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मध्य प्रदेश

सागर विश्विद्यालय ने प्रोफेसरों के एप्वाइंटमेंट-टर्मिनेशन को बनाया खेल, मीडिया ख़ामोश

एक तरफ जहां देश की सभी शिक्षण संस्थओं में शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को सम्मानित किया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के डॉ. सागर विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसरों में मायुसी छाई रही। उन्हें यह डर सता रहा है कि न जाने कब उन्हें गलत तरीकों से टर्मिनेट कर दिया जाए। विश्वविद्यालय में कार्यरत 22 प्रोफेसरों को गलत और मनमाने तरीके से विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा टर्मिनेट कर देने का मामला तूल पकड़ रहा है। परन्तु सागर जिले की मीडिया पूरी तरह मौन है।

<p>एक तरफ जहां देश की सभी शिक्षण संस्थओं में शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को सम्मानित किया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के डॉ. सागर विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसरों में मायुसी छाई रही। उन्हें यह डर सता रहा है कि न जाने कब उन्हें गलत तरीकों से टर्मिनेट कर दिया जाए। विश्वविद्यालय में कार्यरत 22 प्रोफेसरों को गलत और मनमाने तरीके से विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा टर्मिनेट कर देने का मामला तूल पकड़ रहा है। परन्तु सागर जिले की मीडिया पूरी तरह मौन है।</p>

एक तरफ जहां देश की सभी शिक्षण संस्थओं में शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को सम्मानित किया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के डॉ. सागर विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसरों में मायुसी छाई रही। उन्हें यह डर सता रहा है कि न जाने कब उन्हें गलत तरीकों से टर्मिनेट कर दिया जाए। विश्वविद्यालय में कार्यरत 22 प्रोफेसरों को गलत और मनमाने तरीके से विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा टर्मिनेट कर देने का मामला तूल पकड़ रहा है। परन्तु सागर जिले की मीडिया पूरी तरह मौन है।

मीडिया को समाज का आईना कहा जाता है लेकिन अगर मीडिया भी पल्ला झड़ ले तो फिर लोग किसके पास जाएंगे। 1946 में बने विश्वविद्यालय को वर्ष 2009 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था। तब से लेकर 2013 तक लगातार शिक्षकों को एडहॉक पर रखा जाता रहा। परन्तु 2013 में  विश्वविद्यलय के तात्कालिक कुलपति प्रोफेसर एनएस गजेरिया ने परमानेंट फैकल्टी की नियक्ति के लिए दिल्ली में एक साक्षत्कार रखा। इसमें विभिन्न जगहों से अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए आए।

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कुल 180 उम्मीदवारों को चयनित किया गया। जिनमें दिल्ली विश्वविद्यलय, आईआईटी, जेएनयू, बीएचयू व विदेशी विश्वविद्यालय से शिक्षण प्राप्त व अनुभवी शिक्षको शामिल थे। परन्तु ये सागर के स्थानीय प्रोफेसरों के लिए गले की फंस बन गया। क्योंकि जो पहले एडहॉक पर कार्य कर मोटा वेतन ले रहे थे, वे सभी साक्षत्कार में असफल रहे। फिर स्थानीय लोगों के साथ मिलकर बाहरी प्रोफेसरों को सागर छोड़ने की धमकी देने लगे। कइयों के साथ मारपीट तक की नौबत भी आ गई। मामला पुलिस से लेकर अदालत तक गया परन्तु स्थानीय फैकल्टी अपनी दादागिरी पर डटी रही। मार्च 2014 में कुलपति प्रोफेसर गजेरिया रिटायर हो गए।

अब देश में लोकसभा चुनाव होने थे आचार संहिता को देखते हुए सरकार ने एक्टिंग वीसी के रूप में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रो. आरएस कसाना को नियुक्त किया। प्रो. कसाना ने अपनी मनमानी करते हुए पहले शिक्षणेत्तर कर्मचरियों को निकाल दिया। इसके बाद वीसी और रजिट्रार ने मिलकर चयनित प्रोफेसरों को गलत तरीके से निकलना शुरू किया। एक्टिंग वीसी को किसी को भी टर्मिनेट करने की शक्ति नहीं होती। एक्ज़ीक्यूटिव कौंसिल मीटिंग करके ही यह फैसला ले सकती है।

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प्रोफेसरों ने इसका विरोध किया परन्तु किसी भी रजनीति पार्टी ने इसमें हाथ डालना नहीं चाहा। सभी 22 निकले गए प्रोफेसरों ने दिल्ली में मानव ससाधन मंत्री स्मृति ईरानी को मामले से अवगत कराया। मंत्रालय ने विश्वविद्यालय प्रसाशन को निकाले गए सभी 22 प्रोफेसरों को वापस रखने को कहा। विश्वविद्यालय प्रसाशन ने उन्हें 25 अगस्त को वापस रख लिया। परन्तु वापस इसका विरोध होना शुरू हो गया। इसके समर्थन में कई राजनीति दलों के नेता भी उतर आए। 29 अगस्त को दुबारा उन्हें निकाल दिया गया।

परन्तु इस घटना में स्थानीय मीडिया ने विश्वविद्यलय की ही सुनी, किसी ने भी टर्मिनेट किए गए प्रोफेसरों की सुध लेना उचित नहीं समझा। मामला अब सीबीआई को दिया गया है। परन्तु ख़बर है कि चल रही जाँच के दौरान ही प्रशासन अन्य बचे प्रोफेसरों को भी टर्मिनेट करने की पुरजोर कोशिश में है।

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भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।

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0 Comments

  1. Harnaam

    September 5, 2014 at 7:59 pm

    Superb..and courageous journalism by bhadaas…bhadaas is the real platform to prevent yellow journalism.

  2. Deepak Gupta

    September 6, 2014 at 4:25 am

    Nice attempt…these kind of articles show that media is not sold out completely. There are few who have guts to say the truth and can challenge the hijacked media opinions…keep it up… big kudos for reporter. 🙄

  3. Jai

    September 6, 2014 at 4:35 am

    Grt…. finally, some media doing rit things….

  4. Karmyogi

    September 6, 2014 at 7:07 am

    Since last a year or two perception about media have changed. Media generally shows those thing by which it can get financial benefit . Salute to Bhadas4media, whoever has written this had gone through root of truth.

  5. Baby

    September 6, 2014 at 9:03 am

    Great job Bhadas media for your initiative. Media is supposed to bring out the truth lying underneath the lies and craftiness created by the morally corrupted groups or people and by by publishing this news you have attempted to do exactly that. Keep the good work going..

  6. Harish

    September 14, 2014 at 8:38 pm

    This article is also one sided
    The article should also contains regarding total vacancies approved & total recruitment made by Ex- VC & also the no. of charges made against him for which he is not attending the hearing at CBI Jabalpur.

    Its an highly sensitive matter for each one of us, as livelihood & career both are dependent on the issue.
    But we should also not forget the decisions made by Ex-VC on the grade-3 employees.

    The actions is been taken against only for few non-eligible candidates & hope this scam should come up with fully exposed picture of EX-VC & his personally recruitment.
    With relaxation to eligible & qualified Assist Prof’s

  7. Hari Singh

    September 16, 2014 at 12:18 pm

    What is this ?
    We respect new Professor. They are good and talented. The process of selecting them is wrong. Adhoc professor’s are against to that. They are fighting against corruption not for their job. They are talented that’s why most of them have got very good job already.
    But no one can stop their voice against corruption.

    You are also media person then you should also write both side story.

  8. deepak bagri

    September 11, 2015 at 6:11 am

    सागर के मीडिया के बारे में यह लेख एक दम सही है खास कर सागर विश्वविद्यालय की ख़बरों जिसमें केवल एक तरफ की खबर रहती है वे ख़बरें पिछले कई वर्षो से चल रही है |सागर के मिडिया कर्मियों को मीडिया की एथिक ही नहीं पता है ही संतुलित खबर क्या होती है |यही सबसे बड़ा दुर्भाग्य है |
    पंडित वाद से आगें यहाँ का मीडिया नहीं बढ़ प् रहा है |

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