श्री वत्स ने कहा कि जुगाड़ शब्द ने देश के हर क्षेत्र को अपनी चपेट में ले रखा है।

कवि भगवान सिंह कटियार ने कहा कि संजय की किताब के बहाने मीडिया का फासीवादी चेहरा सामने आया है। उन्होंने कहा कि आज निजी मीडिया भी व्यवस्था का भोंपू बन गया है। वह कई सामाजिक घटनाओं को नजरअंदाज कर रहा है। रंगकर्मी मृदुला भारद्वाज ने कहा कि मीडिया में महिलाओं का इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने कहा कि किताब का विषय काफी मौंजू है और यह पूरे समाज में है। आज जो विषय उठा है उसपर चर्चा स्वाभाविक है। खासकर जाति का जो सवाल है वो काफी गंभीर है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

युवा सामाजिक कार्यकर्ता पूजा शुक्ला ने कहा कि समाज की मानसिकता सवालों के घेरे में है। सोशल मीडिया पर महिलाओं की ट्रोलिंग शुरू हो जाती है और उनपर भद्दे कमेंट किए जाते हैं। रिहाई मंच से जुड़े राजीव यादव ने कहा कि आज मीडिया चीजों को बदरंग  कर रही है। महिला का सवाल हो, जाति का सवाल हो या धर्म समुदाय का, एक रणनीति के तहत उनके खिलाफ चीजें परोसी जा रही हैं। उनसे कैसे निपटा जाए उसपर विमर्श की जरूरत है। इस अवसर पर राजेश कुमार, सुभाष राय, नसीम साकेती, भगवा, संदीप सिंह, आर के सिन्हा, प्रताप साहनी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जसम लखनऊ अध्यक्ष कौशल किशोर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन लखन के संयोजक श्याम अंकुरम ने किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement