Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

सेलरी और बकाया मांगने बीवी-बच्चों समेत सहारा आफिस पहुंचे बर्खास्त मीडियाकर्मियों ने जमकर लगाए नारे

गणतंत्र दिवस पर सहारा मीडिया के पीड़ित कर्मचारियों ने सहारा प्रबंधन को सरेआम ललकारा… ‘सुब्रत तेरी गुंडागर्दी नहीं चलेगी, नहीं चलेगी’। ‘जयब्रत तेरी गुंडागर्दी नहीं चलेगी, नहीं चलेगी’, ‘बेईमान प्रबंधन बाहर आओ’, ‘चोर प्रबंधन बाहर आओ’, ‘हर जोर-जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है’, ‘अभी तो ली अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है’… ये नारे किसी रैली या जुलूस में नहीं लग रहे थे। ये नारे लग रहे थे गणतंत्र दिवस के दिन सुबह आठ बजे नोएडा के सेक्टर 11 स्थित राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र के मेन गेट पर.

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>गणतंत्र दिवस पर सहारा मीडिया के पीड़ित कर्मचारियों ने सहारा प्रबंधन को सरेआम ललकारा... 'सुब्रत तेरी गुंडागर्दी नहीं चलेगी, नहीं चलेगी'। 'जयब्रत तेरी गुंडागर्दी नहीं चलेगी, नहीं चलेगी', 'बेईमान प्रबंधन बाहर आओ', 'चोर प्रबंधन बाहर आओ', 'हर जोर-जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है', 'अभी तो ली अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है'... ये नारे किसी रैली या जुलूस में नहीं लग रहे थे। ये नारे लग रहे थे गणतंत्र दिवस के दिन सुबह आठ बजे नोएडा के सेक्टर 11 स्थित राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र के मेन गेट पर.</p>

गणतंत्र दिवस पर सहारा मीडिया के पीड़ित कर्मचारियों ने सहारा प्रबंधन को सरेआम ललकारा… ‘सुब्रत तेरी गुंडागर्दी नहीं चलेगी, नहीं चलेगी’। ‘जयब्रत तेरी गुंडागर्दी नहीं चलेगी, नहीं चलेगी’, ‘बेईमान प्रबंधन बाहर आओ’, ‘चोर प्रबंधन बाहर आओ’, ‘हर जोर-जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है’, ‘अभी तो ली अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है’… ये नारे किसी रैली या जुलूस में नहीं लग रहे थे। ये नारे लग रहे थे गणतंत्र दिवस के दिन सुबह आठ बजे नोएडा के सेक्टर 11 स्थित राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र के मेन गेट पर.

नारे लगाने वाले थे, राष्ट्रीय सहारा के प्रबंधन द्वारा बर्खास्त किए गए कर्मचारी व उनके बीवी-बच्चे। ये कर्मचारी अपने परिवार को साथ लेकर सहारा प्रबंधन से अपना 17 माह का बकाया वेतन, मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से बकाया सेलरी और बची नौकरी का हिसाब मांग रहे थे। सहारा प्रबंधन ने हाल ही में अवैधानिक रूप से 25 कर्मचारी बर्खास्त किए हैं। 22 कर्मचारियों की नौकरी मई माह में ले ली थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस गणतंत्र दिवस को इन कर्मचारियों ने प्रबंधन की ऐसी हेकड़ी निकाली कि सहारा के किसी भी अधिकारी की मेन गेट से निकलने की हिम्मत न हुई। जब प्रबंधन ध्वजारोहण की तैयारी कर रहा था तो उसी समय इन कर्मचारियों ने प्रबंधन को ललकार दिया। जिस कार्यक्रम में घंटों देशभक्ति का ढकोसला चलता था, वह कार्यक्रम मात्र आधे घंटे में खत्म कर दिया गया। कर्मचारियों की इस ललकार से प्रबंधन की चूलें हिल गईं। आनन-फानन में मीडिया हेड अभिजीत सरकार ने गार्डों के माध्यम से संदेश भिजवाया कि वे लोग ये सब न करें, एक सप्ताह के अंदर उनका हिसाब कर दिया जाएगा। आंदोलनकारी कर्मचारी इस संदेश को नहीं माने। उन्होंने न्याय और हक मिलने तक लड़ाई लड़ने का ऐलान किया। इन कर्मचारियों ने सहारा मीडिया वर्कर्स यूनियन और फाइट फॉर राइट का बैनर लगा रखा है।

इस प्रदर्शन का अंदर काम कर रहे कर्मचारियों पर यह असर पड़ा है कि जो कर्मचारी प्रबंधन की कार्रवाई से डरे हुए थे अब वे निर्भीक होकर आंदोलनकारियों से बातें करते नजर आ आ रहे हैं। अगले माह यदि सहारा सुप्रीम कोर्ट में निवेशकों के हड़पे रुपए में से 600 करोड़ रुपए जमा नहीं करा पाया तो सुब्रत राय का जेल जाना निश्चित है। यह कर्मचारी भी बखूबी समझ रहे हैं कि यदि यह व्यक्ति जेल चला गया तो उन्हें आंदोलन के बल पर गत 10 महीने से जो नियमित रूप से वेतन मिल रहा है, वह भी आगे नहीं मिल पाएगा। वैसे भी लगभग सभी कर्मचारियों का 10-15 महीने का बकाया वेतन संस्था पर है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रिंट मीडिया को मजीठिया वेजबोर्ड के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा है। यही सब वजह है कि सहारा मीडिया में फिर से बड़े आंदोलन की भूमिका बनने लगी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दरअसल सहारा प्रबंधन का रवैया बड़ा तानाशाह और गुंडागर्दी का रहा है। किसी समय इस प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों को इतना डरा-धमका कर रखा था कि जहां चाहे हस्ताक्षर करवा लेता था। सुब्रत राय के जेल जाने के नाम पर अपने ही कर्मचारियों से जबर्दस्ती अरबों की उगाही कर ली गई। कारगिल के नाम पर 10 साल तक कर्मचारियों के वेतन से 100-500 रुपए काटा जाता रहा। उपर वाले के घर देर है, अंधेर नहीं। पाप का घड़ा जल्द भरने वाला है। बड़े बड़े साम्राज्य जब भरभरा कर गिर गए तो सहारा की क्या बिसात। यह समूह जिस तरह से अपने कर्मचारियों और उनके परिजनों का उत्पीड़न कर उनकी आह और श्राप हासिल कर रहा है, उससे इसका अंत नजदीक दिख रहा है। ऐय्याशी और समारोहों के नाम पर करोड़ों फूंकने वाले इस ग्रुप को अपने कर्मियों के जीवन की चिंता नहीं है।

सहारा मीडिया में काम कर चुके चरण सिंह राजपूत की रिपोर्ट. संपर्क : [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. अरुण श्रीवास्तव

    January 29, 2017 at 3:47 pm

    सबसे पहले तो सहारा के बर्खास्त साथियों उनके परिजनों व चरणसिंह राजपूत को लाल सलाम। काश इस तरह का एका इभी यूनिट के साथियों में होता तो आज आंदोलन का स्वरूप ही कुछ और ही होता।
    रही प्रबंधन की बात तो प्रबंधन का चरित्र ही यही होता है। सहारा प्रबंधन परिवार के नाम पर कर्मचारियों का वर्षों से शोषण कर रहा है। आंदोलन के साथ-साथ कानूनी लड़ाई भी लड़नी चाहिए। यह उपदेश नही सलाह है।

  2. sanjay kumar

    January 30, 2017 at 10:30 am

    सहारा मीडिया में जबतक मनोज मनु जैसे दोगले रहेंगे तब तक चैनल और सहारा मीडिया की बर्बादी तय है, दो कौड़ी का दल्ला मनोज मनु, जिसे पत्रकारिता का ककहरा तक नहीं पता, उसे प्रबंधन ने या यूं कहें गौतम सरकार और विजय राय जैसे लोगों ने नेशनल और एमपी चैनल का हेड बना रखा है..जबकि, उससे कहीं काबिल लोग चैनल के भीतर ही हाशिए पर पड़े हैं…मनोज मनु जैसा सड़कछाप दलाल ये तय करता है कि, किसे चैनल के भीतर रखना है और किसे नहीं..उस पापी की वजह से कई लोग परिवार समेत सड़क पर आ गए…भले ही मनोज मनू ने प्रबंधन के लोगों के तलवे चाट कर पैसे बना लिए हों लेकिन, एक दिन वो खून के आंसू रोएगा, उसका पूरा परिवार भी तड़पेगा, उसके बच्चे भी लावारिस की तरह नजर आएंगे, उसकी भी बीवी उसे जूते मारेगी…उसकी करतूतों का काला चि्ट्ठा अब खुलने का वक्त आ गया है…सहारा प्रबंधन को ये भी चाहिए कि, अगर मनोज मनु में जरा भी टैलेंट है तो वो किसी दूसरे चैनल में नौकरी हासिल करके दिखलाए, मेरा दावा है, उसे किसी भी प्रोफेशनल चैनल में बतौर इंटर्न रखने में भी लोग हिचकिचाएंगे क्योंकि, उसे देखने से ही लोगों को दलाली की बू आने लगती है, हद है सहारा और वहां काम करने वाले लोग, जो मनोज मनू जैेसे दल्ले की चापलूसी करने से भी बाज नहीं आते, अरे भाई, किसी को भी एमपी चैनल का हेड बना दो, विज्ञापन तो ला ही देगा, और इस बदबूदार दलाल से निजात पा लो, ताकि, सहारा में अपना पूरा जीवन बीता चुके कर्मचारियों को राहत मिल सके, अबतक इस मनोज मनु की वजह से जितने भी कर्मचारी निकाले गए हैं, उसके पूरे परिवार की बद्दुआ उसे जरुर लगेगी, उसके पूरे परिवार को उसके कोढ़ की सजा भुगतनी पड़ेगी, उपरवाले की लाठी आवाज नहीं करती, लेकिन, चोट जबर्दस्त देती है, खैर उसे बेहुदे के लिए ज्यादा लिखने की इच्छा भी नहीं हो रही, बस गौतम सरकार और विजय राय से निवेदन है कि, उसके पाप में शामिल होकर अपने परिवार के लिए बद्दुआ न बटोेरें….

  3. sanjaykumar

    January 30, 2017 at 11:09 am

    सहारा मीडिया में जबतक मनोज मनु जैसे दोगले रहेंगे तब तक चैनल और सहारा मीडिया की बर्बादी तय है, दो कौड़ी का दल्ला मनोज मनु, जिसे पत्रकारिता का ककहरा तक नहीं पता, उसे प्रबंधन ने या यूं कहें गौतम सरकार और विजय राय जैसे लोगों ने नेशनल और एमपी चैनल का हेड बना रखा है..जबकि, उससे कहीं काबिल लोग चैनल के भीतर ही हाशिए पर पड़े हैं…मनोज मनु जैसा सड़कछाप दलाल ये तय करता है कि, किसे चैनल के भीतर रखना है और किसे नहीं..उस पापी की वजह से कई लोग परिवार समेत सड़क पर आ गए…भले ही मनोज मनू ने प्रबंधन के लोगों के तलवे चाट कर पैसे बना लिए हों लेकिन, एक दिन वो खून के आंसू रोएगा, उसका पूरा परिवार भी तड़पेगा, उसके बच्चे भी लावारिस की तरह नजर आएंगे, उसकी भी बीवी उसे जूते मारेगी…उसकी करतूतों का काला चि्ट्ठा अब खुलने का वक्त आ गया है…सहारा प्रबंधन को ये भी चाहिए कि, अगर मनोज मनु में जरा भी टैलेंट है तो वो किसी दूसरे चैनल में नौकरी हासिल करके दिखलाए, मेरा दावा है, उसे किसी भी प्रोफेशनल चैनल में बतौर इंटर्न रखने में भी लोग हिचकिचाएंगे क्योंकि, उसे देखने से ही लोगों को दलाली की बू आने लगती है, हद है सहारा और वहां काम करने वाले लोग, जो मनोज मनू जैेसे दल्ले की चापलूसी करने से भी बाज नहीं आते, अरे भाई, किसी को भी एमपी चैनल का हेड बना दो, विज्ञापन तो ला ही देगा, और इस बदबूदार दलाल से निजात पा लो, ताकि, सहारा में अपना पूरा जीवन बीता चुके कर्मचारियों को राहत मिल सके, अबतक इस मनोज मनु की वजह से जितने भी कर्मचारी निकाले गए हैं, उसके पूरे परिवार की बद्दुआ उसे जरुर लगेगी, उसके पूरे परिवार को उसके कोढ़ की सजा भुगतनी पड़ेगी, उपरवाले की लाठी आवाज नहीं करती, लेकिन, चोट जबर्दस्त देती है, खैर उसे बेहुदे के लिए ज्यादा लिखने की इच्छा भी नहीं हो रही, बस गौतम सरकार और विजय राय से निवेदन है कि, उसके पाप में शामिल होकर अपने परिवार के लिए बद्दुआ न बटोेरें….

  4. santosh kanwar

    July 22, 2017 at 7:31 am

    a massage for subharat roy- return poor investers money i need my money for my daugters marriage local branch manager is not listening..

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement