बीते दिनों सहारा के लखनऊ स्थित मुख्यालय पर केंद्र सरकार की एक एजेंसी ने छापा मारा था. इस एजेंसी का नाम है सीरियस फ्राड इनवेस्टिगेशन आफिस (एसएफआईओ). ये जांच एजेंसी कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के अधीन काम करती है. इस मंत्रालय को सेंट्रल रजिस्ट्रार ने एक पत्र लिखा था, 18 अगस्त को. इसमें उन्होंने एसएफआईओ से सहारा समूह की जांच कराने के लिए अनुरोध किया था. इनका कहना था कि सहारा समूह ने कई समितियों के जरिए जो हजारों करोड़ रुपये जमाकर्ताओं से लिए, उनका निवेश एंबी वैली प्रोजेक्ट में किया जा रहा है जो अवैध है.
सरकार के निशाने पर सहारा! इंडियन एक्सप्रेस में छप रहीं अंदरखाने की खबरें
सहारा समूह पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इंडियन एक्सप्रेस अखबार में इस समूह की गड़बड़ियों को लेकर सिलसिलेवार खबरें छप रही हैं. बताया जा रहा है कि चार करोड़ लोगों द्वारा जमा 86673 करोड़ रुपये जांच के दायरे में आ गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खुश्बू नारायण की रिपोर्ट में बताया गया है कि सहारा समूह ने 2012 और 2014 के बीच तीन कोआपरेटिव सोसाइटीज को लांच कर चार करोड़ जमाकर्ताओं से 86673 करोड़ रुपये जमा किए. ये वही वक्त है जब सुब्रत राय अरेस्ट हुए थे और सहारा की दो कंपनियां दोषी ठहराई गई थीं. सरकार ने उस दौर में बनाई गई कोआपरेटिव सोसाइटीज के कामकाज पर उंगली उठाई है.
जमाकर्ताओं के हजारों करोड़ रुपये को महाराष्ट्र के लोनावाला में एंबी वैली प्रोजेक्ट में डाल दिया गया. ये वही प्रोजेक्ट है जिस पर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. इस प्रोजेक्ट की नीलामी की कई बार कोशिश की गई था ताकि जमाकर्ताओं के पैसे वापस दिए जा सके लेकिन ये प्रोजेक्ट नीलाम होने से बच गया जिसके बाद उसे पिछले साल 2019 में रिलीज कर दिया गया. बाद में इसी एंबी वैली प्रोजेक्ट में सहारा ने जमाकर्ताओं के पैसे का निवेश किया.
केंद्र सरकार की एजेंसीज ने जिन चार समितियों की जांच करने का फैसला किया है उनके नाम हैं-
- सहारा क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड
- हमारा इंडिया क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड
- सहारयन यूनिवर्सल मल्टीपरपज सोसायटी लिमिटेड
- स्टार्स मल्टीपरपज कोआपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड
सहकारी समितियों के केंद्रीय पंजीयक विवेक अग्रवाल ने कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय को 18 अगस्त को पत्र लिखकर सीरियस फ्राड इनवेस्टिगेशन आफिस (एसएफआईओ) द्वारा सहारा समूह की जांच के लिए पत्र भेजा.
इसी पत्र के मिलने के बाद एसएफआईओ की टीम ने लखनऊ में सहारा मुख्यालय पर छापा मारकर तमाम कागजात की गहराई से जांच पड़ताल की.
इन सारी खबरों से सहारा के जमाकर्ताओं में बेचैनी है. पहले से ही बहुत सारे जमाकर्ता परेशान हैं. उनके पैसे को बार बार रीइनवेस्ट किया जा रहा है, इन सोसाइटीज में. अब इन सोसाइटीज के भी जांच के दायरे में आने से जमाकर्ता खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. वे सहारा समूह के प्रति गुस्से से भरे हुए हैं. जमाकर्ताओं के इस गुस्से को शांत करने के लिए सहारा की तरफ से एक संदेश अपने सभी एजेंटों को भेजा गया है जिसकी एक प्रति भड़ास के पास भी है. देखें-
सहारा समूह का पक्ष पढ़ें-
सहारा समूह ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को लीगल नोटिस भेजा
मूल खबर-
Nishi Chaurasia
May 10, 2021 at 5:38 pm
sahara india ki charon cooprative societies ke sabhi karykart, karmchari adhikarion ke pariwaron ki bhi kurki ho .