नोएडा : विश्व में ऐसी कोई हड़ताल नहीं हुई होगी, जो अनंत काल तक चली हो। हड़ताल शुरू होती है तो खत्म भी होती है और खत्म होने पर सवाल होने या यूं कहें कि क्या खोया, क्या पाया रूपी समीक्षा होती है । सहारा इंडिया के मीडिया ग्रुप में हड़ताल हुई, चार पांच दिनों तक चली और अपने अभिभावक सहाराश्री (जो अब दगाश्री) के नाम से जाने जा रहे हैं, के एक संदेश पर उनके प्यारे प्यारे कर्तव्य योगियों ने कार्य बहिष्कार समाप्त कर दिया । जो लोग हड़ताल तुड़वने में व्यस्त रहे, उन्हें तो सेलरी नहीं भेजी। उनको तो सही दंड मिला। जो निचले स्तर के कर्मचारी थे उन्हे आधा दे भी दिया।
अब जैसा कि ऊपर कहा गया है कि हड़ताल तो खत्म होती ही है, यह भी खत्म हुई । ज्यादातर हड़तालें आश्वासन पर ही खत्म हुई हैं । हड़तालियों कीई एकता को देखते हुए प्रबंधन मांगें मानता है । कहीं कम मांगें मानी जाती हैं तो कहीं ज्यादा । सहारा के कर्मचारियों की तो एक ही मांग थी ” वेतन दो ” कार्य बहिष्कार न तो मजीठिया के लिए था और न ही वेतन वृद्धि के लिए। वे तो काम का दाम मांग रहे थे। सहाराश्री क्या गलत कर रहे थे ? कोई भी व्यक्ति मकान बनवायेगा, मजदूरी नहीं देगा या काम लेता जाएगा, आधा पैसा देता जाए, आखिर कब तक ।
गौरतलब है कि सुब्रतो राय के उस संदेश पर जैसा कि लोग अंत में सहमत हुए थे कि एक बार वे आश्वासन दे दें क्योंकि जेल से आश्वासन ही दे सकते थे तो हम काम वापस आ जाएंगे । उन्होंने आश्वासन दिया जल्द से जल्द वेतन आने का । आश्वासन के दो दिन बाद ही वेतन आ गया लेकिन पहले की तरह आधा । तो क्या आधे के लिए कार्य बहिष्कार हुआ था। आधे के लिए आश्वासन दिया था ।
हे परम आदरणीय सहारा आधे पर कब तक गुजारा करें । एक संदेश अपने प्यारे प्यारे कर्तव्ययोगी साथियों के मकान मालिक को उनके बनिया को , स्कूल वाले को , दूध वाले को और कर्ज देने को भी भिजवा दीजिए कि जब तक आप जेल में हैं, वो आधा ही लेता रहे । हमें विश्वास है कि सभी कर्मचारी आधे पर ही काम करते रहेंगे।
बताते चलें कि कुछ अधीर साथी अब भी यही सवाल करते हैं कि पूरा वेतन कब से मिलेगा तो उनका टका सा जवाब रहता है कि संस्था के पास पैसे नहीं हैं, आप नौकरी मत करिये । नौकरी छोडने वालों का हिसाब भी नहीं किया । यानी संदेश साफ है कि जिसको मुफ्त में काम करना है तो करे वरना मरे । हम तो ऐसे ही संदेश देते रहेंगे, सब्जबाग दिखाते रहेंगे क्योंकि यही तो हमारा काम है । सच ही तो है सहारा के एजेंट/प्रमोटर पैसा जमा करने वाले को , लगाने वाले को सब्जबाग ही दिखाता है हम भी आखिर हमारी नियति जो है ।
एक सहारा कर्मी से प्राप्त पत्र पर आधारित
Kapil
July 19, 2015 at 6:14 am
सहारा समय का एक और पाप –
इन हरामखोरोें ने मजबूरी में में चैनल छोड़ने वालों का अब तक हिसाब नहीं किया है . 6 महीने हो गए. एक तो नोटिस के पैसे काटे जो कि कानूनी तौर पर गलत है. अगर आप कई महीनें सैलरी नहीं देंगे तो कहीं और काम मिलने पर जाएगा ही. कोई बंधुआ मजदूर थोड़े ना है कि पैसे मत तो तब भी घरवालों से भीख मंगवाकर तुम्हारे यहां काम करेंगे. ऐसे में कोई नोटिस पीरियड का पैसा कैसे वसूल सकता है. ऊपर से अब तक बकाए पैसे नहीं दिए सहारा चैनल ने. हद तो ये PF का पैसा भी नहीं मिला और ना ही नंबर देते हैं. ED को इसकी जांच भी करनी चाहिए कि इन चिट फंडियों ने कर्मचारियों के प्रोविडेन्ट फंड का क्या किया ? हमारी सैलरी से तो ये पैसे कटते रहे लेकिन लगता है सरकारी खाते में नहीं जमा हुआ. क्या ये अपराध नहीं सहारा राय ?
dronacharya
July 20, 2015 at 12:53 pm
sahara mai dagashri ek nahi kai hai… dharna hua par kai daga de gaye .. ab dehradun unit ki hi baat le lo amarnaath, bhupendra kandari or dd sharma or unke chele-chapate. ye sab bin-pyade ke lote hain.
pankaj
July 22, 2015 at 5:53 pm
सहारा मे बस चमचागिरी करते रहो और तरक्की पाते रहो।