सहाराकर्मी इस ढकोसले का विरोध करें : सहारा का नाम सामने आते ही संस्था के चेयरमैन सुब्रत राय का चेहरा सामने आने लगता है। यह वह शख्स है जिसने जनता, बॉलीवुड, विधायिका, कार्यपालिका, मीडिया सबको छकाया और अब न्यायपालिका का बेवकूफ बनाने चला था कि आ गया गिरफ्त में। लंबे समय तक जेल में रहने के बाद अपनी मां के निधन पर पैरोल पर बाहर आया हुआ है। जनता से ठगे पैसे वसूलने के लिए सुप्रीम कोर्ट थोड़ी बहुत राहत भी दे रहा है। अगले माह फिर से 600 करोड़ रुपए देने हैं नहीं तो फिर से जेल जाना पड़ेगा। इतना सब कुछ होने पर यह शख्स अपनी ऐबदारी से बाज नहीं आया। जिन कर्मचारियों ने इसकी तानाशाही का विरोध कर अपना हक मांगा, उन्हें या तो नौकरी से निकाल दिया या फिर हतोत्साहित करने के लिए कहीं-दूर स्थानांतरण करवा दिया।
आजकल राष्ट्रीय सहारा में एक विज्ञापन आ रहा है कि सहारा न्यूज नेटवर्क की ओर से 18 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ‘थिंक विद मी समिट-आदर्श बने देश, महान बने भारत’ कार्यक्रम होने जा रहा है। सुना है कि इसी दिन संस्था के चेयरमैन सुब्रत राय भी नोएडा परिसर में किसी पुस्तक का विमोचन करने जा रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जिस संस्था में अपने कर्मचारियों का जमकर शोषण और उत्पीड़न किया जा रहा हो। लंबे समय से कर्मचारियों प्रमोशन न हुआ हो। 10-16 महीने का वेतन बकाया है। काफी साथियों को वेतन देना बंद कर दिया हो। हक मांग रहे 22 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया हो। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रिंट मीडिया में मजीठिया वेजबोर्ड के हिसाब से वेतन नहीं दिया जा रहा हो। उस संस्था को कैसे देशभक्त कह सकते हैं।
यह वह संस्था है जिसमें संस्था का मुखिया अपने कर्मचारियों को खुद बगावत करने के लिए उकसाता है और खुद ही बागियों को कुचलता है। यह वह संस्था है जिसमें मालिकान और अधिकारी अय्याशी करते हैं और कर्मचारियों को भुखमरी के लिए मजबूर कर किया जाता रहा है। यह वह संस्था जिसमें बड़े छोटों से कुर्बानी मांगते हैं। यह संस्था अपने को बड़ा देशभक्त और भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत होना दिखाती है पर कर्मचारियों को नमस्ते, प्रणाम की जगह सहारा प्रमाण करवा कर अपनी गुलामी कराती है। आगे बढ़ने का एकमात्र फार्मूला चरणवंदना और वरिष्ठों को अय्याशी कराना है। देशभक्ति के नाम दिखावा तो बहुत किया जाता है पर सब कुछ अपने कर्मचारियों को ठग कर।
1999 में पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध में शहीद हुए हमारे सैनिकों के परिजनों की देखभाल के नाम पर संस्था ने अपने ही कर्मचारियों से 10 साल तक 100 – 200 – 500 रुपए प्रति माह तक वेतन से काटे। यह रकम सहारा कर्मचारियों के हिसाब से अरबो-खरबों में बैठती है। सहारा जब किसी को देता है कितना गुना प्रचार-प्रसार करता है। केन्द्र सरकार यह जांच कराये कि सहारा ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को कितना पैसा दिया तो मामला सामने आ जायेगा। इस संस्था ने शहीदों की लाश पर भी अपने ही कर्मचारियों से उगाही कर ली। उस समय चेयरमैन ने यह बोला था कि दस साल पूरे होने पर यह पैसा ब्याज सहित वापस होगा पर किसी को कोई पैसा नहीं मिला।
गत साल जब चेयरमैन जेल गया तो अपने को जेल से छुड़ाने के नाम पर अपने ही कर्मचारियों से 10,000 रुपए से लेकर 10,0000 रुपए तक ठग लिए। जब हम लोगों ने जेल में जाकर इस रकम के बारे में पूछा तो चैयरमैन ने बड़ी ही बेशर्मी से यह कहा कि संस्था में किसी स्कीम में धन कम पड़ रहा था, इसलिए अपने ही कर्मचारियों से पैसा लेना पड़ा। यह पैसा कर्मचारियों ने तब दिया था जब कई महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला था। किसी ने अपनी पत्नी के जेवर बेच कर यह पैसे दिए तो किसी ने कर्जा लेकर।
हर बार कर्मचारियों ने इस व्यक्ति पर विश्वास किया और इस व्यक्ति ने हर बार कर्मचारियों को ठगा। हां देश के छल-कपट करने वाले मक्कार लोग संस्था में अधिकारी बना रखे हैं, जो सोचते हैं कि वे अमर हैं। इस संस्था ने कितने परिवार तबाह कर दिए। कितने बच्चों का जीवन बर्बाद कर दिया। कितने कर्मचारियों को मानसिक रूप से बीमार बना दिया। कितने लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया। यह संस्था देश को आदर्श और भारत को महान बनाने चली है।
सोचने की बात तो यह है कि सब कुछ जानते हुए भी विभिन्न दलों के नेता इस संस्था के कार्यक्रमों में पहुंच जाते हैं क्यों? गत दिनों राष्ट्रीय सहारा नोएडा के मेन गेट पर बड़ी तादाद में कर्मचारी अपना हक मांग रहे थे तो किसी भी दल के नेता का दिल नहीं पसीजा। जो संस्था अपने उन कर्मचारियों की न हो पाई, जिनके पर बल 2000 रुपए की पूंजी से दो लाख करोड़ की पूंजी तक पहुंच गई। वह संस्था देश की क्या होगी ? जो संस्था अपने को आदर्श न बना सकी। महान न बना सकी। वह देश को क्या आदर्श बनाएगी ? क्या भारत को महान बनाएगी? मेरी सहारा पीड़ित कर्मचारियों तथा निवेशकों और देशभक्त जनता से अपील है कि 18 दिसम्बर को देशभक्ति के नाम हो रहे इस ढकोसले का जमकर विरोध करें।
आपका अपना
चरण सिंह राजपूत
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Santosh kanwar
August 5, 2017 at 1:12 pm
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